नेताजी- १८४

नेताजी- १८४

जापान ले जानेवाली पनडुबी का इन्तज़ार करते समय सुभाषबाबू हाथ पर हाथ धरे बैठे नहीं थे। अन्य मार्गों के बारे में जानकारी प्राप्त करने की उनकी कोशिशें जारी ही थीं। साथ ही, अनिश्चितता के ढलते हुए उस समय के साथ उनके मन में एमिली के बारे में फ़िक्र भी बढ़ ही रही थी। उसके प्रसूत […]

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नेताजी-१८३

नेताजी-१८३

विश्‍वयुद्ध के रंग हर घड़ी बदल रहे थे और उसके अनुसार सम्बन्धितों के पैंतरें भी। सुभाषबाबू वहाँ बर्लिन में, जर्मनी से जापान जाने के लिए पणडुबी की व्यवस्था कब होती है, इसके इन्तज़ार में थे और उसी समय भारत में कई घटनाएँ हो रही थीं। २७ अप्रैल को इलाहाबाद में हुई काँग्रेस कार्यकारिणी की बैठक […]

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नेताजी-१८२

नेताजी-१८२

हिटलर के साथ सुभाषबाबू की मीटिंग खत्म हो गयी। जर्मनी में कदम रखते समय हिटलर से उन्हें जो अपेक्षाएँ थीं, उनमें से कुछ पूरी हो चुकी थीं, तो कुछ अधूरी ही रह गयी थीं। अँग्रेज़ों की वहशी हुकूमत के ख़िला़फ़ हिटलर से सहायता माँगने जाते हुए, मैं एक तानाशाह की गुफ़ा में कदम रख रहा […]

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नेताजी- १८१

नेताजी- १८१

सुभाषबाबू की हिटलर के साथ हो रही बातचीत धीरे धीरे आगे बढ़ रही थी। लगभग तेरह महीनों के इन्तज़ार के बाद हुई इस प्रत्यक्ष मुलाक़ात में, वे हिटलर के साथ जो कुछ बात कर रहे थे, उन सभी मुद्दों में उनका पाला निराशा से ही पड़ रहा था। फिलहाल रुसी मुहिम में व्यस्त रहनेवाले हिटलर […]

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नेताजी- १८०

नेताजी- १८०

२९ मई, १९४२। सुभाषबाबू की हिटलर के साथ होनेवाली उस ऐतिहासिक मुलाक़ात की घड़ी क़रीब आ रही थी। शाम को ठीक ४ बजे, आदिमाता चण्डिका का स्मरण करके सुभाषबाबू ने रास्टेनबर्ग स्थित हिटलर के सेना मुख्यालय के उसके व्यक्तिगत अध्ययन कक्ष में प्रवेश किया। उनके साथ जर्मन विदेशमन्त्री रिबेनट्रॉप, अ‍ॅडम ट्रॉट आदि कुछ गिने-चुने ही […]

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नेताजी-१७९

नेताजी-१७९

आख़िर सुभाषबाबू ने जर्मनी में कदम रखने के दिन से जिस उद्देश्य के लिए दिनरात एक करके मेहनत की थी, वह लक्ष्य उनके सामने आ गया था – तेरह महीनों के लंबे इन्तज़ार के बाद हिटलर ने उनसे मिलने की बात को क़बूल कर लिया और मुलाक़ात का दिन मुक़र्रर किया गया था – २९ […]

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नेताजी- १७८

नेताजी- १७८

भारतीय स्वतन्त्रतासंग्राम के लिए मुसोलिनी का अधिकृत समर्थन प्राप्त करने के कारण, अब जर्मनी से जापान जाकर अगली जंग जारी रखी जाये, यह विचार सुभाषबाबू के मन में ज़ोर पकड़ रहा था। स्वतन्त्रतासंग्राम को निर्णायक पड़ाव तक ले जाने की दृष्टि से, फ़िलहाल जापान में चल रहीं सक्रिय गतिविधियों को मद्देनज़र रखते हुए उनके मन […]

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नेताजी- १७७

नेताजी- १७७

वहाँ जर्मनी में भारतीय मुक्तिसेना बनाने की सुभाषबाबू की कोशिशों को क़ामयाबी मिल रही थी और जापान में भी इसी तरह की कोशिशें चल रही हैं, यह जानने के बाद उनका हौसला बुलन्द हो गया था। इसी दौरान सुभाषबाबू के साथ हुई मुलाक़ात के बाद जापानी राजदूत ने उनके बारे में स्वयं की अनुकूल राय […]

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नेताजी-१७६

नेताजी-१७६

दूसरे विश्‍वयुद्ध के अतिपूर्वीय मोरचे पर सब जगह जापानी सेना की पकड़ मज़बूत होती जा रही थी और अँग्रेज़ी सेना पीछे हट रही थी। जगह जगह से जापानी सेना द्वारा गिऱफ़्तार किये गये ब्रिटीश फ़ौज के भारतीय युद्धबन्दियों को भारतीय मुक्तिसेना में से लड़ने के लिए कॅप्टन मोहनसिंग के हवाले किया जा रहा था। बँकॉक […]

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नेताजी-१७५

नेताजी-१७५

१५ फ़रवरी १९४२ को सिंगापूर की पराजय होने के बाद, जर्मनी में घटित हो रहे धीमे घटनाक्रम की अपेक्षा अब महायुद्ध का पूर्वीय मोरचा सुभाषबाबू को अधिक महत्त्वपूर्ण प्रतीत हो रहा था। वैसे भी वे अपनी ‘ओर्लेन्दो मेझोता’ इस विद्यमान पहचान को त्यागकर सही पहचान ज़ाहिर करने के अवसर की ही तलाश में थे। ‘सिंगापूर […]

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