अफ्रिकी देशों में भी चीन के ख़िलाफ़ असंतोष – अफ्रिकी नागरिकों के साथ चीन में किये गए अमानवीय सुलूक़ पर उठी प्रतिक्रिया

हरारे/अदिस अबाबा – कोरोनावायरस के संक्रमण के समय, चीन ने उनके देश में स्थित अफ्रिकी नागरिकों के साथ तिरस्कारपूर्ण सुलूक़ किया था। इसके ख़बरें अब सामने आने लगीं हैं। उसकी गूँजें उठीं होकर, अफ्रिकी देशों में, उनके देशों से चिनी नागरिकों को निकाल बाहर करें, ऐसी माँग ज़ोर पकड़ रही है। अफ्रिकी जनता में उठी इस चीनविरोधी भावना से चीन को नुकसान पहुँच सकता है। अमरीका ने भी, चीन में अफ्रिकी वंश के नागरिकों पर किये जा रहे वांशिक भेदभाव की आलोचना की है।

पिछले हफ़्ते चीन के ग्वाँगझाऊ शहर में अफ्रिकी नागरिक तथा पर्यटकों की ज़बरदस्ती से कोरोनावायरस के लिए जाँच की गयी। साथ ही, १४ दिनों के लिए इन अफ्रिकी नागरिकों को लाज़िमी विलगीकरण में रखा गया था। वहीं, चीन के अन्य कुछ भागों में अफ्रिकी नागरिकों को उनके निवासी घर से बाहर लाया गया। इन अफ्रिकी नागरिकों को यहाँ के हॉटेल्स, लॉजिंग के मालिकों ने भी आसरा देने से इन्कार किया है। इस कारण, इन अफ्रिकी नागरिकों को अब खुले में रहना पड़ रहा है। चीन में पाँच नायजेरियन नागरिक कोरोना संक्रमित पाये जाने के बाद, चीन में यह वंशविद्वेष उमड़कर बाहर आया दिखायी दे रहा है।

‘इस नरक से हमारी मुक्तता कीजिए’, ऐसा ज़ाहिर आवाहन कुछ अफ्रिकी नागरिकों ने वीडियो के ज़रिये किया था। चीन में उनके बान्धवों पर सरकार द्वारा हो रहे इस अत्याचार का वीडियो तथा ख़बर प्रकाशित होने के बाद अफ्रिकी देशों में ग़ुस्सा उमड़ आया है। नायजेरिया के साथ ही दक्षिण अफ्रिका, केनिया, युगांडा, घाना इन देशों की सरकारें, माध्यम तथा जनता चीन पर टूट पड़े हैं। केनिया की संसद ने तो, ‘चीन हमारे देश से चलता बनें’ ऐसी फटकार लगायी होकर, हमारे देश में होनेवाले चिनी नागरिकों को देश से निष्कासित करें, ऐसी माँग केनिया के नेता कर रहे हैं।

वहीं, नायजेरियन सरकार ने चिनी राजदूत को तलब कर, ‘नायजेरियन नागरिकों के साथ किया जनेवाला सुलूक़ हरगिज़ बर्दाश्त नहीं किया जायेगा’, ऐसा सुनाया। युगांडा तथा घाना की सरकार ने भी चिनी राजदूतों को तलब कर खरी खरी सुनायी। हमारे देशबांधवों के साथ किया जानेवाला अमानवीय सुलूक़ इसके बाद बर्दाश्त नहीं किया जायेगा, ऐसी कड़ी चेतावनी घाना ने दी। वहीं, अफ्रिकी महासंघ ने भी चीन के विशेषदूत के सामने अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की।

अफ्रिकी देशों से आ रहीं इन प्रतिक्रियाओं के कारण चीन सिटपिटा गया है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने, अफ्रिकी देशों ने व्यक्त की नाराज़गी की दखल ली गयी है, ऐसा कहा। साथ ही, अफ्रिकी नागरिकों पर हुई कार्रवाई की तथा विलगीकरण प्रक्रिया की जानकारी ली जायेगी, ऐसा भी लिजियान ने कहा। लेकिन अफ्रिकी देशों तथा माध्यमों को, चीन के विदेश मंत्रालय की यह प्रतिक्रिया सन्तोषजनक नहीं लगी है। चीन द्वारा हमेशा ही अफ्रिकी देशों के साथ निम्नस्तर का सुलूक़ किया जाता है, ऐसी नाराज़गी इन देशों के नेता तथा जनता ज़ाहिर कर रहे हैं।

चीन में अफ्रिकी नागरिकों पर हुए अत्याचार के परिणाम चीन एवं अफ्रिकी देशों के बीच के राजनैतिक तथा व्यापारी सहयोग पर हो सकते हैं। पिछले कुछ सालों से चीन ने अफ्रिकी देशों में बड़ा निवेश किया होकर, यहाँ के ईंधन तथा खनिजों का चीन द्वारा भारी मात्रा में उत्खनन किया जाता है। पिछले साल चीन तथा अफ्रिकी देशों के बीच का व्यापार २०८ अरब डॉलर्स का था। इस कारण, अफ्रिकी देशों में खौल रहा असन्तोष, राजनीतिक तथा व्यापारी स्तर पर चीन का काफ़ी नुकसान कर सकता है।

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