समय की करवट (भाग ३८)- ‘बर्लिन वॉल’ : दुनिया एक कारागृह….

समय की करवट (भाग ३८)- ‘बर्लिन वॉल’ : दुनिया एक कारागृह….

‘समय की करवट’ बदलने पर क्या स्थित्यंतर होते हैं, इसका अध्ययन करते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं। इस में फिलहाल हम, १९९० के दशक के, पूर्व एवं पश्चिम जर्मनियों के एकत्रीकरण के बाद, बुज़ुर्ग अमरिकी राजनयिक हेन्री किसिंजर ने जो यह निम्नलिखित वक्तव्य किया था, उसके आधार पर दुनिया की गतिविधियों का अध्ययन कर […]

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नेताजी-१०६

नेताजी-१०६

त्रिपुरी काँग्रेस के अध्यक्षपद के मुद्दे पर माहौल गरमा चुका था। कई सहकर्मियों के सुस्पष्ट सुझाव के बाद जब निरुपाय होकर सुभाषबाबू ने अध्यक्षपद के लिए पुनः पर्चा भरने का निर्णय ले लिया, तब तो वह उनके विरोधकों को उन्हें मात देने के लिए एक अच्छा अवसर प्रतीत हुआ। उन्होंने इस प्रश्‍न को प्रतिष्ठा का […]

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परमहंस-४७

परमहंस-४७

मथुरबाबू को रामकृष्णजी में भगवान शिव के एवं साक्षात् कालीमाता के दर्शन हुए, यह ख़बर राणी राशमणि तक पहुँची और उसके मन में रामकृष्णजी के प्रति रहनेवाली सम्मान की भावना कई गुना बढ़ गयी। रामकृष्णजी के वापस आने से, मंदिर की खोयी हुई चेतना फिर से लौटी है ऐसा उसे लग रहा था। फिर भी […]

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क्रान्तिगाथा- ३९

क्रान्तिगाथा- ३९

३० अप्रैल १९०८ की शाम को हुई उस घटना के पीछे बहुत बड़ा इतिहास था। उस शाम मोतीझील में स्थित युरोपीय क्लब के मुख्य प्रवेशद्वार में से बाहर निकली घोड़े की बग्गी पर का़फ़ी क़रीब से फ़ेंके गये बम का लक्ष्य था, मुझफ़्फ़रपुर का मॅजिस्ट्रेट, किंग्सफ़ोडर्र्। लेकिन दुर्भाग्यवश वह बम अपना लक्ष्य साध्य कर नहीं […]

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नेताजी- १०५

नेताजी- १०५

१९३९ वर्ष की त्रिपुरी काँग्रेस के अध्यक्षपद पर कौन विराजमान होगा, इस बारे में अटकलें लगाना शुरू हो गया था। वैसे तो १९३८ यह वर्ष सुभाषबाबू के लिए काफी़ भागदौड़ भरा रहा था। देश भर में किये गये दौरें, सभाएँ, चर्चाएँ इस व्यस्तता में स्वयं की ओर ध्यान देने तक की फु़रसत उन्हें नहीं मिली […]

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परमहंस-४६

परमहंस-४६

रामकृष्णजी के स्वास्थ्य की चिन्ता से राणी राशमणि ने मथुरबाबू को दक्षिणेश्‍वर कालीमंदिर में ही जाकर रहने के लिए कहा था। उसके अनुसार मथुरबाबू रामकृष्णजी के ही नज़दीक के एक कमरे में जाकर रहने लगे थे। लेकिन एक दिन एक अजीबोंग़रीब वाक़या घटित हुआ! मथुरबाबू शांति से अपने कमरे में बैठे थे और बाहर के […]

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समय की करवट (भाग ३७) – ‘बर्लिन वॉल’ : दीवार का ख़ौफ़

समय की करवट (भाग ३७) – ‘बर्लिन वॉल’ : दीवार का ख़ौफ़

‘समय की करवट’ बदलने पर क्या स्थित्यंतर होते हैं, इसका अध्ययन करते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं। इसमें फिलहाल हम, १९९० के दशक के, पूर्व एवं पश्चिम जर्मनियों के एकत्रीकरण के बाद, बुज़ुर्ग अमरिकी राजनयिक हेन्री किसिंजर ने जो यह निम्नलिखित वक्तव्य किया था, उसके आधार पर दुनिया की गतिविधियों का अध्ययन कर रहे […]

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नेताजी – १०४

नेताजी – १०४

हरिपुरा काँग्रेस के अध्यक्षपद पर से किये हुए क्रान्तिकारी भाषण के कारण सुभाषबाबू की पुरोगामी विचारधारा से सभी भली-भाँति परिचित हो ही चुके थे। अब उनके चाहनेवालों में महज़ भारतीय जनता ही नहीं, बल्कि विचारक, छात्र, शास्त्रज्ञ एवं अर्थविशेषज्ञ भी शामिल होने लगे थे। सुभाषबाबू ने अपने भाषण में जिन जिन मुद्दों का ज़िक्र किया […]

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परमहंस – ४५

परमहंस – ४५

शादी हो जाने के बाद रामकृष्णजी लगभग डेढ़ साल कामारपुकूर में अपने घर रहे। उनकी पत्नी शारदामणि के चाचा गुस्सा होकर उसे मायके ले गये थे। उसकी स्वयं की ऐसी कोई तक़रार थी ही नहीं। इस कारण, उसके कुछ ही दिनों में रामकृष्णजी उसके घर जाकर, उनके ससुरजी को समझाबुझाकर, उसे पुनः वापस ले आये […]

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क्रान्तिगाथा – ३८

क्रान्तिगाथा – ३८

भारत को आज़ादी दिलाने के लिए तेज़ी से चल रहे ‘इंडिया हाऊस’ के कार्य में मॅडम कामा का अहम योगदान था। उस वक़्त दादाभाई नौरोजी ‘ब्रिटिश कमिटी ऑफ इंडियन नॅशनल काँग्रेस’ के अध्यक्ष थे। मॅडम कामा उनकी सहायता करने लगीं। इस वजह से अब मॅडम कामा पर अँग्रेज़ सरकार की कड़ी नज़र थी। इसीलिए जब […]

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