तीन लाख करोड़ रुपयों की बिजली वितरण प्रणाली में सुधार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी

नई दिल्ली – गांव गांव में चौबीस घंटे बिजली उपलब्ध कराने के उद्देश्‍य से बिजली वितरण कंपनियों में (डिस्कॉम) सुधार करने की योजना को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार के दिन मंजूरी प्रदान की। ३.०३ लाख करोड़ रुपयों की इस योजना को केंद्रीय अर्थमंत्रालय ने दो दिन पहले ही मंजूरी प्रदान की थी। अब मंत्रिमंडल की मंजूरी प्राप्त होने से इस योजना का कार्यान्वयन शुरू हो सकेगा। इसके अलावा संसद के अगले सत्र में केंद्र सरकार ‘ईलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल’ यानी बिजली सुधार विधेयक पेश करने की तैयारी में होने की खबरें प्राप्त हुई हैं। सरकार द्वारा किए जा रहे इन सुधारों की ओर देश के बिजली वितरण क्षेत्र की ऐतिहासिक सुधार के नज़रिये से देखा जा रहा है। 

केंद्रीय मंत्रिमंडल की वित्त विषयक समिती (सीसीईए) की बैठक बुधवार के दिन हुई। इस बैठक में बिजली वितरण क्षेत्र से जुड़े अहम सुधार करने की योजना को मंजूरी प्रदान की गई। केंद्रीय बजट में बिजली वितरण क्षेत्र के इस सुधार कार्यक्रम का ज़िक्र किया गया था। अब २८ जून के दिन केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन ने इससे जुड़ी ३.०३ लाख करोड़ रुपयों की योजना को मंजूरी प्रदान की थी। बुधवार के दिन सीसीईए की बैठक में इस पर मुहर लगाई गई। कुल ३.०३ लाख करोड़ रुपयों के इस खर्चे में से ९७,६३१ करोड़ रुपयों का निधी केंद्र सरकार प्रदान करेगी।

इस सुधार कार्यक्रम के अनुसार मौजूदा ‘इंटिग्रेटेड पॉवर डेवलपमेंट स्कीम’ (आयपीडीएस), दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीवायजे) और सौभाग्य योजना का विलय किया जाएगा। ४ लाख किलोमीटर की लो टेन्शन ओवरहेड लाईन्स, २५ करोड़ स्मार्ट मीटर्स, १० हज़ार फीड़र्स खरीदने के लिए इस योजना के तहत मंजूरी दी गई है। साथ ही बिजली वितरण कंपनियों को यानी ‘डिस्कॉम’ कंपनियों को कम ब्याजदर से कर्ज़ उपलब्ध कराया जाएगा। इससे यह कंपनियाँ स्मार्ट मीटर्स एवं अन्य उपकरण खरीद सकेंगी। इन कंपनियों को अपनी बिजली वितरण व्यवस्था सुधारने एवं क्षमता का विस्तार करने के लिए भी इस निधी का इस्तेमाल करने की अनुमति होगी। साथ ही अपने कर्ज़ का भार, आर्थिक भार भी यह कंपनियाँ कम कर सकेंगी।

देश की कुछ बिजली वितरण कंपनियों की स्थिति काफी बिगड़ी हुई है और कोरोना के संकटकाल में इसके माध्यम से केंद्र सरकार ने इन कंपनियों को आर्थिक संकट से बाहर निकलने के लिए आधार दिया है। इसके अलावा राज्य सरकारें भी अपने राज्य की बिजली वितरण व्यवस्था में सुधार के लिए अतिरिक्त कर्ज़ उठा सकेंगे। केंद्र सरकार ने बीते कुछ वर्षों के दौरान बिजली वितरण व्यवस्था में सुधार करने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं। अब इस व्यवस्था को अधिक मज़बूत करने के उद्देश्‍य से यह सुधार किए जा रहे हैं, ऐसी जानकारी केंद्रीय ऊर्जामंत्री आर.के.सिंह ने साझा की। देश के हर जिले के गांव-गांव में २४ घंटे बिजली प्रदान करना एवं सस्ती बिजली उपलब्ध कराना ही इस सुधार का उद्देश्‍य है। बिजली वितरण व्यवस्था मज़बूत होने पर ही यह मुमकिन होगा। इस वजह से खास तौर पर बिजली वितरण व्यवस्था के सुधार की ओर ध्यान दिया जा रहा है।

इसी बीच, सरकार द्वारा संसद के अगले सत्र में बिजली सुधार विधेयक पेश करने के संकेत केंद्रीय मंत्री आर.के.सिंह ने दिए। जनवरी में ही इस विधेयक का प्रस्ताव प्राप्त हुआ था। इसके अनुसार टेलिकॉम क्षेत्र की तरह बिजली ग्राहकों को भी एक ही स्थान पर एक से अधिक बिजली वितरण कंपनियों के विकल्प उपलब्ध हो सकेंगे। ग्राहकों को अपनी बिजली वितरण कंपनी का चयन करना संभव होगा। बिजली निर्माण की तरह वितरण को भी लायसन्स से मुक्त करने का प्रस्ताव इसमें है। इस वजह से अन्य निजी कंपनियाँ भी इस क्षेत्र में उतर सकेंगी।

यानी कि एक से अधिक सर्विस प्रोवाइडर उपलब्ध होने से ग्राहक अपनी इच्छा के अनुसार कंपनी का चयन कर सकेंगे। इससे बिजली वितरण कंपनियों में स्पर्धा बढ़ेगी, वितरण व्यवस्था में सुधार होगा। साथ ही ग्राहकों के अधिकार और बिजली वितरण कंपनियों की ज़िम्मेदारियाँ तय कराना भी मुमकिन होगा।

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