नेताजी-११३

नेताजी-११३

त्रिपुरी अधिवेशन ने अब अपने रंग दिखाना शुरू कर दिया था। बीमारी से गलितगात्र अध्यक्ष एक तरफ़; वहीं, उनके विरोध में संकुचित राजनीतिक शतरंज की चालें चलनेवाले १२ माहिर बुज़ुर्ग नेता, सारी की सारी पक्षयन्त्रणा, सभी प्रांतीय मन्त्रिमण्डल (‘कुर्सी छोड़कर काँग्रेस को सड़क पर उतरना चाहिए’ यह सुभाषबाबू द्वारा किया जा रहा आग्रही प्रतिपादन नामंज़ूर […]

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परमहंस-५४

परमहंस-५४

रामकृष्ण की ख्याति अब दूर दूर तक फैली जा रही थी और दूरदराज़ से लोग उन्हें मिलने आने लगे थे। जिस तरह अपनी समस्याओं का निराकरण होने की आशा से लोग उनके पास आते थे, उसी तरह उनसे आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए मुमुक्षु लोग भी उनके पास चले आते थे। कई लोग तो […]

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समय की करवट (भाग ४१) – सोव्हिएत युनियन का उदयास्त-१

समय की करवट (भाग ४१) – सोव्हिएत युनियन का उदयास्त-१

‘समय की करवट’ बदलने पर क्या स्थित्यंतर होते हैं, इस का अध्ययन करते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं। इस में फिलहाल हम, १९९० के दशक के, पूर्व एवं पश्चिम जर्मनियों के एकत्रीकरण के बाद, बुज़ुर्ग अमरिकी राजनयिक हेन्री किसिंजर ने जो यह निम्नलिखित वक्तव्य किया था, उस के आधार पर दुनिया की गतिविधियों का […]

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नेताजी-११२

नेताजी-११२

सिर्फ़ अपने बलबूते पर ही त्रिपुरी अधिवेशन के अध्यक्षीय चुनाव जीतने पर भी ऐन मौ़के पर गंभीर बीमारी से शक्तिहीन हो चुके सुभाषबाबू, अधिवेशन का पहला दिन शिविर में विश्राम करने में व्यतीत करने के बाद दूसरे दिन किसी की भी न सुनते हुए ज़िद से अधिवेशनमंडप में दाखिल हुए। कुर्सी पर बैठने जितनी ताकत […]

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परमहंस-५३

परमहंस-५३

भैरवी के मार्गदर्शन में चल रहीं रामकृष्णजी की उपासनाओं के दौरान उन्हें कई ईश्‍वरीय अनुभव हुए। इनमें से सबसे महत्त्वपूर्ण था, उनकी कुंडलिनी जागृत हो रही होने का अनुभव। ‘इस कालावधि में जब कोई भी मेरे साथ किसी भौतिक या व्यावहारिक बात पर बोलने की कोशिश करता, तब मेरा सिर इस कदर दर्द करता था […]

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क्रान्तिगाथा- ४२

क्रान्तिगाथा- ४२

इन क्रान्तिकारी संगठनों का कार्य बहुत ही गुप्त रूप से चलता था। इन संगठनों से जुड़े क्रान्तिवीर बहादुर और मौत से न डरनेवाले थे। क्योंकि वे जानते थे कि यह बलिदान अपनी मातृभूमि को विदेशियों की ग़ुलामी में से मुक्त करने के लिए स्वतन्त्रतायज्ञ में दी गयी आहुति है। अपनी मातृभूमि के लिए जान की […]

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नेताजी-१११

नेताजी-१११

त्रिपुरी अधिवेशन की स्वागत समिति ने अधिकृत रूप से किये हुए ऐसे ‘स्वागत’ की अपेक्षा अनधिकृत, यानि जनसागर ने किया हुआ स्वागत तो काफ़ी उत्साहपूर्ण था। अधिवेशन के लिए दो लाख से भी ज़्यादा लोग इकट्ठा हुए थे। डॉक्टर तथा परिवारजनों द्वारा सुभाषबाबू की तबियत के बारे में साफ़ साफ़ चेतावनी दी जानेपर सुभाषबाबू ने […]

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परमहंस-५२

परमहंस-५२

इस प्रकार, रामकृष्णजी की परीक्षा करने आये दोनों ख्यातनाम प्रकांडपंडित उल्टे उनके चरणों में लीन होकर उनके भक्त बन गये थे। यहाँ तक कि अब – ‘रामकृष्णजी कौन हैं’ यह शास्त्रार्थों में से संदर्भ प्रस्तुत कर साबित करने के लिए कई बार उन दोनों में मज़ेदार प्रतिस्पर्धा शुरू होती थी। उदाहरण के तौर पर, एक […]

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समय की करवट (भाग ४०)- ‘बर्लिन वॉल’ : ईस्टर्न ब्लॉक का ढहना

समय की करवट (भाग ४०)- ‘बर्लिन वॉल’ : ईस्टर्न ब्लॉक का ढहना

‘समय की करवट’ बदलने पर क्या स्थित्यंतर होते हैं, इस का अध्ययन करते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं। इस में फिलहाल हम, १९९० के दशक के, पूर्व एवं पश्चिम जर्मनियों के एकत्रीकरण के बाद, बुज़ुर्ग अमरिकी राजनयिक हेन्री किसिंजर ने जो यह निम्नलिखित वक्तव्य किया था, उस के आधार पर दुनिया की गतिविधियों का […]

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नेताजी-११०

नेताजी-११०

१० मार्च १९३९ को जबलपुर ज़िले में त्रिपुरी अधिवेशन सम्पन्न होने जा रहा था। सुभाषबाबू की अजीबोंग़रीब बीमारी के विलक्षण लक्षणों के चर्चे अख़बारों में हो रहे थे। अधिवेशन के अध्यक्ष ही अधिवेशन में उपस्थित रहेंगे या नहीं, इस बारे में चर्चाएँ हो रही थीं। आख़िर सुभाषबाबू की मूल इन्क़िलाबी प्रवृत्ति ने सिर उठाया और […]

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