बिजली की किल्लत का हल निकालने के लिए चीन की रशिया की ओर दौड़

मास्को/बीजिंग – महासत्ता होने की ड़ींग लगानेवाले चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत को अपनी बिजली की ज़रूरत पूरी करने के लिए रशिया की ओर दौड़ लगानी पड़ी है। रशिया और चीन के बीच स्थापित की गई ‘अमुर-हैहे इलेक्ट्रिक ट्रान्समिशन लाईन’ के माध्यम से हो रही बिजली की आपूर्ति दोगुनी करने की माँग चीन ने की है। रशियन कंपनी ने इसकी पुष्टी की है और १ अक्तुबर से चीन को हो रही बिजली सप्लाई बढ़ाई जाएगी, ऐसा कहा है।

बीते कुछ महीनों से चीन के कई प्रांतों को बिजली की किल्लत का लगातार सामना करना पड़ रहा है। इससे चीन के हज़ारों उद्योगों को नुकसान पहुँचा है और लगभग १० करोड़ से अधिक नागरिकों को बिजली कटौती का सामना करना पड़ा है, यह जानकारी स्पष्ट हुई है। बिजली की किल्लत से चीन में स्थित विदेशी कंपनियों के उत्पादन पर असर पड़ा है और इससे अर्थव्यवस्था का भी नुकसान हो सकता है, यह दावा किया जा रहा है।

अगले महीने में पर्यावरण के मुद्दे पर जागतिक परिषद का आयोजन हो रहा है और साथ ही २०२२ में आयोजित होनेवाले ‘विंटर ऑलिम्पिक्स’ की पृष्ठभूमि पर चीन की शासक कम्युनिस्ट हुकूमत ने प्रदूषण का स्तर कम करने के लिए कोयले का उत्पादन कर रही खदानें और कोयले से बिजली निर्माण कर रहे प्रकल्पों को उत्पादन कम करने के आदेश दिए हैं। चीन में ५० प्रतिशत से अधिक बिजली का निर्माण कोयले के ज़रिये होता है। इसके बावजूद कोयला क्षेत्र को लक्ष्य किए जाने से बिजली उत्पादन भी कम हुआ है।

इसी बीच नैसर्गिक वायु की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है और जल बिजली प्रकल्पों में तकनीकी खराबी ने मुश्‍किलें बढ़ाई हैं। चीन की जनता द्वारा वैश्‍विक स्तर की तुलना में बिजली का इस्तेमाल अधिक होता है। बिजली के निर्माण में गिरावट और इस्तेमाल में बढ़ोतरी होने की स्थिति के कारण चीन में बिजला आपूर्ति का गणित बिगड़ा है। चीन एवं अंतरराष्ट्रीय माध्यमों में जारी जानकारी के अनुसार सबसे अधिक नुकसान दक्षिणी हिस्से के ग्वांगडौंग प्रांत के साथ ईशान कोण चीन के लिओनिंग, जिलिन, हेलोन्गजिआंग प्रांतों को पहुँचा है।

ईशान कोण चीन के लियोनिंग, जिलिन, हेलोन्गजिआंग प्रांत की जनसंख्या १० करोड़ से अधिक है और अर्थव्यवस्था में भी इनका हिस्सा अहम माना जाता है। चीन के सरकारी माध्यमों के साथ सोशल मीडिया पर भी इसकी गूँज सुनाई दे रही है। इस वजह से इन प्रांतों में बिजली की किल्लत का मुद्दा चीन की शासक हुकूमत के नज़रिये से अहम साबित होता है। इसी के लिए रशिया की ओर दौड़ लगाई जाने की बात कही जा रही है।

रशिया और चीन में वर्ष २०१२ से ‘अमुर-हैहे इलेक्ट्रिक ट्रान्समिशन लाईन’ सक्रिय है। इस यंत्रणा के माध्यम से रशिया चीन को ७५० मेगावैट बिजली की आपूर्ति करती है। इसके लिए चीन ने २५ वर्ष के लंबे समय का समझौता भी किया है।

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