क्रान्तिगाथा-२२

क्रान्तिगाथा-२२

लखनौ की ब्रिटीश रेसिडन्सी में अब तक पनाह लिये हुए अँग्रेज़ों की आशाएँ अब पल्लवित होने लगी थीं। लगभग ८७ दिनों के संघर्ष के बाद लखनौ के कुछ इलाक़ों पर कब्ज़ा कर लेने में बाहर से आयी हुई अँग्रेज़ सेना क़ामयाब हो गयी थी। इतने दिनों के संघर्ष के बाद भी लखनौ के बाहर से […]

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नेताजी-७३

नेताजी-७३

गाँधीजी की दांडीयात्रा से शुरू हुए सविनय क़ायदाभंग आन्दोलन में गाँधीजी के साथ सभी प्रमुख नेताओं को स्थानबद्ध किये जाने के कारण १९३० का काँग्रेस अधिवेशन नहीं हो सका। १९३० के नवम्बर में इंग्लैंड़ के प्रधानमन्त्री रॅम्से मॅक्डोनाल्ड ने भारत के स्वराज्य के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए पहली ‘गोल मे़ज परिषद’ (‘राऊंड टेबल […]

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परमहंस-१४

परमहंस-१४

गदाधर की उपनयनविधि के समय घटित हुए प्रसंग में से यह ध्यान में आ जाता है कि उसे किसी भी उपासना के, साधना के, विधि के केवल भाव से ही लेनादेना था; यूँ ही कोई रूढ़ि पहले से प्रचलित है इसलिए केवल उसके कर्मकांड का ज्यों कि त्यों स्वीकार करना उसे मान्य नहीं था। बेफ़ज़ूल […]

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समय की करवट (भाग २१)- अच्छी समूहप्रवृत्ति

समय की करवट (भाग २१)- अच्छी समूहप्रवृत्ति

‘समय की करवट’ बदलने पर क्या स्थित्यंतर होते हैं, इसका अध्ययन करते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं। आज हम झुँड़ मानसिकता (हर्ड मेंटॅलिटी) के एक और पहलू का अध्यय यन करनेवाले हैं। एक जगह से दूसरी जगह निकले प्राणियों के झुँड़ का अध्ययन करते समय वैज्ञानिकों के ध्यान में यह बात आ गयी कि […]

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नेताजी-७२

नेताजी-७२

एक मुठ्ठी नमक उठाकर गाँधीजी द्वारा देश में निर्माण किये गये जादुई माहौल से सुभाषबाबू का़फी प्रभावित हुए थे। वे अन्य कैदियों से गाँधीजी के बारे में कहते थे, आन्दोलन की ख़बरें सुनाते थे। गाँधीजी की दाण्डीयात्रा से शुरू हुए सविनय क़ायदेभंग के आन्दोलन का जुनून सभी दिशाओं में फैल गया। जहाँ देखें, वहाँ पर […]

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परमहंस-१३

परमहंस-१३

अब गदाधर ने उम्र के आठ वर्ष पूरे कर नौंवे वर्ष में पदार्पण किया था। पिताजी की मृत्यु के बाद ‘परिवारप्रमुख’पद की ज़िम्मेदारी उठाये हुए उसके सबसे बड़े भाई ने – रामकुमार ने अब उसकी उपनयनविधि की तैय्यारियाँ शुरू कीं। गदाधर पूरे गाँव का ही दुलारा होने के कारण, इस समारोह की तैय्यारी में पूरा […]

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क्रान्तिगाथा-२१

क्रान्तिगाथा-२१

अँग्रेज़ों ने दिल्ली पर कब्ज़ा तो कर लिया, लेकिन अब दिल्ली की सूरत पूरी तरह बदल गयी। इतने दिनों तक स्वतन्त्रता का सुख अनुभव करनेवाली दिल्ली अब फिर एक बार अँग्रेज़ों की ग़ुलामी के बन्धन में जकड़ गयी। भारत के उत्तरी इलाक़ों में से दिल्ली में दाख़िल हुए क्रान्तिकारियों ने सवा सौ दिनों से भी […]

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नेताजी-७१

नेताजी-७१

काँग्रेस अध्यक्ष की सहायता करनेवाली कार्यकारिणी में समविचारी लोगों का रहना जरूरी है, यह वजह देकर लाहोर काँग्रेस अधिवेशन के बाद सुभाषबाबू को काँग्रेस कार्यकारिणी में समाविष्ट नहीं किया गया। मेरी भूमिका का विपर्यास हो रहा है, यह देखकर सुभाषबाबू को दुख तो जरूर हुआ। लेकिन अब तक के स़फर में उनके सहकर्मी रहनेवाले जवाहरलालजी […]

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परमहंस-१२

परमहंस-१२

गदाधर के बचपन का, उसकी इसी प्रकार उत्कट टकटकी लगी होने का एक और वाक़या बयान किया जाता है। वह शिवरात्री का दिन था, इसलिए गाँव के शिवमंदिर में दिनभर उत्सव मनाया जा रहा था। रात को मंदिर में पौराणिक नाटक, भक्तिसंगीत आदि भक्तिमय कार्यक्रमों का आयोजन किया गया था। गदाधर ने भी उस दिन […]

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समय की करवट (भाग २०)- आत्मपरीक्षण

समय की करवट  (भाग २०)- आत्मपरीक्षण

‘समय की करवट’ बदलने पर क्या स्थित्यंतर होते हैं, इसका अध्ययन करते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं| आगे चलने से पहले आज थोड़ा रुककर इस लेखमालिका में आज तक हमने किन बातों का अध्ययन किया, वह देखते हैं| जिस ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ के माध्यम से अँग्रेज़ों ने व्यापार के बहाने भारत में चंचुप्रवेश करके, […]

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