अमरिका के इतिहास में सबसे बडे आर्थिक संकट की शुरूआत हो चुकी है – आर्थिक विशेषज्ञ और निवेषक पीटर शीफ की चेतावनी

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वॉशिंग्टन – ‘वर्तमान में अमरिका में बनी स्थिति देश के इतिहास में सबसे बडे आर्थिक संकट की शुरूआत है| नए आर्थिक मंदी की तीव्रता इतनी डरावनी है की इसके सामने वर्ष २००८ में देखा गया आर्थिक संकट भी काफी छोटा होने का एहसास होगा| बढती महंगाई और डॉलर की हो रही गिरावट की वजह से पीछले दशक में देखी गई मंदी से भी अधिक खराब स्थिति सामने आएगी, ऐसा इशारा अमरिकी आर्थिक विशेषज्ञ और निवेषक पीटर शीफ ने दिया है|

गुरूवार के दिन अमरिकी शेअर बाजार में २६ प्रतिशत गिरावट देखी गई थी| वर्ष १९८७ के बाद देखी गई यह सबसे बडी गिरावट समझी जा रही है| इस गिरावट के कारण निवेषकों को अरबों डॉलर्स का नुकसान हुआ है और अमरिकी अर्थव्यवस्था को भी बडा झटका लगने की बात समझी जा रही है| ‘कोरोना व्हायरसका बढता दायरा और ईंधन बाजार में देखी जा रही उथलपुथल के कारण यह बडी गिरावट होने की बात समझी जा रही है

इस गिरावट के बाद अमरिकीफेडरल रिजर्व्हने . ट्रिलियन डॉलर्स की आर्थिक सहायता प्रदान करने का ऐलान किया था| वर्ष २००८ के आर्थिक संकट के बादफेडरल रिजर्व्हने किया यह सबसे बडा निर्णय होने की बात समझी जा रही है| इस निर्णय की पृष्ठभूमि पर अमरिकी सर्क में फिर एक बार आर्थिक संकट की बातचीत शुरू हुई है और पीटर शीफ की चेतावनी इसी का हिस्सा होने की बात दिख रही है|

शीफ नेकोरोना व्हायरसयह आर्थिक संकट के लिए मात्र कारण के तौर पर सामने आने का दावा किया| असल की समस्या अर्थव्यवस्था पर बढ रहे कर्ज का बोझ है औरकोरोना व्हायरसके कारण बनी स्थिति ने इसे मात्र टांचनी लगाने का काम किया है, यह इशारा भी शीफ ने दिया| साथ ही इस महामारी ने शेअर बाजार में तैयार हुए गुब्बारे के साथ हीक्रिप्टोकरन्सीऔर बांड के बाजार में बने गुब्बारे भी फोंड दिए है, ऐसा बयान पीटर शीफ ने किया|

अमरिकी फेडरल रिजर्व्ह ने घोषित की हुई आर्थिक सहायता यानी आर्थिक संकट पर जरूरी इलाज नही है, बल्कि, अर्थव्यवस्था के लिए और भी खतरनाक साबित होनेवाली बात है, यह इशारायुरो पैसिफिक कैपिटलके प्रमुख शीफ ने दिया| ‘अमरिकी अर्थव्यव्सथा पुरी तरहे से टुट चुकी है और अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिए कोई भी इलाज शेष नही रहा| अमरिका मात्र पैंसों की छपाई कर सकती है, इन शब्दों में निवेषक शीफ ने संकट और भी गहरा होने का एहसास कराया|

कोरोना व्हायरसकी इस महामारी का दायरा लगातार बढ रहा है और ईंधन, सोना, धातू, यातायात, व्यापार, उत्पादन ऐसे सभी प्रमुख क्षेत्रों पर इसका असर होता दिखाई देने लगा है| दुनिया की कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने अपने उत्पादन बंद किए है और व्यापार एवं यातायात भी कम हुई है| इस महामारी के कारण अबतक जागतिक अर्थव्यवस्था को ट्रिलियन डॉलर्स से भी अधिक नुकसान होने की बात कही जा रही है| अघले दौर में यह नुकसान और भी बढेगा, यह संकेत प्राप्त हो रहे है| दुनिया की प्रमुख आर्थिक संस्थाओं ने आर्थिक विकास दर में गिरावट होने के साथ ही मंदी के इशारे देना शुरू किया है|

इस महामारी का दायरा और बढने से पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने पीछले शतक केग्रेट डिप्रेशनकी तरह ही महामंदी आने की संभावना होने का इशारा दिया था| मुद्राकोष की प्रमुख क्रिस्तालिना जॉर्जिवा ने अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था फिर से १९२०३० की दशक में देखीं गई महामंदी (ग्रेट डिप्रेशन) की दिशा में आगे बढ रही है, यह एहसास कराया| आर्थिक विषमता, अनिश्चितता और वातावरण में हो रहे बदलाव भी इसके लिए जिम्मेदार साबित होंगे, यह दावा भी मुद्राकोष की प्रमुख ने किया है|

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