चीन की अर्थव्यवस्था पर ३०० प्रतिशत से अधिक कर्ज का भार – अंतरराष्ट्रीय वित्तसंस्था का रपट

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरवॉशिंगटन/बीजिंग: चीन की अर्थव्यवस्था पर कर्ज का भार बडी गति से बढ रहा है और इस वर्ष के शुरू में ही चीन की अर्थव्यवस्था के तुलना में चीन का कर्ज ३०० प्रतिशत तक जा पहुंचा है, यह इशारा अंतरराष्ट्रीय वित्तसंस्था ने अपनी नई रपट में दिया है| चीन पर बने कर्ज की रकम कुल ४० ट्रिलियन डॉलर्स तक जा पहुंची है| यह प्रमाण जागतिक अर्थव्यवस्था के कुल कर्ज में करीबन १५ प्रतिशत होने की जानकारी ‘इन्स्टिट्युट ऑफ इंटरनैशनल फायनान्स’ (आईआईएफ) इस वित्तसंस्था ने दी है|

पिछले महीने में चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने देश की निजी ‘बाओशँग बैंक’ पर कब्जा किया था| चीन सरकार ने इस तरह निजी बैंक पर कब्जा करने का यह पहला ही अवसर माना जा रहा था| इस घटना से चीन का बैंकिंग क्षेत्र, कर्ज का प्रदान एवं अर्थव्यवस्था की कमजोर बाजू फिर एक बार स्पष्ट हुई है और यह नए खतरे की शुरूवात होने के संकेत अर्थविशेषज्ञ एवं विश्‍लेषकों ने दिए थे| लेकिन, चीन के अधिकारियों ने इसे एक अपवादात्मक घटना कहा और खतरे के दावे ठुकराए थे|

लेकिन, इस सप्ताह के शुरू में ही चीन की अर्थव्यवस्था में हुई विक्रमी गिरावट के बारे में प्रसिद्ध हुए आंकडे और इसके साथ ही अब सामने आ रही कर्ज की जानकारी से चीन की अर्थव्यवस्था में बने खतरें और भी तीव्र होने के संकेत प्राप्त हो रहे है| पिछले वर्ष से अमरिका और चीन में व्यापारयुद्ध शुरू है और दोनों देशों ने एकदुसरे पर कर लगाए है| चीन को इन करों का सबसे ज्यादा झटका लग रहा है, यह बात पिछले कुछ महीनों से प्राप्त हो रहे रपट एवं आंकडों से लगातार स्पष्ट हो रही है|

इससे पहले वर्ष २००९ में देखी गई आर्थिक मंदी में चीन की हुकूमत ने देशांतर्गत स्तर पर बडी आर्थिक सहायता प्रदान करके मंदी का असर रोकने की कोशिश की थी| लेकिन, अर्थसहाय्य के स्वरूप में ज्यादा तादाद में नीधि देने के इस निर्णय से चीन की अर्थव्यवस्था पर कर्ज का भार बढने की शुरूआत हुई थी| इसके बाद के दिनों में अर्थव्यवस्था स्थिर होने की बात कही जा रही है, फिर भी चीन की हुकूमत ने अंतर्गत स्तर पर स्थानिय प्रशासनों को बडी संख्या में कर्ज देना जारी रखा था| इसका असर दिखाई देने की शुरूआत होने की बात ‘आईआईएफ’ के नए रपट से स्पष्ट हो रही है|

‘आईआईएफ’ के रपट में इस बारे में स्पष्ट तौर पर जिक्र किया गया है और देशांतर्गत स्तर पर बडी मात्रा में जारी किए गए बांड की ओर भी ध्यान आकर्षित किया गया है| पिछले महीने के ‘बाओशँग बैंक’ के मामले के बाद चीन की सेंट्रल बैंक ने बैंकिंग क्षेत्र के लिए करीबन ६०० अब्ज युआन की राशि तुरंत उपलब्ध कराई थी| पिछले वर्ष से शेअर बाजार में हुई गिरावट और बडी सरकारी उपक्रमों का दिवालिया रोकने के लिए इसी प्रकार से निधी उपलब्ध कराई गई थी, यह कहा जा रहा है| चीन में बैंकों ने स्थानिय प्रशासन और उद्योगों को दिए कर्ज में से डुबे हुए कर्ज का प्रमाण कम रखने के लिए भी अतिरिक्त कर्ज का इस्तेमाल किया गया है, यह भी स्पष्ट हुआ है|

पिछले वर्ष ‘बैंक फॉर इंटरनैशनल सेटलमेंटस्’ के साथ अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और ‘वर्ल्ड बैंक’ ने भी चीन का कर्जा और बैंकिंग क्षेत्र पर मंढरा रहे संकट को लेकर लगातार चेतावनी दी थी| ऑस्ट्रेलिया की सेंट्रल बैंक के प्रमुख ने भी चीन की अर्थव्यवस्था को सबसे बडा झटका कर्ज का भार बढने से लग सकता है,यह इशारा दिया था| लेकिन, चीन का प्रशासन कर्ज का भार आसानी से नियंत्रण करना मुमकिन होनेवाला मामला है, लगातार यही बात कहकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से दिए जा रहे इशारें नजरअंदाज कर रहा है|

५० से भी अधिक बहुराष्ट्रीय कंपनियां चीन से बाहर निकली

बीजिंग: अमरिका के साथ शुरू व्यापारयुद्ध रोकने के लिए चीन और अमरिका में बातचीत शुरू है, फिर भी उद्योगों में इस युद्ध का काफी डर होने की बात स्पष्ट हो रही है| ऐसे में चीन में मौजुद बडी बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने अपने उत्पादन केंद्र और निवेश सिमेट ना शुरू किया है| यह जानकारी उजागर हो रही है| चीन में उत्पादन कर रही करीबन ५० कंपनियों ने अपने उत्पाद केंद्र बंद करना शुरू किया है और यह केंद्र आग्नेय एशियाई देशों के साथ कनाडा और मेक्सिको में स्थलांतरित किया जा रहा है|

गेमिंग क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों के तौर पर पहचाने जा रही ‘निन्तेन्दो’, ब्रैंडेड कपडों की नामांकित ‘एक्सेल ब्रैंडस्’ संगणक क्षेत्र की ‘डेल’ जैसी कंपनियों ने चीन में बनाए उत्पाद केंद्र बंद करने की बात स्पष्ट की| यह केंद्र आग्नेय एशिया के वियतनाम, कंबोडिया जैसे देशों में लगाने की बात सुत्रों ने कही| दक्षिण कोरिया की ‘सैमसंग’ एवं ‘ह्युंदाई’ जैसी प्रमुख कंपनियों ने भी चीन में शुरू उत्पाद केंद्र बंद करने का एवं चीन में नया निवेष करना बंद करने के संकेत दिए है|

इसी पृष्ठभूमि पर चीन में सक्रिय अमरिकी कंपनियों ने इस देश के करीबन २५ करोड डॉलर्स से भी अधिक निवेष के प्लैन रोकने के या रद्द करने की बात सामने आ रही है| अमरिका के साथ शुरू व्यापारयुद्ध का हमें खतरा नही है, ऐसा लगातार कह रही चीन की हुकूमत के लिए यह घटना बडा झटका होने की बात समझी जा रही है| इससे पहले भी चीन में कई विदेशी कंपनियां भारत जैसे देश में स्थलांतरित होने की तैयारी में होने की बात सामने आ चुकी है|

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