हाँगकाँग के मुद्दे पर ब्रिटन-चीन राजनीतिक संघर्ष भड़का

लंडन/बीजिंग – हाँगकाँग और चीन के अंदरूनी मामलों में दखलअंदाज़ी करना बंद करें, अन्यथा ऐसीं कोशिशें आप पर ही बुमरँग होंगी, ऐसी धमकी चीन ने ब्रिटन को दी है। ब्रिटन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन ने हाल ही में, हाँगकाँग के ३० लाख नागरिकों को ब्रिटन की नागरिकता देने की तैयारी शुरू होने की चेतावनी दी थी। प्रधानमंत्री जॉन्सन की इस चेतावनी पर चीन ने गुस्सा हुआ होकर, उसने उल्टा ब्रिटन को ही धमकाना शुरू किया है। ब्रिटन और चीन के बीच शुरू हुई यह ज़ुबानी लड़ाई दोनों देशों में राजनीतिक संघर्ष भड़कने के स्पष्ट संकेत दे रही है।

Britain Hongkongब्रिटन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन ने हाँगकाँग के मुद्दे पर लिखा एक विशेष लेख बुधवार के दिन ‘टाइम्स ऑफ लंडन’ में प्रकाशित हुआ। इस लेख के ज़रिये जॉन्सन ने, हाँगकाँग के मुद्दे पर चीन के विरोध में कड़ी आलोचना की थी। हाँगकाँग पर चीन थोप रहे नये सुरक्षा कानून से इस शहर की स्वायत्तता एवं जनता को प्राप्त आज़ादी छिनी जानेवाली है। ब्रिटन और चीन के बीच सन १९९७ में हुए समझौते के अनुसार, हाँगकाँग के लिए ‘एक देश, दो व्यवस्थाएँ’ यह यंत्रणा अपनाई गई है। लेकिन, चीन का नया कानून इस समझौते का खुले आम उल्लंघन करता है’, इन शब्दों में ब्रिटन के प्रधानमंत्री ने चीन की गतिविधियों पर तीव्र नाराज़गी जताई है।

चीन की हुकूमत ने यदि हाँगकाँग पर नया कानून थोपने की गतिविधियाँ जारी रखीं, तो ब्रिटन के सामने अन्य विकल्प नहीं बचेगा, यह जताकर प्रधानमंत्री जॉन्सन ने, हाँगकाँग के करीबन ३० लाख निवासियों को ब्रिटन की नागरिकता प्रदान करने की चेतावनी चीन को दी है। हाँगकाँग की जनसंख्या करीबन ७५ लाख है और इनमें से ३.५ लाख नागरिक ब्रिटन के पासपोर्टधारक हैं। शेष जनसंख्या में से लगभग २५ लाख से भी अधिक नागरिक ब्रिटन की नागरिकता प्राप्त करने के लिए पात्र हो सकते हैं। उन्हें नागरिकता देने के लिए ब्रिटन अपने वीज़ा और नागरिकता से संबंधित कानून में बड़े बदलाव करेगा, ऐसें संकेत जॉन्सन ने अपने लेख में दिए हैं।

हाँगकाँग के इन करीबन ३० लाख नागरिकों के अलावा अन्य नागरिक भी यदि हाँगकाँग से बाहर निकलते हैं, तो उनकी व्यवस्था करने के लिए ब्रिटन अपने मित्रदेशों के साथ बातचीत कर रहा है, यह भी प्रधानमंत्री जॉन्सन ने कहा है। ब्रिटन के विदेशमंत्री डॉमिनिक राब ने कुछ दिन पहले ही, हाँगकाँग के मुद्दे पर किए एक बयान में, ब्रिटन ‘फाईव्ह आईज्‌’ गुट के देशों के साथ बातचीत में जुटा होने की बात कही थी। इस गुट का हिस्सा होनेवाले अमरीका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूझीलैंड ये देश भी हाँगकाँग के नागरिकों को पनाह दें, यह प्रस्ताव ब्रिटन ने रखा है।

Hongkong Britainहाँगकाँग के मुद्दे पर ब्रिटन ने शुरू की हुई गतिविधियों से चीन आगबबूला हुआ होकर, उसने ब्रिटन को धमकाना भी शुरू किया है। ‘ब्रिटन एक कदम पीछे हटकर, अपनी शीतयुद्धकालीन मानसिकता और उपनिवेशवादी नज़रिया छोड़ दें। हाँगकाँग चीन को दिया गया हैं, इस सच्चाई का स्वीकार करके उसका सम्मान करें’ इन शब्दों में चीन के विदेश विभाग ने ब्रिटन के प्रधानमंत्री को सुनाया है। हाँगकाँग समेत चीन के अंदरूनी मामलों में दखलअंदाजी करने की कोशिशें ब्रिटन बंद करें, अन्यथा ऐसीं कोशिशें बुमरँग होकर, उन्हें ही उसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे, यह धमकी भी चीन के प्रवक्ता झाओ लीजिअन ने दी है।

चीन की इस धमकी पर ब्रिटन ने तुरंत प्रतिक्रिया दर्ज़ की है। ‘हाँगकाँग सुरक्षा कानून से संबंधित चीन की गतिविधियाँ, यह ब्रिटन और चीन के बीच हुए संयुक्त समझौते का स्पष्ट उल्लंघन साबित होता है। इस वज़ह से, हाँगकाँग की जनता के साथ होनेवाले ऐतिहासिक संबंध और मित्रता ध्यान में रखकर ब्रिटन अगले कदम उठाएगा’ ऐसा ब्रिटीश प्रधानमंत्री के प्रवक्ता ने जताया है।

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