आधुनिक युद्ध तकनीक के लिए जरूरी बदलाव को रक्षा मंत्रालय की मंजुरी – सेनाप्रमुख जनरल बिपिन रावत

नई दिल्ली: आधुनिक समय में बदलते युद्धतंत्र की चुनौती स्वीकार ने के लिए आवश्यक फेर बदलाव किए जा रहे हैं, और इन बदलावों के लिए रक्षा मंत्रालय ने मंजूरी भी दी है, ऐसा लष्करप्रमुख जनरल बिपिन रावत ने घोषित किया है| इसके अनुसार लष्करी मुख्यालय की पुनर्रचना की जाएगी, ऐसी महत्वपूर्ण जानकारी लष्करप्रमुख ने दी है| कारगिल विजय को २० वर्ष पूर्ण होने के निमित्त से आयोजित किए कार्यक्रम में लष्कर प्रमुख बोल रहे थे| पाकिस्तान फिर कारगिल जैसा साहस करने का विचार नहीं करेगा, ऐसा दावा लष्कर प्रमुख ने उस समय किया|

नए फेर बदलाव के अनुसार भारतीय लष्कर में तीसरे उप-प्रमुख की नियुक्ति की जाएगी| इस पद पर नियुक्त अधिकारी धारणात्मक बात संभालेंगे और गोपनीय जानकारी का विश्‍लेषण, प्रचार युद्ध और सायबर युद्ध से संबंधित बातें भी इसी अधिकारी के नियंत्रण में रहेगी| फिलहाल भारतीय लष्कर में दो उप-प्रमुख की नियुक्ति की जाती है| पर नए धारणा के अनुसार तीसरे उप-प्रमुख पद का निर्माण किया गया है और इस बदलाव को रक्षा मंत्रालय ने मंजूरी दी है, ऐसा लष्कर प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने स्पष्ट किया है|

साथ ही लष्कर के नई दिल्ली में होनेवाले मुख्यालय की रचना में भी बहुत बड़े बदलाव होनेवाले हैं| जिसकी वजह से लष्करी मुख्यालय में नियुक्त किए गए लगभग २० प्रतिशत अधिकारियों की अन्य ठिकानों पर नियुक्ति की जा सकती है| यह बहुत बड़ा सकारात्मक बदलाव है, ऐसा दावा लष्कर प्रमुख ने किया है| साथ ही अन्य प्रक्रिया गतिमान करने के लिए आवश्यक बदलाव किए जा रहे हैं| इस वजह से निर्णय प्रक्रिया में विलंब टल सकता है, ऐसा विश्वास लष्कर प्रमुख ने व्यक्त किया है| यह सारे बदलाव आधुनिक समय में युद्धतंत्र के लिए आवश्यक होने की बात कहकर उसके लिए गतिमान कदम उठाए जा रहे हैं, ऐसा जनरल रावत ने कहा है|

विज्ञान-तंत्रज्ञान क्षेत्र ने बहुत बड़ी उछाल लिया है| युद्धतंत्र में भी बड़ी उथल-पुथल हुई है| आर्थिक और लष्करी रूप से प्रगत होनेवाले देश भी सैनिकों की संख्या बढ़ाने के बदले, अपने लष्कर में गुणात्मक बदलाव कर रहे हैं| सैनिकों की संख्या मर्यादित रखते हुए तंत्रज्ञान का उपयोग करने की धारणा लगभग सभी देशों ने स्वीकारी है और चीन जैसा देश भी इसे अपवाद नहीं है| ऐसी परिस्थिति में भारत अपनी परंपरागत रक्षा विषयक धारणा में बदलाव करना क्रम प्राप्त है| इसके अनुसार भारत की धारणा में आवश्यक बदलाव किए जा रहे हैं और लष्कर प्रमुख ने उसी के संकेत दिए है|

दौरान वर्ष १९९९ में कारगिल युद्ध छेड़नेवाला पाकिस्तान आगे चलकर यह साहस नहीं कर सकता, क्योंकि उसके परिणाम पाकिस्तान ने सहे हैं, ऐसी टिप्पणी लष्कर प्रमुख ने उस समय लगाई है| आनेवाले कुछ वर्षों में पाकिस्तान भारत में घुसपैठ की नहीं सोच सकता, ऐसा विश्वास लष्कर प्रमुख ने व्यक्त किया है|

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