कोरोना संक्रमित बच्चों में आमतौर पर आसार नहीं दिखते – डॉ.वी.के.पॉल की जानकारी

नई दिल्ली – कोरोना की अगली लहर में अधिक संख्या में छोटे बच्चे संक्रमित हो सकते हैं, ऐसे दावे कुछ विशेषज्ञ लगातार कर रहे हैं। लेकिन, केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग ने इन दावों का कोई भी आधार ना होने का बयान करके इन दावों से इन्कार किया था। हाल ही में मुंबई में किए गए एक सिरो सर्वे के दौरान मुंबई में ५० प्रतिशत छोटे बच्चे कोरोना संक्रमित होने के बाद स्वस्थ हुए हैं, यह अनुमान लगाया गया था। इस सर्वे के दौरान प्राप्त किए गए करीबन ५१ प्रतिशत बच्चों के शरीर में एंटिबॉडी देखी गई थी। इस पृष्ठभूमि पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ नीति आयोग के (स्वास्थ्य) सदस्य डॉ.वी.के.पॉल ने अहम मुद्दों पर ध्यान आकर्षित किया है और बच्चों को लेकर जताई जा रही चिंताएँ दूर करने की कोशिश की है।

कोरोना संक्रमित बच्चों में आमतौर पर कोरोना के लक्षण दिखाई नहीं देते, साथ ही उन्हें अस्पताल में दाखिल करने की मात्रा काफी कम है। कोरोना संक्रमित बच्चों को अस्पताल में दाखिल करने की मात्रा काफी कम हो सकती है, ऐसा डॉ.पॉल ने कहा है। कोरोना के सौम्य संक्रमण वाले अधिकांश बच्चे अस्पताल में दाखिल हुए बगैर ही स्वस्थ हो गए, साथ ही जिन बच्चों को अस्पतालों में दाखिल करना पड़ा उनकी प्रतिरोधक शक्ति काफी कम थी और वे अन्य बिमारियों से भी जूझ रहे थे, इस पर डॉ.पॉल ने ध्यान आकर्षित किया। साथ ही बच्चों में संक्रमण होने ना देने के लिए सभी नियमों का पालन करने की एवं ध्यान रखने की सूचना स्वास्थ्य मंत्रालय ने की है।

कोरोना की दूसरी लहर अभी पूरी खत्म नहीं हुई है। अभी भी ४० से ४५ हज़ार नए मामले रोज़ाना सामने आ रहे हैं और करीबन हज़ार संक्रमितों की मौत हो रही है। महाराष्ट्र, केरल जैसे कुछ राज्यों में अभी भी हर रोज़ १०० से अधिक संक्रमितों की मृत्यू हो रही है और इस पर केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग ने इन राज्यों को सचेत किया है। साथ ही १० प्रतिशत से अधिक पॉज़िटिव रेट वाले जिलों में कन्टेनमेंट ज़ोन के नियमों का सख्ती से पालन करने की सूचना भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की है। इस पर केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने भी इन राज्यों को खत लिखे हैं।

इसी बीच, कोरोना वैक्सीन की वजह से काफी बड़ी मात्रा में गलतफहमी भी है। यह वैक्सीन लगवानेवाले मर्दों में नपुंसकता और स्त्रियों में व्यंधत्व की समस्या निर्माण होती है, ऐसी भी एक गलतफहमी हैं। इस मुद्दे पर भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार के दिन खुलासा किया। कोरोना की वैक्सीन की वजह से नपुंसकता, प्रजनन की क्षमता पर असर होने के किसी भी तरह से वैज्ञानिक सबूत अब तक प्राप्त नहीं हुए हैं, ऐसा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है। पोलिओ का टीका लगाने पर भविष्य में नपुंसकता का सामना करना पड़ सकता है, ऐसी अफवाह कुछ वर्ष पहले फैलाई गई थी, इस ओर भी उन्होंने ध्यान आकर्षित किया। साथ ही वैक्सीन की सभी वैज्ञानिक तरिकों से निरीक्षण एवं जाँच होती है, यह बात भी स्वास्थ्य मंत्रालय ने रेखांकित की।

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