रशिया-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर चीन द्वारा मध्य एशियाई देशों में अपना प्रभाव बढ़ाने की गतिविधियां – सेंट्रल एशिया समिट का आयोजन करने की पहल

बीजिंग – यूक्रेन युद्ध में रशिया व्यस्त होने के दौरान ही चीन ने रशिया के प्रभाव वाले मध्य एशियाई देशों के सहयोग अधिक मज़बूत करने की गतिविधियां शुरू की हैं। चीन में पांच मध्य एशियाई देशों के दो दिवसीय परिषद का आयोजन किया गया है। इसमें द्विपक्षीय मुलाकात के साथ ही सामूहिक बैठक का भी समावेश है। चीन की जारी इन कोशिशों के दौरान ही रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने कझाकस्तान के राष्ट्राध्यक्ष के साथ फोन पर बातचीत करने का वृत्त रशियन वृत्तसंस्था ने प्रदान किया है। 

मध्य एशियाईकिसी समय रशियन संघ राज्य का हिस्सा रहे मध्य एशियाई देशों में रशिया ने अभी भी अपना प्रभाव बनाए रखा है। इन देशों में कझाकस्तान, उझबेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, किरगिझिस्तान और ताजिकिस्तान का समावेश है। इनमें से अधिकांश देश ईंधन और खनिज समृद्ध देश कहे जाते है। रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने इन देशों में रशियन हितसंबंध कायम रखने के लिए स्वतंत्र गुट गठित करने के साथ ही व्यापक वित्तीय सहायता की राह अपनाई थी।

यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर रशिया का इन देशों पर बना प्रभाव कम होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं और इसके लिए पिछले दशक से चीन की जारी गतिविधियां वजह बनी हैं। चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने अपनी महत्वाकांक्षी ‘बेल्ट ॲण्ड रोड इनिशिएटिव’ में मध्य एशियाई देशों पर विशेष जोर दिया था। इन देशों के ईंधन और खनिज संसाधनों पर चीन ने अपनी नज़र रखी है और इस क्षेत्र में अरबों डॉलर्स निवेश किए हैं।

गुरुवार और शुक्रवार इन दो दिनों में आयोजित ‘सेंट्रल एशिया समिट’ निवेश और साथ ही प्रभाव बढ़ाने की कोशिशों का हिस्सा दिख रहा हैं। इससे पहले चीन ने इस क्षेत्र में किए हस्तक्षेप पर रशिया ने तीव्र प्रतिक्रिया दर्ज़ की थी। रशिया ने चीन को एवं चीन के करीब जा रहे मध्य एशियाई देशों को सटिक फटकार भी लगाई थी। लेकिन, इसके बावजूद चीन ने अपनी नीति में बदलाव नहीं किया, उल्टा यूक्रेन युद्ध का लाभ उठाने के लिए अधिक आक्रामक गतिविधियां शुरू करने की बात दिख रही है। 

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