‘डि-डॉलराइजेशन’ की प्रक्रिया उम्मीद से अधिक तेज़ होने की संभावना – निवेशक और उद्यमी माइकल गोडार्ड की चेतावनी

मास्को/वॉशिंग्टन – ‘ब्रिक्स द्वारा पेश हो रही नई मुद्रा को सोना या अन्य संपत्ति का आधार रहेगा, ऐसी संभावना जताई जा रही है। यह मुद्रा ब्रिक्स सदस्य देशों के साथ ब्रिक्स प्लस गुट के देश इस्तेमाल करते हैं तो मौजूदा व्यापार में इस्तेमाल हो रहा अमरिकी डॉलर का हिस्सा काफी कम होगा। इसके बाद अगले कुछ ही वर्षों में यह प्रक्रिया अधिक गतिमान होगी’, इन शब्दों में शीर्ष निवेशक माइकल गोडार्ड ने यह चेतावनी दी है कि, ‘डि-डॉलराइजेशन’ उम्मीद से अधिक तेज़ हो सकती है। 

‘डि-डॉलराइजेशन’रशिया के ‘सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनैशनल इकॉनॉमिक फोरम’ (एसपीआईएफ) की बैठक शुरू हुई है। लगभग १०० देशों के नेता, अधिकारी, उद्यमी और आर्थिक विशेषज्ञ वहां मौजूद हैं। रशिया-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर रशिया ने ‘एसपीआईईएफ’ ने किया आयोजन और इसे प्राप्त हो रहा समर्थन ध्यान आकर्षित कर रहा हैं। पिछले कुछ सालों में अंतरराष्ट्रीय व्यापार एवं अन्य कारोबार में अमरिकी डॉलर का विकल्प पेश करने की गतिविधियां शुरू हैं। इसमें रशिया सबसे आगे हैं और ‘एसबीआईईएफ’ में भी यह मुद्दा प्रधान एजेंड़ा का हिस्सा है। 

वेनेजुएला की उप-राष्ट्राध्यक्षा डेल्सी रॉड्रिगुएझ ने अंतरराष्ट्रीय ईंधन बाजार में ‘डि-डॉलराइजेशन’ शुरू होना चाहिये, ऐसी मांग की। अरब-खाड़ी देशों ने अपने कच्चे तेल और नैसर्गिक ईंधन वायू की बिक्री डॉलर के अलावा अन्य मुद्रा स्वीकार करके शुरू की है, इसपर उन्होंने ध्यान आकर्षित किया। अंतरराष्ट्रीय ईंधन बाज़ार में लगभग १०० ट्रिलियन डॉलर से अधिक मुल्य के कारोबार हो रहे हैं और अमरिकी अर्थव्यवस्था का आकार इसकी तुलना में काफी छोटा है। तो फिर सिर्फ अमरिकी डॉलर के माध्यम से कारोबार क्यो करना हैं’, यह सवाल ही वेनेजुएला की उप-राष्ट्राध्यक्ष ने किया। 

‘डि-डॉलराइजेशन’पिछले कुछ दिनों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक विशेषज्ञ, निवेशक, उद्यमी एवं विश्लेषक ‘डि-डॉलराइजेशन’ के मुद्दे पर लगातार चेतावनी दे रहे हैं। अप्रैल महीने में अमरीका के आर्थिक विशेषज्ञ पीटर सी. अर्ल ने यह चेतावनी दी है कि, वैश्विक स्तर पर ‘डि-डॉलराइजेशन’ शुरू हुआ हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोश और अमरिकी अभ्यास गुटों ने भी अमरिकी डॉलर को लेकर गंभीर चेतावनी दी थी।

अंतरराष्ट्रीय कारोबार से जुड़ी व्यवस्था में बड़ी उथल-पुथल हो रही हैं और कुछ देश विदेशी मुद्रा भंड़ार में डॉलर की मात्रा कम करने की सोच में होने का इशारा मुद्रा कोश के वरिष्ठ आर्थिक विशेषज्ञों ने दिया था। वहीं. विश्व के कुछ सेंट्रल बैंक अमरिकी डॉलर पर बनी निर्भरता उचित है या नहीं, इस विचार में होने के मुद्दे पर अमरिकी अभ्यास गुट ने ध्यान आकर्षित किया था। रशिया के शीर्ष बैंक ‘व्हीटीबी’ के प्रमुख ने भी लंबे समय से बने अमरिकी डॉलर के ऐतिहासिक प्रभाव का अन्त होना अब शुरू हुआ है, यह चेतावनी हाल ही में दी थी।

अमरिकी वित्त मंत्री जैनेट येलेन ने भी अमरिकी प्रतिबंधों के ड़र से कई देश अमरिकी डॉलर के विकल्प की तलाश में होने की बात कहकर डॉलर का प्रभाव कम हो रहा हैं, इसकी कबुली दी थी। वहीं, दूसरी ओर ब्राज़ील, रशिया, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के ‘ब्रिक्स’ गुट द्वारा भी स्वतंत्र मुद्रा पेश करने की गतिविधियां शुरू होने के संकेत प्राप्त हुए हैं।

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