सीमा पर शांति बनाए रखनी है तो चीन को समझौतों का पालन करना होगा – विदेशमंत्री एस.जयशंकर

नई दिल्ली – प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा पर निर्माण हुआ तनाव कम करने के लिए भारत राजनीतिक और लष्करी बातचीत कर रहा है। तभी चीन तिब्बत की सीमा के करीब बड़ी मात्रा में लष्करी तैनाती कर रहा है। ऐसे में चीन को सीमा पर शांति बनाए रखनी है तो उसे समझौतों का पालन करना होगा, ऐसे स्पष्ट शब्दों में विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने चीन को इशारा दिया। साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का उभरना और बढ़ रही अहमियत पूरे विश्‍व ने मंजूर किया है, यह कहकर विदेशमंत्री जयशंकर ने स्थिति में बदलाव होने का एहसास चीन को दिलाया है।

समझौतों का पालन

विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने लिखे ‘द इंडिया वे: स्ट्रैटेजीस्‌ फॉर ऐन अन्सर्टन वर्ल्ड’ नाम की बुक जल्द ही प्रकाशित हो रही है। इस बुक को लेकर और प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा पर बने तनाव के संबंध में एक समाचार पत्र से बातचीत करते समय विदेशमंत्री जयशंकर ने चीन पर आलोचना की। ‘१९९३ से अब तक भारत ने चीन के साथ समय समय पर कुछ समझौते किए हैं। इन समझौतों के अनुसार प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा पर कम से कम सेना की तैनाती करने पर सहमति हुई थी। लेकिन, अब वैसी स्थिति नहीं रही। क्योंकि, चीन ने इस सीमा पर बड़ी मात्रा में सेना तैनात करके इन समझौतों का उल्लंघन किया है।’, ऐसी फटकार भारतीय विदेशमंत्री ने लगाई। साथ ही प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा पर शांति और स्थिरता बनाए रखनी है तो हमें पहले किए गए समझौतों का पालन करना होगा, इस बात की याद भी विदेशमंत्री जयशंकर ने दिलाई।

प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा के मुद्दे पर दोनों देशों के दृष्टीकोण में फरक होने की बात जयशंकर ने स्वीकार की। लेकिन, फिर भी कोई भी देश एक तरफा निर्णय करके इस सीमा की स्थिति में बदलाव नहीं ला सकता और यही बात इन समझौतों में स्पष्ट तौर पर दर्ज़ की गई है, ऐसा जयशंकर ने ड़टकर कहा। लेकिन, इसका पालन ना होने पर ऐसी अप्रिय घटनाएं होती रहेंगी, यह बात विदेशमंत्री ने स्पष्ट की। साथ ही ‘चीन ने बीते कुछ दशकों में अपना विकास किया है तो भारत ने भी इस दौरान बड़ी प्रगति की है। चीन की तरह भारत की भी कुछ महत्वाकांक्षाएं हैं। ऐसी स्थिति में मध्य मार्ग की खोज करने की आवश्‍यकता है और दोनों देशों को एक-दूसरे के हितसंबंधों का सम्मान करने की आवश्‍यकता है। लेकिन, बीते कुछ महीनों में जो कुछ हुआ वह देखे तो यह इतना आसान नहीं होगा’, यह बात भी जयशंकर ने स्वीकारी।

बीते कुछ महीनों में भारतीय कंपनियों ने चीन को लेकर अपनाई भूमिका की ओर विदेशमंत्री जयशंकर ने ध्यान आकर्षित किया हुआ दिखाई दे रहा है। चीन से आयात हो रहे अरबों डॉलर्स के सामान पर भारतीय कंपनियां और जनता ने बहिष्कार करना शुरू किया है और इससे चीन को आर्थिक झटका लगने लगा है। दो दिन पहले ही भारतीय इंधन कंपनियों ने चीन से इंधन खरीदना बंद करने का बड़ा निर्णय लिया है। सौदी अरब की अराम्को ने चीन के साथ इंधन क्षेत्र में किए सहयोग से पीछे हटने के बाद भारतीय कंपनियों ने चीन को दिया हुआ यह बड़ा झटका समझा जा रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.