इसके बाद १४ अगस्त यह ‘विभाजन विभीषिका स्मृतिदिन’ – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा

नई दिल्ली – ‘‘देश के बँटवारे ने दिए दर्द को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। विद्वेष और हिंसा के कारण हमारे लाखों भाई-बहन विस्थापित हुए और उन्हें अपनी जान गँवानी पड़ी। इन सब लोगों के संघर्ष का स्मरण रखने के लिए इसके बाद १४ अगस्त इस दिन का ‘विभाजन विभीषिका स्मृतिदिन’ के रूप में पालन किया जाएगा। यह दिन नफरत और शत्रुता का जहर ख़त्म करने के लिए हमें प्रेरित करने के साथ ही, हमारी एकता और सामाजिक सद्भाव को बढ़ाकर मानवीय संवेदनाओं को अधिक दृढ करेगा’’, ऐसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषित किया।

भारत के स्वतंत्रता दिवस का अमृत महोत्सवी वर्ष शुरू हो रहा है, ऐसे में प्रधानमंत्री ने १४ अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिन’ घोषित करके बहुत बड़ा फैसला किया है। विदेशी राजनीति और हिंसाचार का आधार लेकर पाकिस्तान का निर्माण हुआ था। १४ अगस्त को पाकिस्तान अपना स्वतंत्रता दिन मनाता है। लेकिन पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिन, यह भारत के लिए बँटवारे के भयंकर हिंसाचार की स्मृतियों का भाग साबित होता है। इस इतिहास को नकारा नहीं जा सकता और भारत के विद्वेष पर ही पाकिस्तान का निर्माण हुआ है, इसे भी भुलाया नहीं जा सकता, ऐसा संदेश प्रधानमंत्री ने इस घोषणा के ज़रिए दिया है। स्वाभाविक रूप में इस पर पाकिस्तान से प्रतिक्रिया आई है।

Split-Pain-Memorial-Dayभारत के प्रधानमंत्री ने की यह घोषणा यानी इतिहास का विपर्यास साबित होता है, ऐसी आलोचना पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने की है। साथ ही, आधुनिक राष्ट्र से ऐसीं बातों की उम्मीद नहीं होती, ऐसा कहते हुए पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झईद हफीज चौधरी ने अपने देश की नाराज़गी ज़ाहिर की। साथ ही, यह राजनीतिक स्टंट होने का दावा करके, भारत पुराने जखम मिटाने के बदले उनपर नमक छिड़क रहा है, ऐसी आलोचना भी चौधरी ने की है। साथ ही, पिछले महीने में लाहौर में हुए बम विस्फोट के पीछे भारत का हाथ होने के पुख्ता सबूत पाकिस्तान ने जगज़ाहिर किए हैं, उनसे दूसरी ओर ध्यान मोड़ने के लिए भारत ऐसे कारनामे कर रहा है, ऐसा हास्यास्पद आरोप चौधरी ने किया।

उसी के साथ, भारत आतंकवाद का मार्ग छोड़ दें, ऐसी माँग पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने की। ऐसे बेतुके आरोप पाकिस्तान कर रहा है, फिर भी प्रधानमंत्री मोदी की इस घोषणा से पाकिस्तान बेचैन हुआ स्पष्ट रूप में दिखाई दे रहा है। मोहम्मद अली जिना ने उकसाने के बाद पाकिस्तान के निर्माण के लिए हिंसाचार शुरू हुआ था। इस सच को दबाने की कोशिश आज तक पाकिस्तान ने की थी। इस कारण इस देश का निर्माण शांति के मार्ग से नहीं, बल्कि विद्वेष और हिंसा के आधार पर ही हुआ था, यह बात इससे हर साल दुनिया के सामने आती रही। इसी कारण, सोशल मीडिया में भारतीयों ने प्रधानमंत्री की इस घोषणा का स्वागत किया।

बँटवारे के इतिहास को नकारा जा ही नहीं सकता। उल्टे इस इतिहास से हम सबक सीख सकते हैं। इसी कारण ‘विभाजन विभीषिका स्मृतीदिन’ बहुत ही महत्वपूर्ण साबित होता है, ऐसे दावे किए जा रहे हैं। कुछ न्यूज़ चैनल्स पर विश्लेषकों ने यह सलाह दी कि इस उपलक्ष्य में, बँटवारे में अपना सर्वस्व गवा चुके लोगों के इंटरव्यू प्रस्तुत करें। इससे नई पीढ़ी को बँटवारे का सच्चा इतिहास समझेगा, ऐसा इन विश्लेषकों का कहना है। 

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