परमहंस – ५१

परमहंस – ५१

‘मेरी राय में रामकृष्णजी ईश्‍वरीय अवतार ही हैं और इस विषय में मैं किसी भी प्रकांडपंडित से चर्चा-वादविवाद (बहस) करने के लिए तैयार हूँ’ इस भैरवी द्वारा किये गये प्रतिपादन की ख़बर अल्पअवधि में ही दक्षिणेश्‍वर कालीमंदिर में फैल गयी। रामकृष्णजी के असाधारण आचरण के कारण उन्हें पागल क़रार देनेवाले लोगों को आश्‍चर्य का झटका […]

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क्रान्तिगाथा- ४१

क्रान्तिगाथा- ४१

बंगाल के विभाजन के बाद ‘अनुशीलन’ और ‘युगान्तर’ बहुत बड़े पैमाने पर सक्रिय हो चुके थे। सशस्त्र संघर्ष के अन्तर्गत ही किंग्सफोर्ड के वध की योजना बनायी गयी। इसमें खुदीराम बोस के पकड़े जाने के बाद अँग्रेज़ तेज़ी से सक्रिय हो गये। गुप्त क्रान्तिकारी संगठनों का अतापता खोजना अँग्रेज़ों ने शुरू कर दिया। ‘माणिकतला’ में […]

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नेताजी-१०९

नेताजी-१०९

वर्धा जाकर गाँधीजी से हुई सुभाषबाबू की प्रत्यक्ष मुलाक़ात में उन दोनों के बीच खुले दिल से चर्चा हुई, जिससे कि तनाव अब काफ़ी हद तक दूर हो चुका है, ऐसा सुभाषबाबू को लगने लगा। इतने दिनों से मन पर रहनेवाला बोझ अचानक से उतर जाने से कहिए या फिर किसी अन्य वजह से कहिए, […]

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परमहंस – ५०

परमहंस – ५०

भैरवी के मार्गदर्शन में रामकृष्णजी का अगला आध्यात्मिक प्रवास शुरू हुआ। रामकृष्णजी के रूप में ईश्‍वर ही अवतरित हुए हैं, इस भैरवी की धारणा को अधिक से अधिक मज़बूत बनानेवालीं कई बातें रामकृष्णजी के सन्दर्भ में घटित हो रही थीं। एक बार बातें करते करते रामकृष्णजी ने उसे कहा कि ‘एक बार उन्हें सपना आया। […]

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समय की करवट (भाग ३९)- ‘बर्लिन वॉल’ : आशा की किरन

समय की करवट (भाग ३९)- ‘बर्लिन वॉल’ : आशा की किरन

‘समय की करवट’ बदलने पर क्या स्थित्यंतर होते हैं, इस का अध्ययन करते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं। इस में फिलहाल हम, १९९० के दशक के, पूर्व एवं पश्चिम जर्मनियों के एकत्रीकरण के बाद, बुज़ुर्ग अमरिकी राजनयिक हेन्री किसिंजर ने जो यह निम्नलिखित वक्तव्य किया था, उस के आधार पर दुनिया की गतिविधियों का […]

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नेताजी-१०८

नेताजी-१०८

सन १९३९ के त्रिपुरी काँग्रेस अध्यक्षपद के चुनाव में हुए टक्कर के मुक़ाबले में सुभाषबाबू को २०३ व्होटों से जीत हासिल हुई। कम से कम दो सौ व्होटों की बढ़त से मैं यह चुनाव जीत जाऊँगा, यह उनके द्वारा निर्धारित अँदाज पूरी तरह अचूक साबित हुआ था, लेकिन सुभाषबाबू के तर्कनिष्ठ मन की संरचना को […]

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परमहंस – ४९

परमहंस – ४९

रामकृष्णजी ने दूर से ही देखकर गंगातट पर से अपने पास जिसे ले आने के लिए कहा, उस तेजःपुंज स्त्री का नामाभिधान ‘भैरवी’ है, इस बात का पता हृदय को कुछ ही देर में चला था। यह स्त्री शक्ति उपासना एवं तांत्रिक उपासना मार्ग की अधिकारी स्त्री है और एक ईश्‍वरीय योजना के अनुसार मेरे […]

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क्रान्तिगाथा- ४०

क्रान्तिगाथा- ४०

अब तक खुदीराम को लग रहा था कि प्रफुल्ल शायद अँग्रेज़ों की गिरफ्त में नहीं आया होगा और इस वध की ज़िम्मेदारी उसने अपने सिर पर ले ही ली थी; मग़र दुर्भाग्यवश उसे जल्द ही इस बात का पता चल गया कि उसका साथी प्रफुल्ल तो कब का यह दुनिया छोड़कर जा चुका था। अत […]

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नेताजी-१०७

नेताजी-१०७

सन १९३९ साल के त्रिपुरी काँग्रेस अधिवेशन के लिए अध्यक्षपद के लिये चुनाव की ज़रूरत पड़ना, यह काँग्रेस के इतिहास में एक अभूतपूर्व घटना थी। हालाँकि काँग्रेस की घटना में अध्यक्षपद के लिए चुनाव किये जाने की व्यवस्था थी, मग़र फिर भी काँग्रेस यह एकसामायिक संगठन हो, उसमें कोई गुटबाज़ी न हो, इस बात का […]

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परमहंस – ४८

परमहंस – ४८

राणी राशमणि की मृत्यु के साथ दक्षिणेश्‍वर कालीमंदिर का एक महत्त्वपूर्ण पर्व समाप्त हो गया था। लेकिन समय किसी के लिए भी रुकता नहीं है, यही सच है। धीरे धीरे मंदिर की सारी गतिविधियाँ पुनः पूर्ववत शुरू हुईं। रामकृष्णजी भी अपने उपासनामार्ग पर तेज़ी से मार्गक्रमणा कर ही रहे थे। लेकिन अब इस मार्ग पर […]

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