काबुलस्थित गुरुद्वारा पर के हमले का सूत्रधार गिरफ़्तार – अफगानी सुरक्षा यंत्रणाओं की संयुक्त कार्रवाई

२५ मार्च को अफगानिस्तान के काबुलस्थित गुरुद्वारा पर हुए हमले का सूत्रधार मौलवी अब्दुल्ला या अस्लम फारुखी को गिरफ़्तार किया गया है। बीस सहकर्मियों के साथ गिरफ़्तार किया गया फारुखी पाकिस्तानी है। लश्कर-ए-तोयबा और हक्कानी नेटवर्क इन आतंकवादी संगठनों के साथ मौलवी अब्दुला के ताल्लुकात थे। इन दिनों वह अफगाणिस्तान के ‘खोरासान’ इस आतंकवादी संगठन के लिए काम कर रहा था।

काबुल में हुए इस हमले में २२ शीखधर्मिय मारे गये थे। इस हमले की दुनियाभर से निंदा की गयी थी। भारत ने कड़े शब्दों में इसका निषेध दर्ज़ किया था। इस पार्श्वभूमि पर, अफगानी सुरक्षा यंत्रणाओं ने संयुक्त रूप में कार्रवाई करके मौलवी अब्दुल्ला को उसके यीस सहकर्मियों के साथ कब्ज़े में ले लिया। मौलवी अब्दुला लश्कर-ए-तोयबा का पूर्व सदस्य है। उसने पाकिस्तान के ‘आयएसआय’ द्वारा सुरक्षा प्राप्त तालिबान के हक्कानी गुट के लिए भी काम किया था।

इन दिनों मौलवी अब्दुल्ला ‘इस्लामिक स्टेट ऑफ खोरासान प्रोविंस’ (आयएसकेपी) इस आतंकवादी संगठन के आमिर के रूप में काम कर रहा था। भारत ने कश्मिर में चलायी कार्रवाई का बदला लेने के लिए मौलवी अब्दुल्ला ने काबुलस्थित भारतीय दूतावास को लक्ष्य बनाने का तय किया था। लेकिन इस दूतावास को प्रदान की गयी कड़ी सुरक्षा के कारण मौलवी अब्दुला यह आतंकी हमला नहीं कर सका।

अफगानिस्तानस्थित पाकिस्तान पुरस्कृत आतंकवादी गुट इस देश में होनेवाले भारतीय हितसंबंधों को लक्ष्य बनाने की साज़िशें रचते आये हैं। इस साज़िश के पीछे पाकिस्तान का कुख्यात गुप्तचर संगठन आयएसआय है, यह बात सामने आयी थी। अफगानी गुप्तचर यंत्रणा और अमरीका ने भी यह मान्य किया था। इसके लिए पाकिस्तान का भारतविरोधी रवैया ज़िम्मेदार है, ऐसा आरोप भारत ने किया था।

इसके बावजूद भी पाकिस्तान ने अपना यह रवैया त्याग नहीं दिया है। अब जल्द ही अफगानिस्तान पर तालिबान की हुक़ूमत होगी, फिर उसका इस्तेमाल भारत के ख़िलाफ़ कर सकेंगे, ऐसे ख़्वाब पाकिस्तान के लष्करी अधिकारी और भारतविद्वेषी गुट कर रहे हैं। इसके बाद पाकिस्तान अपने कुटिल कारनामें वास्तव में ला रहा होने के संकेत मिल रहे हैं। काबुल के गुरुद्वार पर के हमले का सूत्रधार मौलवी अब्दुल्ला के पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों के साथ होनेवाले तालुकात यही दर्शा रहे हैं।

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