९७. जलनियोजन

हमारी इस वसुंधरा पृथ्वी पर लगभग ७०% पानी है। लेकिन आज वैश्‍विक जलपरिस्थिति को देखें, तो कई जगह अकाल की परिस्थिति दिखायी देती है। पानी के अभाव के कारण ख़ेती न कर सकने के उदाहरण दुनिया में कई जगहों में दिखायी देते हैं। उसीके साथ, कई भागों में, पीने के पानी के घूँट के लिए भी दर दर भटकना पड़ें ऐसे हालात भी हम देखते हैं।

पानी नहीं है ऐसा नहीं; चूँकि नदियों में बाढ़ आयीं हम देखते हैं, पानी यक़ीनन ही उपलब्ध है और वह भरपूर मात्रा में है। लेकिन ऐसा अति-भरपूर मात्रा में पानी अर्थात् बाढ़ भी हाहाकार मचाते हैं और यह अति-भरपूर पानी व्यर्थ भी जाता है।

अर्थात् पानी का दुर्भिक्ष्य (ना होना) और पानी का अतिरेक (अति-भरपूर मात्रा में होना) – दोनों चरमसीमा के हालात, जिनमें यह पानी आँखों से ‘पानी’ बहाता है।

इसीका अर्थ, पानी है, लेकिन उसका सुयोग्य इस्तेमाल नहीं किया जाता, ऐसा ही दिखायी देता है। यही सुयोग्य इस्तेमाल किया इस्रायल ने और देश की जलसमस्या को क़ाबू में कर लिया।

इस्रायल में लक्षणीय बरसात केवल आम तौर पर उत्तरी इस्रायल में होती है; वहीं, दक्षिणी भाग में पर्जन्यमान कम कम होते जाता है।

आधुनिक इस्रायल का जब जन्म हुआ, तब उसके अधिकांश भाग में शुष्क रेगिस्तान अथवा ग़र्म हवामान होने के कारण लगभग पानी का दुर्भिक्ष्य (कमी) ही था। अपर्याप्त जलस्रोतों में से पीने का पानी, खेती के लिए पानी, उद्योगधंधों के लिए पानी ऐसी कई बातों के लिए पानी का प्रबन्ध करना था और ज्यू स्थलांतरितों के रेलों के कारण जनसंख्या तो दिनबदिन बढ़ती ही चली जा रही थी।

इस्रायल यह जानता था कि उसके पास मर्यादित जलस्रोत हैं और उन्हीं का इस्तेमाल उसे करना है। इस कारण, उनका सुयोग्य इस्तेमाल करने की दृष्टि से उसने शुरू से ही कदम उठाये और सुसूत्रतापूर्वक केंद्रीभूत नियोजन करते हुए इस समस्या पर नियंत्रण प्राप्त किया।

जलआपूर्ति यंत्रणा के सबसे महत्त्वपूर्ण घटक यानी पानी के स्रोत और नहरों/जलवाहिनियों का जाल (नेटवर्क)। पृथ्वी पर के किसी भी प्रदेश की तरह ही इस्रायल के लिए भी पानी का प्रमुख नैसर्गिक स्रोत था – बरसात। लेकिन इस्रायल में बरसात केवल ठण्ड़ के मौसम में गिरती है और वह भी उत्तरी भाग में ही; (वह भी अब दरअसल जागतिक तापमानवृद्धि के कारण धीरे धीरे हर साल कम होती जा रही है।) इसलिए ऐसे हालातों में टिके रहने के लिए, पानी का सुनियोजित व्यवस्थापन इस्रायल के लिए अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है।

उसके लिए, सर्वप्रथम उपलब्ध पानी की हर एक बूँद को संग्रहित करने के प्रयास किये गये। आपको अचरज होगा, लेकिन सुबह तैयार होनेवाली ओस (‘ड्यू’) को भी इस्रायल ने नहीं छोड़ा। दरअसल हम जब ‘ओस’ (‘ड्यू’) शब्द सुनते हैं, तो अनजाने ही मन एकदम हल्का हो जाता है। कथा-उपन्यासों के ‘रोमँटिक’ निसर्गवर्णनों में ओसबिंदु का ज़िक्र कई बार आता है। कवि उसपर कविता वगैरा भी करते हैं। लेकिन ‘ओसबिंदु’ पर महज़ कविताएँ रचकर छोड़ देना इस्रायल से नहीं बन पड़ेगा। सुबह तैयार होनेवालीं ओसबिंदु को संग्रहित करनेवालीं यंत्रणाएँ इस्रायली कंपनियों ने तैयार की हैं।

उपलब्ध हुए पानी को संग्रहित करनेवाले, पानी पर विभिन्न प्रक्रियाएँ करनेवाले, पानी का दूर तक वहन करनेवाले, क्वचित् बाढ़परिस्थिति आने पर उस अतिरिक्त पानी को ठीक से संग्रहित करनेवाले, औद्योगिक या तत्सम उद्देश्य के लिए इस्तेमाल करने हेतु धोवनजल (इस्तेमाल किया हुआ पानी) पर भी पुनःप्रक्रिया करनेवाले, समुद्र के पानी पर प्रक्रिया कर उस पानी को मीठा (पीनेयोग्य) बनानेवाले, खेती के इस्तेमाल के लिए भूगर्भजल पर प्रक्रिया करनेवाले ऐसे कई छोटेबड़े प्रकल्प इस्रायल में हैं। लेकिन प्रकल्प चाहे अलग अलग हों, उनका समग्र केंद्रीभूत नियोजन यह एक ही बड़े संयुक्त राष्ट्रीय प्रोजेक्ट के माध्यम से किया जाता है – ‘नॅशनल वॉटर कॅरियर’; दरअसल पानी से संबंधित इस्रायल का कोई भी प्रकल्प यह प्रायः इस नॅशनल वॉटर कॅरियर का ही भाग होता है।

दरअसल इस्रायल के लिए पानी की समस्या कोई नयी नहीं है। पुरातनकाल से ही इस प्रदेश में पानी का दुर्भिक्ष्य था। इस कारण, झायॉनिझम और अन्य आन्दोलनों के माध्यम से ज्यू-राष्ट्र स्थापन होने की हवाएँ इस प्रांत में जबसे बहने लगीं थीं, तभी से इस समस्या पर भी समांतर विचार शुरू हो चुका था। लेकिन उसे उचित दिशा में गति प्राप्त हुई, वह इस्रायल की राष्ट्रस्थापना के पश्‍चात् ही। विभिन्न नहरे, जलसंग्रहणयंत्रणाएँ, पाईपलाईन्स, भूमिगत जलवाहिनियाँ इनका इस्रायल में दूरदराज़ तक फैला जाल (नेटवर्क) यह इस नॅशनल वॉटर कॅरियर का गाभा है।

नॅशनल वॉटर कॅरियर में कई नहरों का, जलसंग्रहकेंद्रों का, जलप्रक्रिया केंद्रों का और पाईपलाईन्स का जाल (नेटवर्क) पूरे इस्रायल में फैला है।

इस्रायल में होती बरसात का पानी मुख्य रूप से गिरता है, वह उत्तरी इस्रायल के ‘गॅलिली’ इस मीठे पानी के सरोवर में। तक़रीबन १६५ स्क्वेअर किलोमीटर से भी अधिक फैलाव होनेवाले इस समुद्रप्राय सरोवर के प्रमुख जलस्रोत यानी बरसात और सरोवर के तल में होनेवाले पानी के झरने। दुनिया के सबसे सखल (गहरे) भाग में होनेवाला यह मीठे पानी का सरोवर है। (गहराई अन्दाज़न् समुद्री सतह के नीचे २१० मीटर)

नॅशनल वॉटर कॅरियर का प्रमुख कार्य है – गॅलिली सरोवर तथा उत्तरी भाग में स्थित अन्य जलसंग्रहकेंद्रो से अपनी जलवाहिनियों के नेटवर्क के ज़रिये मध्य इस्रायल को तथा नेगेव्ह के रेगिस्तानी इला़के को पानी की आपूर्ति करना। लगभग १३० किलोमीटर की लंबाई रहनेवाले इस नॅशनल वॉटर कॅरियर की जलवाहिनियों के माध्यम से लगभग १७ लाख क्युबिक मीटर पानी का प्रतिदिन वहन किया जाता है। उसीके साथ, सन १९९४ में हुए इस्रायल-जॉर्डन शांतिसमझौते के अनुसार, गॅलिली सरोवर में से सालाना अन्दाजन् ५० दशलक्ष क्युबिक मीटर पानी की आपूर्ति इस्रायल से जॉर्डन को भी की जाती है।

गॅलिली सरोवर के उत्तरी भाग से निकलनेवाली, लगभग ३ मीटर डायमीटर होनेवाली सैंकड़ों मीटर लंबाई की काँक्रीट की पाईपलाईन्स से इस नॅशनल वॉटर कॅरियर की शुरुआत होती है। इन पाईपलाईन्स के ज़रिये पानी किनारे पर स्थित एक बहुत ही बड़े संग्रहकेंद्र में प्रविष्ट होता है और वहाँ से एक पंपिंग स्टेशन द्वारा उसे तक़रीबन २२०० मीटर लंबाई की एक पाईपलाईन की सहायता से समुद्री सतह की ऊँचाई पर लाया जाता है। वहाँ से वह पानी लगभग १७ किलोमीटर लंबाई की जॉर्डन नहर में प्रवेश करता है और फिर विभिन्न जलसंग्रहकेंद्र, पंपिंग स्टेशन्स, पाईपलाईन्स तथा भूमिगत जलवाहिनियाँ इनके नेटवर्क्स के माध्यम से पूरे इस्रायल भर में उसकी आपूर्ति की जाती है।

इस्रायल के पीने के पानी की ज़रूरत काफ़ी हद तक पूरी करने वाला समुद्रप्राय सरोवर – सी ऑफ गॅलिली।

अब इस नेटवर्क में अत्याधुनिक फिल्टरेशन प्लॅन्ट्स का समावेश किया गया है। पहले स़िर्फ पारंपरिक पद्धति से, पानी में होनेवाली गंद, मिट्टी के कण आदि उनकी जड़ता के कारण पानी के तल में जमा होते थे और ऐसे पानी को साफ़ किया जाता था। लेकिन अब इस अत्याधुनिक फिल्टरेशन प्लॅन्ट्स में, पानी बंद पाईपलाईन्स में प्रविष्ट होने से पहले पानी की विभिन्न टेस्ट्स की जाकर उस पानी को पीनेलायक बनाया जाता है। उसके बाद ही उस पानी को, लगभग ८६ किलोमीटर लंबाई के जलवाहकों के नेटवर्क के ज़रिये नेगेव्ह के रेगिस्तान की जलआपूर्तियंत्रणा में छोड़ा जाता है।

इस्रायल के जलव्यवस्थापन में इस नॅशनल वॉटर कॅरियर का और गॅलिली सरोवर का अनन्यसाधारण महत्त्व है। लेकिन जैसे जैसे जनसंख्या बढ़ती गयी, वैसे गॅलिली सरोवर अब पर्याप्त नहीं होगा, यह इस्रायली संशोधकों ने जाना। फिर उन्होंने जलस्रोतों के अन्य विकल्पों (‘आल्टरनेटिव्ह्ज’) पर संशोधन करने की शुरुआत की।(क्रमश:)

– शुलमिथ पेणकर-निगरेकर

 

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