चीन की कंपनियों पर बना कर्ज का भार अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक – आर्थिक विशेषज्ञ एवं विश्‍लेषकों का दावा

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वॉशिंग्टन/बीजिंग – चीन की कंपनियों ने भारी मात्रा में प्राप्त किए कर्ज और इस कर्ज का भुगतान करने में हो रही कठिनाईयों की बढती घटना जागतिक अर्थव्यवस्था के लिए खतरा साबित हो सकती है, यहदावा आर्थिक विशेषज्ञ एवं विश्‍लेषकों ने किया है| इस वर्ष में चीन की लगभग ५० कंपनियां कर्ज का भूगतान करने में असफल साबित होने की जानकारी सामने आ रही है| इनमें से ४० से भी अधिक कंपनियां नीजि क्षेत्र की है और कर्ज का बढता भार ही यह कर्ज डुबने का प्रमुख कारण साबित होने की बात कही जा रही है|

पिछले महीने में चीन ने जारी किए एक रपट में, ‘कॉर्पोरेट’ क्षेत्र का कर्ज वर्ष २०१८ की ‘जीडीपी’ की तुलना में १६५ प्रतिशत तक जा पहुंचने की बात पर ध्यान आकर्षित किया गया था| इसका असर चीन की कंपनियों से होनेवाले कर्ज के भुगतान पर होने की बात सामने आ रही है| वर्ष २०१९ के दिसंबर महीने तक चीन की कंपनियों ने लगभग १७ अरब डॉलर्स से भी अधिक कर्ज का भुगतान ना करने की जानकारी सामने आ चुकी है

दुनिया की ‘फॉर्च्युन ५००’ गुट में शामिल ‘टीवू ग्रुप’ इस प्रमुख चीन की कंपनी ने विदेश में लिए कर्ज का भुगतान करने में दिखाई असमर्थता सनसनी फैलानेवाली साबित हुई थी| पर, चीन की सरकार नजदिकी दिनों में अपनी कंपनियों को कर्ज डुबाने के लिए मजबूर करेगी, यह संकेत विश्‍लेषक दे रहे है| अमरिका के साथ यूरोपिय देशों से चीन की हुकूमत पर आर्थिक सुधार करने के लिए हो रहा दबाव ही इसके पीछे अहम कारण होने की बात समझी जा रही है|

अबतक चीन की हुकूमत ने सरकार उपक्रम की कंपनियों को विदेशी बाजारों में असफल होने नही दिया है| पर, लगभग ३८ अरब डॉलर्स की संपत्ति रखनेवाले सरकार उपक्रम के विषय में चीन सरकार ने किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नही किया है| यह कंपनी कर्ज का भुगतान करने में असफल हो रही थी तभी चीन ने चार बैंकों को आर्थिक सहायता एवं अन्य रास्तों से बचाने की बात भी सामने आ रही है

दुनिया की नामांकित पतमापन संस्था के तौर पर ख्यात ‘एसएण्डपी’, ‘मुडीज्’ और ‘फिच रेटिंग्ज’ ने चीन की अर्थव्यवस्था की गतिविधियां चिंताजनक होने की बात पर ध्यान आकर्षित किया है| चीन में बढ रहे कर्ज के आंकडें जागतिक अर्थव्यवस्था पर असर हो सके इतने बडे है और इससे निवेश एवं बैंकिंग क्षेत्र में गलत संदेशा पहुंच सकता है, ऐसा इन संस्थाओं का कहना है|

चीन ने कुछ दिन पहले ही ‘फायनान्शिअल स्टॅबिलिटी रिपोर्ट’ घोषित किया| इसमें चीन की ‘सेंट्रल बैंक’ ने देश की चार हजार से भी अधिक बैंकों में से लगभग ६०० बैंकों की स्थिति काफी गंभीर होने की बात दर्ज की है| पिछले वर्ष की तुलना में इसमें अब बढोतरी होने की बात भी चीन की सेंट्रल बैंक ने रखी थी| अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष जैसी प्रमुख संस्था भी इस मुद्दे पर गंभीर इशारे दे रही है|

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