ऑस्ट्रेलिया में रक्षा क्षेत्र की कंपनी पर सायबर हमला – ‘एफ-३५’, ‘पी-८ पोसयडन’, ‘सी-१३०’ के साथ जंगी जहाजों की जानकारी की चोरी की है

सिडनी: ऑस्ट्रेलिया के रक्षा क्षेत्र की कंपनी पर हुए सायबर हमले में, अमरिका की ओर से ऑस्ट्रेलिया को दिए जाने वाले ‘एफ-३५ जॉइंट स्ट्राइक फायटर’ साथ ही निगरानी और मालवाहक विमान और जंगी जहाजों की जानकारी की चोरी की गई है। सायबर हमला करने वाले का नाम ‘अल्फ’ है और उसने ‘चायना चॉपर टूल’ का इस्तेमाल किया है। ‘द ऑस्ट्रेलियन’ इस दैनिक ने इस सायबर हमलों के पीछे चीनी हॅकर्स का हाथ होने का दावा किया है। इसके पहले सन २०१५ और २०१६ में सरकारी विभाग और निजी क्षेत्र पर हुए कुछ सायबर हमलों के पीछे चीन के हॅकर्स का हाथ होने की बात सामने आई है।

सायबर हमलाऑस्ट्रेलिया के ‘ऑस्ट्रेलियन सिग्नल्स डायरेक्टरेट’ (एएसडी) ने सायबर हमले की जानकारी खुली की है। उसमें, ऑस्ट्रेलिया के रक्षा विभाग से संबंधित एक कंपनी की करीब ३० गिगाबाईट (जीबी) इतनी प्रचंड जानकारी चोरी होने की बात कही जा रही है। इस जानकारी में, अमरिका की ओर से लिए जाने वाले लड़ाकू विमान ‘एफ-३५ जॉइंट स्ट्राइक फायटर’, निगरानी जहाज ‘पी-८ पोसायडन’, मालवाहक विमान ‘सी-१३०’, का समावेश है। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया के सबसे बड़े जंगी जहाज ‘एचएम्एएस कॅनबेरा’, ‘एचएम्एएस एडलेड’, ‘कोलिन्स क्लास’, पनडुब्बियां और जॉइंट डायरेक्ट अटैक म्युनिशन्स (जेडीएम) स्मार्ट बॉम्ब कीट’ की जानकारी भी सायबर हमले में चुराई गई है।

अमरिका के साथ हुए रक्षा अनुबंध के अनुसार यह संवेदनशील जानकारी ‘गोपनीय’ रखी गई थी। लेकिन सायबर हमले में इस जानकारी की चोरी होने की वजह से खलबली मची है। ऑस्ट्रेलियन यंत्रणा ने सायबर हमला हुए कंपनी का नाम घोषित नहीं किया है, यह ‘एरोस्पेस इंजीनियरिंग फर्म’ है, इतनाही खुलासा किया है। इस कंपनी पर पिछले साल जुलाई महीने में सायबर हमला किए जाने का दावा किया गया था। लेकिन ऑस्ट्रेलियन यंत्रणाओं को इसकी जानकारी नवम्बर महीने में मिली थी।

सायबर हमला करने वाले ने ‘चायना चॉपर टूल’ का इस्तेमाल करने की साथ ही उसका नाम ‘अल्फ’ है और उसे निष्प्रभ करने में सफलता मिलने की जानकारी ऑस्ट्रेलियन यंत्रणा ने दी है। ऑस्ट्रेलिया के सायबर सुरक्षा विभाग के मंत्री डॅन टेहन ने यह हमला किसी देश के अथवा सरकार का समर्थन मिले हॅकर्स ने किया होगा, ऐसे संकेत दिए हैं। देश का मुख्य दैनिक ‘द ऑस्ट्रेलियन’ ने इस हमले के पीछे चीन के हॅकर्स का हाथ होने का दावा किया है।

इसके पहले भी ऑस्ट्रेलिया के सरकारी विभाग और निजी कंपनियों पर सायबर हमले होने की बात सामने आई थी, ऐसे में इस हमले की जानकारी गोपनीय रखी जाने की वजह से इस बारे में गूढता और भी बढ़ गई है। सन २०१५ और २०१६ में हुए हमलों के पीछे चीनी हॅकर्स का हाथ होने का दावा किया गया था। लेकिन नए सायबर हमले के बाद चीन की ओर ऊँगली दिखाना टाला गया है।

सायबर सुरक्षा विभाग के मंत्री डॅन टेहन ने इस साल निजी क्षेत्र और राष्ट्रीय हितसंबंधों के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण विभागों पर करीब ७०० से अधिक सायबर हमले होने की जानकारी दी है।

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