यु डी कोलन के खोजकर्ता – जोहान मरिया फरीना

इत्र की शीशी खोलते ही संपूर्ण वातावरण सुगंधित हो उठता है। इस सुगंध से मन प्रसन्नचित्त हो उठता है। इस सुगंधित द्रव्य की जब खोज हुई थी उस वक्त एक ही खुशबू अस्तित्व में थी। इस दौरान यानी अठारहवीं सदी में इस प्रकार के कृत्रिम सुगंध तैयार करना यह एक अचंभित कर देनेवाली बात थी। परन्तु आज के युग में इस सुगंधित द्रव्य के एक नहीं बल्कि हजारों प्रकार बाजारों में उपलब्ध हैं। इनमें सेंट्स्, परफ्युम्म्स् इनके साथ-साथ सुगंधी द्रव्यों के कुछ बदलते स्वरूप अर्थात् डिओडन्ट, बॉडी स्प्रे, हँकरचीफस्प्रे इन जैसे अनगिनत प्रकार ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। लेकिन व्यावसायिक धरातल पर ऐसी सफलता हासिल करनेवाले दुनिया के सर्वप्रथम सुगंधी द्रव्य के जनक थे, ‘जोहान मरिया फरीना’।

जर्मनी के कोलन शहर में रहनेवाले ‘जोहान मरिया फरीना’ ने सुंगधी द्रव्यों से संबंधित काफी खोज की। उनका संशोधन यशस्वी होने के पश्‍चात् उन्होंने अपने इस उप्ताद को अपने शहर का नाम देना पसंद किया। इसी कारण कोलन शहर जागतिक धरातल पर विख्यात हो गया। इसके पश्‍चात् जोहान ने स्वयं अपनी ही कंपनी की स्थापना करके काफी बड़े पैमाने पर सुगंधित द्रव्य बनाना शुरू कर दिया। इसके पीछे ‘कोलन परफ्युम’ को होनेवाली काफी अधिक माँग यही कारण था।

इटली में जोहान ने कोलन परफ्युम यशस्वी रूप में पहुँचा दिया। अपने उप्ताद का विज्ञापन करने के लिए किस तकनीक का उपयोग करना चाहिए, यह जोहान भली-भाँति जानते थे और इस बात का फायदा उन्होंने उठाया ही। जोहान के पश्‍चात् उनके परिवार के सदस्य उनकी इस धरोहर को आगे बढ़ाते रहे और सेंट्स निर्मिति व्यवसाय में अपने पैर मजबूती के साथ जमा लिये। जोहान ने अपने इस सुगंधित द्रव्य को ‘यु डी कोलन’ नाम दिया था। लेकिन जोहान की मृत्यु के पश्‍चात् इस नाम को बदलकर इसे जोहान का ही नाम प्रदान किया गया।

परफ्युम तैयार करने की प्रक्रिया में जोहान ने सुगंधित फूलों का अर्क तैयार किया। कुछ औषधि वनस्पतियाँ, कुछ आकर्षक खुशबूदार वनस्पतियाँ तथा मसालों की वनस्पतियों के फूलों को एकत्रित करके उनका अर्क निकाल लिया गया, सब्जियों का अर्क अलग से निकालकर बाद में उसी में एकत्रित कर दिया गया। परन्तु इसके अन्तर्गत उपयोग में लायी जानेवालीं वस्तुओं की शुद्धता एवं सभी पदार्थों को अच्छी तरह से एक एकत्रित करने की प्रक्रिया सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण मानी गयी थी। इसी के आधार पर सुगंधितता की श्रेणी निश्‍चित की जाती थी।

कालांतर में ‘यु. डी. कोलन’ को अधिक सुवासिक बनाने के लिए उसमें नीम, बर्गामॉट, संतरे, नेरोली, लव्हेंडर और रोझ इन फूलों के तेल के मिश्रण में एकत्रित करने के पश्‍चात् यह काफी तीव्र बन जाता है। इसीलिए इस सुगंधित द्रव्य को सौम्य बनाने के लिए इसमें गुलाब का पानी मिलाया जाता था।

साथ ही अंगूर का रस लेकर इस द्रव्य में फूलों का अर्क एकत्रित किया जाता था। लेकिन किसी भी नये प्रकार में कोलन मिश्रित करना हो तो उसकी अनेकों बार जाँच की जाती थी। इस संबंध में जोहान बहुत ही आग्रही रहते थे। इसी लिए उनके सुगंधित द्रव्यों का दर्जा और प्रसिद्धि अनेकों वर्षों तक स्थिर रह सकी और इसके साथ ही ‘जोहान मरिया फरीना’ यह नाम भी।

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