क्रान्तिगाथा-८५

क्रान्तिगाथा-८५

रेल, तार, डाक जैसी अनेक सुविधाएँ भारत में उपलब्ध हो गयीं। लेकिन उनके शुरू होने की वजह बन गये थे अँग्रेज़। जब भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में ‘स्वदेशी’ का आन्दोलन ज़ोर शोर पर था; तब भारत में अनेक स्थित्यन्तरण हुए थे। स्वदेशी का पुरस्कार करते हुए अनेक भारतीयोंने अपने भारतवासी भाईयों के लिए कुछ सुविधाओं की […]

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क्रान्तिगाथा-८४

क्रान्तिगाथा-८४

भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति तक का जो संघर्षमय काल था, उस काल में भारतीय जनमानस में चेतना को जगाने का काम कई देशभक्तिपर घोषणाओं और गीतों ने किया। ‘वंदे मातरम्’ जैसी देशभक्तिपर घोषणाएँ, ‘जन गण मन’ जैसे देशभक्तिपर गीत हर एक भारतीय को देश के लिए कुछ करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे थे। तमिलनाडु […]

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क्रान्तिगाथा-८३

क्रान्तिगाथा-८३

केरल में ब्रिटिशविरोध की शुरुआत १८वीं सदी के अंत में और १९वीं सदी के आरंभ में हुई। केरल के मलबार, त्रावणकोर और क कोचीन ये राज्यही ब्रिटिशों का विरोध करने में जुट गये। त्रावणकोर राज्य के प्रधानमंत्री ने ब्रिटिशों के विरोध में मोरचा खोला। कोचीन में भी उस राज के प्रधानमंत्री ने ही ब्रिटिश विरोध […]

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क्रान्तिगाथा-८२

क्रान्तिगाथा-८२

‘झंड़ा सत्याग्रह’ यानी ‘फ्लॅग मार्च’ यह अँग्रेज़ों का विरोध करने की एक अनोखी कोशिश थी। १९२३ में नागपुर और जबलपुर में प्रमुख रूप से एवं सेंट्रल प्रोव्हिन्स में कुछ स्थानों पर इस झंड़ा सत्याग्रह का आयोजन किया गया था। झंड़ा सत्याग्रहियों के द्वारा फिर जगह जगह भारत का ध्वज लहराने की कोशिशें की गयी। यहाँ […]

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क्रान्तिगाथा-८१

क्रान्तिगाथा-८१

दिसंबर १९२५ की सुबह लाहोर से चलनेवाली एक ट्रेन में एक पुरुष एक स्त्री और एक छोटा बच्चा इस तरह एक परिवार चढ़ गया और उनका नौकर भी तीसरी क्षेणी के रेल डिब्बे में चढ़ गया। कुछ विशिष्ट स्टेशनों में गाड़ी बदली करते हुए यह परिवार हावड़ा पहुँच गया। लेकिन उनका नौकर पहले ही, बनारस […]

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क्रान्तिगाथा-८०

क्रान्तिगाथा-८०

उस ज़माने में देश में इस कदर देशभक्ति से भारित वातावरण था कि १२-१३ वर्ष की आयु के बच्चे भी ठेंठ क्रान्तिकारी संगठन में शामिल हो रहे थे। १३ वर्ष के उम्र का एक स्कूली बच्चा बनारस के एक विभाग में अँग्रेज़विरोधी पत्रक बाँट रहा था। पत्रक का विषय था – बनारस के राजा के […]

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क्रान्तिगाथा-७९

क्रान्तिगाथा-७९

काकोरी योजना में फाँसी दिया गया और एक तेजस्वी क्रान्तिकारी व्यक्तित्व था-रोशनसिंह का। उत्तर प्रदेश के नबादा नाम के एक छोटे से गाँव में जनवरी १८९२ में इनका जन्म हुआ। असहकार आन्दोलन के दौरान कार्यकारी रहनेवाले रोशनसिंह को बरेली में पुलीस पर हुई गोलीबारी के मामले में सज़ा सुनायी गयी। इस सज़ा के दौरान अँग्रेज़ों […]

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क्रान्तिगाथा-७८

क्रान्तिगाथा-७८

काकोरी योजना में रामप्रसाद बिस्मिल के साथ सम्मिलित रहनेवाले अशफ़ाक उल्ला खान को अँग्रेज़ सरकार ने जब इस योजना में शामिल होने का आरोप रखकर फाँसी दी, तब उनकी उम्र थी महज़ २७ साल। रामप्रसाद बिस्मिल के व्यक्तित्व का बहुत बड़ा प्रभाव अशफ़ाक उल्ला खान के जीवन पर था और हक़ीकत में इन दोनों की […]

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क्रान्तिगाथा-७७

क्रान्तिगाथा-७७

९ अगस्त १९२५ का दिन। सहारनपुर से लखनौ की तरफ़ जा रही ८ डाऊन ट्रेन काकोरी स्टेशन के पास आते ही अचानक से रूक गयी। शायद किसी ने चेन खींच ली होगी। ट्रेन रूक गयी और कुछ ही देर में बहुत कुछ घटित हुटा। अलग अलग जगह से इकट्ठा किया गया पैसा, जो अँग्रेज़ सरकार […]

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क्रान्तिगाथा-७६

क्रान्तिगाथा-७६

‘स्वराज्य पार्टी’ के स्थापनाकर्ताओं में एक और महत्त्वपूर्ण नाम था – मोतीलाल नेहरू का। मई १८६१ में उनका जन्म हुआ। कानून की डिग्री प्राप्त करने के बाद उन्होंने वकालत करना शुरू कर दिया और वे एक मशहूर वकील बन गये। शुरुआती समय में इंडियन नॅशनल काँग्रेस के माध्यम से कार्य करते हुए दो सालों तक […]

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