पीओके और अरूणाचल भारत का हिस्सा दिखानेवाला नक्शा चीन ने प्रसिद्ध किया

नई दिल्ली – पाकिस्तान ने कब्जा किया कश्मीर का हिस्सा यानी ‘पीओके’ समेत अरूणाचल प्रदेश भारत का हिस्सा होनेवाला नक्शा चीन ने प्रसिद्ध किया है| चीन ने यह नक्शा प्रसिद्ध करना भारत को खुश करने की कोशिश है| चीन अमल कर रहे महत्वाकांक्षी ‘बेल्ट एण्ड रोड इनिशिएटिव्ह’ (बीआरआई) परियोजना के विषय पर परिषद शुरू है?और इस परिषद का भारत हिस्सा हो इस लिए चीन भारत को मनाने की कोशिश कर रहा है| लेकिन भारत ने इस परियोजना पर आपत्ति जताकर इस परियोनजा से जुडी परिषद पर बहिष्कार किया है| उसके बाद चीन ने अब तक अरूणाचल प्रदेश खुद का हिस्सा होने का दावा किया होने के बावजूद अब अरूणाचल प्रदेश और पीओके भारत का ही हिस्सा होने की बात दिखानेवाला नक्शा प्रसिद्ध किया है| इसके लिए चीन ने पाकिस्तान को दुखाने का खतरा भी उठाया दिख रहा है| पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इम्रान खान चीन की यात्रा पर है और ऐसे में हे चीन ने यह नक्शा प्रसिद्ध करना ध्यान आकर्षित करता है|

‘बीआरआई’ के विषय में चीन ने तीन दिन की परिषद का आयोजन किया है| राजधानी बीजिंग में आयोजित की गई इस परिषद में ही चीन की व्यापारमंत्री ने यह नक्शा प्रसिद्ध किया| इस नक्शे में पीओके भारत का हिस्सा दिखाया गया है| ‘बीआरआई’ परियोजना का हिस्सा बने चाइना पाकिस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडॉर परियोजना का रास्ता पीओके से गुजरता है| यह क्षेत्र पाकिस्तान की भूमि नही है और हमारा सार्वभूम भूभाग है, यह बात भारत ने स्पष्ट की है| इसी वजह से भारत ने अपने सार्वभूमता को चुनौती देनेवाली परियोजना को कडा विरोध किया है| लेकिन, पीओके भारत का हिस्सा दिखाकर चीन ने भारत ने जताई आपत्ति दूर करने की तैयारी रखने के संकेत दिए होंगे, यह संभावना चर्चा में है|

सबसे अहम बात यह है की, अरूणाचल प्रदेश पर चीन लंबे समय से अपना हक जता रहा है| लेकिन, अब यह अरूणाचल प्रदेश भी चीन ने भारत का ही हिस्सा नए से प्रसिद्ध किए नक्शे में दिखाया है| यह दिखाकर चीन ने अरूणाचल प्रदेश भी भारत का ही हिस्सा है, यह सच्चाई स्वीकार की है, यह दिखाई दे रहा है| इसके पहले अरूणाचल प्रदेश पर हक जताने के लिए यह प्रदेश दक्षिणी तिब्बत होने का दावा चीन करता रहा है| पिछले महीने में ही चीन ने अरूणाचल प्रदेश भारत का हिस्सा दिखानेवाले करीबन ३० हजार नक्शे नष्ट किए थे| इतना कडा कदम उठाकर चीन ने भारत पर दबाव बढाने की कोशिश की थी| ऐसे में अब चीन की भूमिका में हुआ बदल ध्यान केंद्रीत कर रहा है| इस बदलाव के पीछे ‘बीआरआई परियोजना’ का ही कारण होने की बात कुछ विश्‍लेषक कह रहे है|

‘बीआरआई’ परियोजना के लिए चीन ने अबतक अरबों डॉलर्स का निवेश किया है| लेकिन, यह परियोजना व्यवहार्य नही है, यह आलोचना अर्थशास्त्री करते रहे है| जबतक भारत जैसा देश चीन की इस परियोजना का हिस्सा नही होता, तबतक यह परियोजना व्यवहार्य नही हो सकती, ऐसा इन अर्थशास्त्रीयों का कहना है| इसी लिए चीन ने समय समय पर भारत को इस परियोजना का हिस्सा होने के लिए निवेदन दिया था| इसके लिए चीन ने दबाव बनाने की भी कोशिश की थी| लेकिन, भारत ने इस परियोजना में शामिल होने से डटकर इन्कार किया है| अब चीन भारत को मनाने की कोशिश करके इस परियोजना में शामिल होता है तो भारत ने जताई आपत्ति पर विचार करने के संकेत दे रहा है| लेकिन, इसके बावजूद भारत अपनी भूमिका में बदलाव करने की संभावना नही है|

एक ओर भारत के बाजार का लाभ उठाने वाला चीन दुसरी ओर भारत के हितसंबंधों को झटके देनेवाले निर्णय करता रहा है| ‘पुलवामा’ में हुए आतंकी हमले के बाद भी चीन ने इस हमले के लिए जिम्मेदार आतंकी ‘जैश’ संगठन का प्रमुख मसूद अजहर को बचाने का निर्णय किया था| इसपर भारतीय जनता ने कडा क्रोध व्यक्त किया है| ‘न्यूक्लिअर सप्लायर्स ग्रूप’ की सदस्यता भारत को प्राप्त ना हो, इसके लिए भी चीन ने कोशिश की थी| साथ ही पाकिस्तान को हरतरह की सहायता करके चीन काफी समय से पाकिस्तान का इस्तमाल भारत के विरोध में करता रहा है| साथ ही भारत के पडोसी देशों पर अपना प्रभाव बढाकर चीन ने भारत पर सामरिक दबाव बढाने की कोशिश भी की है| ऐसी स्थिति में भारत अपनी ‘बीआरआई’ परियोजना में शामिल हो, यह चीन की फिजूल अपेक्षा है, इस ओर भारतीय विश्‍लेषक ध्यान आकर्षित कर रहे है|

अमरिका के विरोध में व्यापार युद्ध शुरू है और ऐसे में चीन को ‘बीआरआई’ परियोजना कामयाब करना जरूरी हुआ है| इसके लिए भारत के साथ समझौता करने की तैयारी चीन दिखा रहा है| लेकिन, यह तैयारी यानी चीन के दांवों का हिस्सा साबित होती है| इस स्थिति को लेकर भारत को एहसास है और भारत चीन से रखे जा रहे प्रस्ताव की ओर काफी सावधानी से देखता दिखाई दे रहा है|

Leave a Reply

Your email address will not be published.