खराब दर्जा के कारण चीन के हथियारों की निर्यात फिसली – अंतरराष्ट्रीय अभ्यास गुट एवं विश्लेषकों का दावा

वॉशिंग्टन – कम कीमत में आधुनिक हथियारों की निर्यात करके अमरीका और रशिया से स्पर्धा करने की मंशा रखने वाले चीन के हथियारों की खामियां अब सामने आयी हैं। खराब दर्जा और विश्वासघाती प्रदर्शन के कारण चीन के हथियारों की निर्यात २५ प्रतिशत फिसलने का दावा ‘डायरेक्टस’ नामक अंतरराष्ट्रीय अभ्यास गुट ने किया है। चीन की पिपल्स लिबरेशन आर्मी भी इस खराब दर्जा के हथियारों की समस्या का सामना कर रही हैं, ऐसा यह रपट कह रही हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर के अन्य अभ्यास गुट एवं संगठन और विश्लेषकों ने भी चीन के हथियारों के खराब दर्जा पर गौर किया है। 

हथियारों की निर्यातचीन दुनिया के ५३ से ज्यादा देशों को हथियार निर्यात करता हैं। अमरीका या फ्रान्स से महंगे हथियार खरीद करने की क्षमता न रखने वाले यह देश उन्हीं हथियारों की नकल सस्ती कीमत से चीन से खरीदते हैं। इनमें पाकिस्तान, म्यांमार, बांगलादेश, नाइजीरिया और अन्य अफ्रीकी देश एवं खाड़ी देश सबसे आगे हैं। लेकिन, इनमें से कुछ देश फिलहाल चीन के इन हथियारों पर अविश्वास दिखाने लगे हैं।

म्यांमार ने खुलेआम चीनी लड़ाकू विमानों को ‘गाउंडेड’ यानी उड़ान भरने से रोक है। म्यांमार की वायु सेना के लिए यह एक अपनाया दर्द बना है। वहीं, नाइजीरिया ने भी चीन के ‘चेंगडू एhफ-७’ लड़ाकू विमानों को लेकर शिकायत की है। चीन ने इन विमानों को दुरुस्त करने के लिए अधिकारी भेजे थे। लेकिन, इसका खर्चा नाइजीरिया के लिए सिरदर्द बना हैं। चीन के करीबी मित्र देश पाकिस्तान भी चीन से खरीदे लड़ाकू विमान और ‘एफ-२२ पी’ विध्वंसकों को लेकर दबी आवाज़ में शिकायत कर रहा हैं।

लड़ाकू विमान, विध्वंसकों के साथ ही चीन के टैंक, सैन्य वाहन और अन्य छोटे हथियारों को लेकर भी संबंधित देश ऐसी ही शिकायते कर रहे हैं। वर्ष २०१६ से २०२० के पांच सालों में चीन के हथियारों की निर्यात ७.८ प्रतिशत कम हुई हैं, ऐसा दावा ‘सिप्री’ ने किया है। इसके अलावा कम कीमत का लालच दिखाकर चीन गुप्त शर्तों के ज़रिये इन देशों को निचोड़ रहा हैं, ऐसा आरोप रैन्ड कॉर्पोरेशन की विश्लेषिका सिंडी झेंग ने लगाया है।

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