चीन ने ‘कोरोना’ के सबूत नष्ट किए होंगे – ब्रिटेन के पूर्व गुप्तचर प्रमुख की आशंका

लंदन – ‘कोरोना का विषाणु प्राकृतिक नहीं है, इसे चीन के वुहान लैब से ही संक्रमित किया गया, इस दावे की ओर कुछ दिन पहले तक ‘कॉन्स्पिरसी थिअरी’ के तौर पर देखा जा रहा था। लेकिन, अब इस थिअरी की ओर बड़ी गंभीरता से देखा जा रहा है। ऐसा होते हुए भी, चीन ने वुहान की लैब में कोरोना के सभी सबूत नष्ट किए होने की संभावना है। इस वजह से यह साबित करना कठिन हुआ है कि कोरोना का विषाणु चीन ने ही विकसित करके संक्रमित किया। इसके लिए अपने जान की परवाह किए बगैर, चीन में ही मौजूद किसी वैज्ञानिक को आगे आना होगा’, ऐसा बयान ब्रिटेन की गुप्तचर संस्था ‘एमआय ६’ के पूर्व प्रमुख रिचर्ड डिअरलव्ह ने किया है।

कोरोना संक्रमण यानी चीन की अन्तर्राष्ट्रीय साज़िश है और इसके ज़रिये चीन ने जैविक युद्ध ही शुरू किया है, इन आरोपों को समर्थन प्राप्त होने लगा है। ‘एमआय ६’ के पूर्व प्रमुख रहें ‘रिचर्ड डिअरलव्ह’ ने इससे पहले भी, कोरोना संक्रमण को लेकर चीन पर आंशका व्यक्त करने की याद दिलाई। उस समय हमारा कहना ठुकराया गया था। लेकिन, अब इसकी ओर ‘कॉन्स्पिरसी थिअरी’ के तौर पर ना देखते हुए, उसपर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। ब्रिटेन के गुप्तचर विभाग ने भी, यह महामारी वुहान लैब से जानबूज़कर संक्रमित की गई हो सकती है, यह बात स्वीकारी है। इस बदलाव पर ध्यान आकर्षित करके डिअरलव्ह ने, ट्रम्प ने कोरोना के मुद्दे पर चीन पर किए आरोपों की ओर भी इसी तरह से अनदेखा किया गया, इस पर गौर फरमाया।

कोरोना का विषाणु अगर चीन ने विकसित किया है और इसकी जड़ें ‘वुहान इन्स्टिट्युट ऑफ वायरॉलॉजी’ में हैं, तो भी यह बात सबूतों के साथ साबित करना काफी कठिन होगा, इस बात का अहसास डिअरलव्ह ने कराया। चीन ने यह सबूत नष्ट किए होंगे। चीन की हुकूमत, अपने खिलाफ जानेवाली हर एक बात और व्यक्ति को खत्म करने के लिए बदनाम है। चीन की कम्युनिस्ट सरकार की यह अधिकृत नीति ही है। इस तरह से अपने विरोध में जानेवालों को ‘शांत’ करने की पद्धति से जनतांत्रिक देश सहमत नहीं हो सकते। लेकिन, चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत इस तरह की निर्दयता के लिए मशहूर है। इस वजह से यही संभावना अधिक बनती है कि चीन ने कोरोना से संबंधित पूरी जानकारी नष्ट की होगी’, यह दावा डिअरलव्ह ने किया।

गुप्तचर प्रमुखऐसी स्थिति में, कोरोना संबंधित वैज्ञानिक जाँच पर ही काफी कुछ निर्भर होगा। नहीं तो जान की परवाह किए बगैर चीन में स्थित कोई वैज्ञानिक आगे आया, तो ही कोरोना से संबंधित सबूत विश्‍व के सामने आएँगे। लेकिन, इससे पहले ऐसी जानकारी देनेवाले चीन से गायब हुए हैं, इस बात पर भी डिअरलव्ह ने ध्यान आकर्षित किया। साथ ही, यदि चीन का यह गुनाह साबित हुआ भी, तो भी क्या यह देश विश्‍व को इसका हर्जाना चुकाने के लिए तैयार होगा, यह सवाल डिअरलव्ह ने किया।

दुनियाभर के देशों के साथ चीन के संबंधों को मद्देनजर करें, तो चीन हर्ज़ाना देने की ज़्यादा संभावना नहीं है, यह अनुमान डिअरलव्ह ने व्यक्त किया। इसी बीच, चीन ने जानबूझकर कोरोना की महामारी विश्‍वभर में संक्रमित की, इन आरोपों की तीव्रता बढ़ रही है। इसका असर दिखाई देने लगा है और रोज़ाना चीन पर आरोप लगानेवाले और आशंका जतानेवाले लेख पश्‍चिमी माध्यमों में प्रकाशित हो रहे हैं।

इसका प्रभाव दिखाई देने लगा है और चीन पर इससे काफी दबाव बढ़ रहा है। अमानुष कार्रवाईयाँ करनेवाला निर्दयी देश, यह चीन की छवि बनी हैं और अगर यही छवि कायम रही, तो चीन का महासत्ता होना कभी भी संभव नहीं होगा, यही बात अब चीनी विश्‍लेषक कह रहे हैं। ऐसी स्थिति में, अपनी छवि सुधारने की कोशिश करें, यह संदेश चीन के राष्ट्राध्यक्ष ने अपने राजनीतिक अफसरों को दिया है।

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