‘दलाई लामा के अरुणाचल प्रदेश दौरे का चीन राजनैतिक अर्थ न निकालें’ : भारत का आवाहन

नयी दिल्ली, दि. ९: सरकार और भारतीय जनता दलाई लामा को आदरणीय धार्मिक नेता के रूप में देखती हैं| उनके दौरे पर भारत सरकार का नियंत्रण नहीं है| इस वजह से दलाई लामा के अरुणाचल प्रदेश के दौरे का चीन राजनैतिक अर्थ न निकालें, ऐसा आवाहन भारत के विदेशमंत्रालय ने किया है| दलाई लामा अरुणाचल प्रदेश का दौरा करनेवाले हैं और इस दौरे के परिणाम भारत को भुगतने पड़ सकते हैं, ऐसी धमकी चीन द्वारा दी जा रही है| इस पृष्ठभूमि पर, भारत के विदेशमंत्रालय ने यह खुलासा किया है|

सरकार और भारतीय जनता

‘अरुणाचल प्रदेश भारत का राज्य नहीं है, बल्कि यह चीन का भूभाग है’ ऐसा दावा चीन की ओर से किया जाता है| अरुणाचल प्रदेश का उल्लेख चीन ‘दक्षिण तिबेट’ ऐसा ही करता है| इस वजह से, पिछले कुछ सालों से भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपती ने अरुणाचल प्रदेश का दौरा करने के बाद चीन की ओर से निषेध व्यक्त किया जाता है| विदेशी राजनैतिक अधिकारियों ने इस राज्य का दौरा करने के बाद भी चीन की ओर से तीखी प्रतिक्रिया दी जाती है| इस पृष्ठभूमि पर, बौद्ध धर्मगुरू और तिबेट के नेता दलाई लामा के अप्रैल महीने में हो रहे अरुणाचल प्रदेश दौरे पर चीन की ओर से धमकी देना शुरू हुआ है| चीन की सरकारी मिडिया ने इस दौरे पर धमकी देना जारी किया है|

दलाई लामा ने यदि अरुणाचल प्रदेश का दौरा किया, तो इसके परिणाम दिखाई देंगे| भारत को इस के परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं, ऐसी चेतावनी चीन के सरकारी अखबार ने दी है| यही नहीं, बल्कि दलाई लामा का भारत द्वारा चीन के खिलाफ राजनैतिक इस्तेमाल किया जा रहा है, ऐसी आलोचना इस अखबार ने की है| लेकिन दलाई लामा का पभाव काफी मर्यादित है, यह भारत को भुलना नहीं चाहीए, ऐसा भी चीन ने अखबार में कहा है| अधिकृत स्तर पर चीन ने, दलाई लामा के इस नियोजित दौरे पर चिंता जताई है| चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने दलाई लामा पर किचड उछाला है|

इस पृष्ठभूमि पर, भारत के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने इस संदर्भ में भारत की भूमिका स्पष्ट की| दलाई लामा को भारत सरकार और जनता आदरणीय धार्मिक नेता के रूप में देखती है| वे भारत में किसी भी जगह का दौरा कर सकते हैं और उनके दौरे पर सरकार का नियंत्रण नहीं हो सकता| दलाई लामा का अरुणाचल प्रदेश दौरा यह निजी बात है| इससे चीन को राजनैतिक मतलब नहीं निकालना चाहिए, ऐसा कहते हुए बागले ने चीन का दावा खारिज किया है| इससे पहले भी दलाई लामा को लेकर चीन ने लगाए इल्ज़ाम पर भारत ने इसी तरह की प्रतिक्रिया दर्ज की थी| लेकिन चीन ने भारत के स्पष्टीकरण को स्वीकारा नहीं था|

कुछ महीने पहले, दलाई लामा अमरीका के दौरे पर गए थे, तब भी चीन ने इसी तरह की तीखी प्रतिक्रिया दी थी| दलाई लामा का प्रभाव काफी मर्यादित होने की टिप्पणी करनेवाली चीन की मिडिया ही दलाई लामा के भारत में किये जानेवाले और विदेश दौरों पर संवेदनशीलता दिखा रही है और इसको काफी बड़ी पब्लिसिटी दे रही है| इससे यही दिखायी दे रहा है कि लामा के दौरे का सबसे ज़्यादा असर चीन पर ही हो रहा है| पिछले साल के जून महीने में, अमरीका के तत्कालीन राजदूत रिचर्ड वर्मा ने भी अरुणाचल प्रदेश की भेंट की थी| इसपर भी चीन ने कड़ी नाराज़गी जताई थी|

भारत और चीन के पास सीमाविवाद सुलझाने के लिए ज़रूरी प्रगल्भता है| इसलिए अमरीका इस सीमाविवाद में दखलअंदाजी न करें, ऐसा चीन ने अमरीका के राजदूत वर्मा के दौरे के बाद सुनाया था| उस वक्त भी भारत ने, अमरीका के राजदूत का यह दौरा राजनैतिक नहीं है ऐसा कहते हुए, वे भारत के किसी भी भूभाग का दौरा कर सकते हैं, ऐसी फ़टकार चीन को लगायी थी|

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