चीन सीमा पर स्थित नागरिक भारत की ‘स्ट्रेटेजिक एसेट’- केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह

नई दिल्ली/जोशीमठ: चीन की सीमा इलाके में रहने वाले नागरिक भारत की ‘स्ट्रेटेजिक एसेट’ हैं। सीमा इलाके से इन नागरिकों का स्थानांतरण सुरक्षा के दृष्टिकोण से घातक साबित होगा, ऐसा इशारा केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने दिया है। साथ ही चीन की सीमा इलाकों के गाओं से नागरिकों का होने वाला स्थानांतरण रोकने के लिए राज्य सरकार और सुरक्षा दल बड़े पैमाने पर कोशिश करें, ऐसा आवाहन केन्द्रीय गृहमंत्री ने किया है।

‘स्ट्रेटेजिक एसेट’

गृहमंत्री राजनाथ सिंह इन दिनों उत्तराखंड में स्थित चीन सीमा इलाके के दौरे पर हैं और उन्होंने शनिवार को इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिसों के (आईटीबीपी) लापथल और रीमखिम इन अति ऊंचाई पर स्थित चौकियों का मुआइना किया। पिछले २० सालों में इन चौकियों का दौरा करनेवाले यह पहले गृहमंत्री हैं। शुक्रवार को राजनाथ सिंह ने चमोली में स्थित माना चौकी को भेंट दी थी। भारत और चीन के बीच डोकलाम विवाद खत्म होने के बाद राजनाथ सिंह का उत्तराखंड में स्थित चीन सीमा का यह दौरा महत्वपूर्ण माना जाता है। लदाख और अरुणाचल के साथ उत्तराखंड के भी कुछ इलाकों पर चीन की ओर से दावा किया जाता है। चमोली सेक्टर में चीनी सैनिकों की घुसपैठ की घटनाएं बढ़ गई हैं और इसी पृष्ठभूमि पर चीन सीमा पर बुनियादी सुविधाएँ और रक्षा सज्जता बढाने की और इन कार्यों को गति देने की कोशिश शुरू है। इस दृष्टिकोण से राजनाथ सिंह का यह दौरा महत्वपूर्ण है।

‘आईटीबीपी’ के फर्स्ट बटालियन के जवानों के साथ चर्चा करते हुए केन्द्रीय गृहमंत्री ने सीमा इलाके में रहने वाले नागरिकों का सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्व अधोरेखित किया है। साथ ही इन नागरिकों के स्थानांतरण पर चिंता जताई। भारत-चीन की सीमा इलाके में रहने वाले नागरिकों ने किसी भी परिस्थिति में स्थानांतरण करना नहीं चाहिए। यह नागरिक भारत की ‘स्ट्रेटेजिक एसेट’ हैं। उनको ज्यादा महत्व देना चाहिए। नागरिकों ने सीमा इलाके से स्थानांतरण किया, तो सीमा सुरक्षा की दृष्टिकोण से यह बात अच्छी नही होगी, ऐसा राजनाथ सिंह ने कहा है।

पाकिस्तान के साथ चीन सीमा पर भी कई घटनाओं में घुसपैठ और संदिग्ध गतिविधियों की सूचनाएं इन स्थानीय नागरिकों ने दी है। इस दृष्टिकोण से गृहमंत्री ने जताई चिंता का महत्व अधोरेखित होता है। सीमा पर रहने वाले नागरिक सुरक्षा की दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण हैं और उनके साथ संवाद बढाकर इस स्थानांतरण को रोकना चाहिए। इसके लिए सीमा पर तैनात सुरक्षा दल और राज्य सरकार ने बड़े पैमाने पर कोशिश करना आवश्यक है, ऐसा राजनाथ सिंह ने कहा है।

साथ ही भारत और चीन के बीच ‘डोकलाम’ विवाद ‘व्यूहरचनात्मक चर्चा’ से सुलझा है, इस बात को अधोरेखित करते हुए दुनिया का कोई भी देश संघर्ष नहीं चाहता है, ऐसा भी गृहमंत्री ने कहा है।

 चीन की ओर से निमंत्रण न होने की वजह से ‘भारत-चीन सीमा बैठक’ रद्द
नई दिल्ली: भारत और चीन के सीमा सुरक्षा दलों के बीच हर साल होने वाली बैठक रद्द होने के संकेत भारत ने दिए हैं। इस बैठक के लिए चीन की ओर से न्योता दिया जाता है और इस वर्ष १ अक्टूबर तक चीन ने न्योता नहीं दिया है, ऐसी जानकारी वरिष्ठ अधिकारी ने दी है। चीन के इस निर्णय के पीछे ‘डोकलाम’ मुद्दा होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।

हर साल भारत और चीन सीमा पर पांच जगहों पर दोनों देशों के सीमा सुरक्षा दलों के बीच ‘बॉर्डर पर्सोनेल मीटिंग’ (बीपीएम) पूरी होती है। इस समय दोनों देशों के सुरक्षा दलों के वरिष्ठ अधिकारी और जवान एक दूसरे से मिलते हैं और अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। भारत और चीन की अधिकृत नियंत्रण रेखा ३ हजार ४८८ किलोमीटर की है और इसी इलाके में ‘बीपीएम’ का आयोजन होता है। पूर्व लदाख और अरुणाचल प्रदेश की प्रत्येकी दो जगह और सिक्किम की एक जगह इसके लिए निश्चित की गई है। इसके पहले ‘बॉर्डर पर्सोनेल मीटिंग’ १६ अगस्त को लेह इलाके के चुशूल में आयोजित हुई थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published.