उपनिवेशवाद विरोधी निर्णय कर रहे भारत को चीन का नैतिक और भावनात्मक समर्थन – चीन के सरकारी मुखपत्र का संदेश

बीजिंग – भारत ने निर्माण किए नए संसद भवन का चीन ने स्वागत किया है और इसके लिए चीन के सरकारी मुखपत्र ने भारत का अभिनंदन किया है। नए संसद भवन का निर्माण करके भारत ने उपनिवेशवाद के चिन्ह मिटाने का निर्णय किया है। इसके लिए चीन का नैतिक और भावनात्मक समर्थन भारत को होगा, यह दावा ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने किया। साथ ही भारत ने पश्चिमी देशों के नए उपनिवेशवाद से भी चौकस रहना होगा, ऐसी सलाह चीन के सरकारी मुखपत्र ने दी है। 

उपनिवेशवादभारत के पुरानी संसद भवन का निर्माण ब्रिटिश दौर में हुआ था और इस वजह से यह भवन उपनिवेशवाद की याद दिला रही थी। इसी वजह से नए संसद भवन का निर्माण करके प्रधानमंत्री मोदी ने आत्मनिर्भर भारत खड़ा करने की दिशा में अहम कदम बढ़ाते दिख रहे है। यह नया भारत आत्मविश्वास से भरा होने का दावा ग्लोबल टाईम्स ने किया। ऐसी सराहना करते समय अमरीका और अन्य पश्चिमी देशों ने भारत को फंसाने के लिए जाल लगाया हैं, ऐसी चेतावनी भी ग्लोबल टाईम्स ने दी।

अमरीका और पश्चिमी देश लगातार भारत की सराहना कर रहे हैं। इसके पीछे चीन के खिलाफ भारत को इस्तेमाल करने की साज़िश हैं। भारत इससे सावध रहें। पश्चिमी देशों ने आजतक ‘दरार बनाए और राज करें’ इसी नीति को अपनाकर अपने उद्देश्य प्राप्त किए थे। भारत का हाथी और चीन का ड्रैगन का संघर्ष लगाने के लिए पश्चिमी देश बड़े उत्सुक हैं। यह नए उपनिवेशवाद का हिस्सा है। भारत इसका शिकार ना बने, ऐसी सलाह ग्लोबल टाईम्स के ‘एडिटोरियल’ में दी गई है।

भारत और चीन के सीमा विवाद मे हम भारत के साथ होने का ऐलान पश्चिमी देश कर रहे हैं। लेकिन, भारत आत्मविश्वास के साथ इन समस्याओं का सामना करे, पश्चिमियों की साज़िश का शिकार होने की ज़रूरत नहीं, ऐसा ग्लोबल टाईम्स ने सुचित किया है। भारत और चीन इन पूरातन देश की पारंपरिक समझदारी में काफी बड़ी समानता है। विश्व यानी विशाल परिवार है और इस विश्व में एक ही समय पर भारत और चीन का उदय होने के लिए पर्याप्त अवसर उपलब्ध है, यही विचार दोनों देश रखते हैं, ऐसा दावा चीन के सरकारी अखबार ने किया।

इसी बीच, चीन के सीमा विवाद में भी भारत ने पश्चिमी देशों की सहायता प्राप्त नहीं की है। हाल ही में जापान के हिरोशिमा में ‘क्वाड’ की बैठक का आयोजन हुआ। यह संगठन चीन विरोधी समझी जाती है। लेकिन, क्वाड की बैठक में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी संप्रभूता की रक्षा करने का सामर्थ्य भारत रखता हैं, ऐसा बयान बड़े ड़टकर किया था। चीन से अपनी सुरक्षा करने के लिए हमें दूसरें देशों कीं ज़रूरत नहीं, इसका अहसास प्रधानमंत्री ने कराया। लेकिन, चीन की अन्य देशों के खिलाफ शुरू हरकतों को रोकने के लिए और अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करने के लिए ‘क्वाड’ जैसी संगठन आवश्यक है, इस मुद्दे पर मोदी ने हिरोशिमा में आयोजित इस बैठक में ध्यान आकषि४त किया था। साथ ही विश्वासार्हता और दूसरें देश के प्रति सम्मान रखना भारत के बलस्थान है, इसका अहसास भी प्रधानमंत्री ने अपने जापान, पापुआ न्यू गिनी और ऑस्ट्रेलिया के दौरे में कराया था।

विश्वासार्हता के मोर्चे पर चीन की गिरावट हुई है। इस वजह से चीन के बयानों पर भरोसा करने जैसी स्थिति नहीं रही, यही मुद्दा भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी आक्रामकता से पेश कर रहा है।

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