ब्रिटेन ने किया चीन के सरकारी समाचार चैनल का लायसेंस रद – तीन चीनी जासूसों को भी देश से बाहर खदेड़ा

लंदन/बीजिंग – ब्रिटेन और चीन के बीच जारी संघर्ष अधिक तीव्र होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। ब्रिटेन ने दो दिन पहले ही जापान के साथ संयुक्त युद्धाभ्यास करने का ऐलान करने के बाद चीन को दो नए झटके दिए हैं। ब्रिटेन की माध्यम यंत्रणा ने चीन के सरकारी समाचार चैनल ‘चायना ग्लोबल टेलिविजन नेटवर्क’ (सीजीटीएन) का लायसेन्स रद किया है। साथ ही ब्रिटेन की गुप्तचर यंत्रणा में बतौर पत्रकार काम कर रहे चीन के तीन जासूसों को देश के बाहर खदेड़ने की जानकारी प्रदान की है।

britain-chinaब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन और प्रशासन ने बीते वर्ष से चीन के विरोध में अधिकाधिक आक्रामक भूमिका अपनाना शुरू किया है। कोरोना वायरस के मुद्दे पर चीन की जाँच करने के लिए पहल कर रहे ब्रिटेन ने ‘५ जी’, ‘हाँगकाँग’, ‘उइगरवंशी’, ‘साउथ चायना सी’ में जारी चीन की गतिविधियों जैसे मुद्दों पर खुलेआम चीन विरोधी नीति अपनाई है। ब्रिटेन ने कुछ दिन पहले ही चीन के व्यापारी वर्चस्व को चुनौती देनेवाले पैसिफिक व्यापारी समझौते में शामिल होने का ऐलान किया था। चीनी जासूसों को देश से बाहर खदेड़ने के साथ ‘सीजीटीएन’ के विरोध में हुई कार्रवाई की घटना ब्रिटेन ने चीन के विरोध में अपनाई हुई नीति कायम होने की पुष्टि करनेवाली साबित होती है।

चीन के तीन अलग अलग माध्यम कंपनियों में कार्यरत पत्रकार असल में कम्युनिस्ट हुकूमत की ‘मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्युरिटी’ के लिए काम कर रहे थे, यह बात स्पष्ट हुई थी। इसके बाद ब्रिटेन की गुप्तचर यंत्रणा ‘एमआय ५’ ने इन तीनों चीनी जासूसों को देश के बाहर खदेड़ाने की जानकारी ब्रिटीश सूत्रों ने प्रदान की है। ब्रिटेन के गुप्तचर प्रमुख जेरेमी फ्लेमिंग ने दो महीने पहले ही चीन को ब्रिटेन की सुरक्षत्रा के लिए सबसे बड़ा खतरा बताकर चेतावनी दी थी। इस पृष्ठभूमि पर तीन जासूसों को देश के बाहर खदेड़ने की घटना ध्यान आकर्षित करनेवाली साबित होती है।

britain-chinaपत्रकार के तौर पर काम कर रहे चीन के जासूसों को खदेड़ने के बाद ब्रिटेन ने चीन की हुकूमत ने शुरू किए प्रचारयुद्ध का अंग होनेवाले चीनी समाचार चैनल के खिलाफ भी कार्रवाई करने का कदम उठाया है। ब्रिटेन के ‘ऑफिस ऑफ कम्युनिकेशन’ (ऑफ्कॉम) ने चीन के ‘सीजीटीएन’ समाचार चैनल का लायसेन्स रद किया है। ‘स्टार चायना मीडिया’ कंपनी ने चीन के सरकारी समाचार चैनल के लिए लायसेन्स प्राप्त किया था। लेकिन, इस कंपनी का चीनी समाचार चैनल पर किसी भी तरह का नियंत्रण नहीं है और ‘सीजीटीएन’ चीन की शासक कम्युनिस्ट पार्टी चला रही थी, यह बात ‘ऑफ्कॉम’ ने अपने निवेदन में स्पष्ट की है।

britain-chinaब्रिटेन की इस कार्रवाई से चीन की बड़ी बौखलाहट हुई है और तकनीकी मुद्दे पर सियासत हो रही है, यह आरोप चीन के विदेश मंत्रालय ने किया है। ब्रिटेन की कार्रवाई पर चीन उचित प्रत्युत्तर देगा, यह इशारा भी चीन ने दिया है। चीन ने ब्रिटेन की सरकारी वृत्तसंस्था ‘बीबीसी’ के विरोध में भी आलोचना की है। कोरोना वायरस का संक्रमण और उइगरवंशियों के मुद्दे पर ‘बीबीसी’ ‘फेक न्यूज’ फैला रही है, यह आरोप किया गया है। ‘बीबीसी’ ने इस पर हम अपने वृत्तांसक और जानकारी पर कामय होने की बात स्पष्ट की है।

वर्ष २०१० के बाद ब्रिटेन ने चीन के साथ संबंध अधिक मज़बूत और व्यापक करने के लिए बड़ी मात्रा में गतिविधियां शुरू की थीं। ब्रिटेन और चीन में हुए बड़े व्यापारी और निवेश के समझौतों के बाद दोनों देशों के बीच ‘सुवर्णयुग’ शुरू होने के दावे सियसी नेता एवं विश्‍लेषकों ने किए थे। लेकिन, बीते वर्ष से दोनों देशों के संबंधों में बदलाव होने लगा है और ब्रिटेन और चीन के बीच तनाव अधिक बढ़ता हुआ दिख रहा है।

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