सीरिया को सदस्यता देकर अरब लीग ने गंभीर रणनीतिक भूल कर दी – अमरीका की अरब लीग को चेतावनी

वॉशिंग्टन/न्यूयॉर्क – ‘अरब लीग ने सीरिया की अस्साद हुकूमत को नए से संगठन की सदस्यता देकर गंभीर रणनीतिक भूल कर दी है। इससे प्रेरणा लेकर अस्साद हुकूमत एवं रशिया और ईरान आम नागरिकों की हत्या और खाड़ी में अस्थिरता फैलाना जारी रखेंगे’, ऐसी चेतावनी अमरीका ने दी है। इस वजह से अमरीका का बायडेन प्रशासन और अरब देशों के मतभेद फिर से दुनिया के सामने आए हैं।

पिछले कुछ दिनों से सौदी अरब, यूएई, जॉर्डन और इराक इन अरब देशों ने सीरिया की अस्साद हुकूमत के साथ नए से संबंध स्थापित करने की गतिविधियां तेज़ कर दी हैं। जॉर्डन की राजधानी अमान में सीरिया के साथ प्रमुख अरब देशों के प्रतिनिधियों से बैठक की थी। इसके बाद अगले कुछ ही घंटे बाद ‘अरब लीग’ ने सीरिया को फिर से संगठन में शामिल करने का ऐलान किया। सीरिया एवं ईरान ने अरब लीग के इस ऐलान का स्वागत किया है। लेकिन, अमरीका ने अरब लीग के इस निर्णय की आलोचना की है।

‘अरब देशों ने सीरिया संबंधित किए इस निर्णय का अमरीका समर्थन नहीं करेगी। अरब लीग में प्रवेश पाने के लिए सीरिया ने कुछ भी अच्छा नहीं किया है, यह अमरीका का स्पष्ट विचार है। इस वजह से कुछ भी हो अमरीका अस्साद हुकूमत के साथ संबंध नहीं सुधारेगी। साथ ही अमरीका के मित्र और सहयोगी देशों ने किए इस निर्णय का समर्थन करना बिल्कुल भी मुमकिन नहीं होगा’, यह अमरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वेदांत पटेल ने स्पष्ट किया। अमरीका के प्रतिनिधि सदन की विदेश समिति के अध्यक्ष माईक मैक्कॉन ने स्पष्ट शब्दों में अरब देशों को आगाह किया।

सीरिया को फिर से संगठन की सदस्यता देकर अरब लीग ने गंभीर रणनीतिक भूल की है, ऐसी चेतावनी मैक्कॉन ने दी है। साथ ही सीरियन राष्ट्राध्यक्ष बशर अल-अस्साद में किसी भी तरह का बदलाव नहीं हुआ है। अस्साद हुकूमत आज भी सीरियन जनता पर अत्याचार कर रही हैं, यह आरोप मैक्कॉल ने लगाया। लेकिन, जल्द ही अस्साद को उनकी गलती की सज़ा मिलेगी, ऐसी चेतावनी मैक्कॉन ने दी।

अमरीका और अरब मित्र देशों में पहले से ही मतभेद निर्माण होने की चर्चा शुरू हुई है। सीरिया को अरब लीग में शामिल करके सौदी और अन्य अरब मित्र देशों ने अमरीका को दर्द देने की बात दिख रही है। इसके बाद भी अरब देशों के साथ हमारे मतभेद ना होने का दावा अमरीका कर रही है। अमरीका और अरब सहयोगी देश सीरिया को लेकर समान उद्देश्यों पर काम कर रहे हैं, ऐसा पटेल ने कहा। लेकिन, उन्होंने सीरिया के मुद्दे पर किए बयान अगल संदेश पहुंचा रहे हैं।

इसी बीच, अरब लीग में सीरिया का समावेश करने पर अमरीका ऐसें बयान कर रही है, तभी संयुक्त राष्ट्र संघ ने अस्साद हुकूमत को झटका दिया है। रासायनिक हथियारों को नष्ट करने के संबंधित सीरिया ने अभी भी २० मुद्दों पर आवश्यक काम करके संतुष्ट नहीं किया है, ऐसा दावा संयुक्त राष्ट्र संघ ने किया है। अस्साद हुकूमत ने अपने विरोधियों पर रासायनिक हथियारों का प्रयोग किया था, यह आरोप भी राष्ट्र संघ और मानव अधिकार संगठनों ने लगाए थे। अस्साद हुकूमत ने यह सभी आरोप ठुकराए थे।

तुर्की-सीरिया ताल्लुकात सुधारने के लिए रशिया में विशेष बैठक का आयोजन

इस्तंपूल/मास्को – अरब लीग ने सीरिया के साथ सहयोग स्थापित करने के बाद तुर्की और सीरिया के ताल्लुकात सुधारने के लिए आवश्यक गतिविधियां शुरू हुई हैं। इसके लिए रशिया में विशेष बैठक का आयोजन हुआ हैं। रशिया के विदेश मंत्री सर्जेई लैव्हरोव्ह तुर्की के विदेश मंत्री मेवलूत कावुसोग्लू इस बैठक में शामिल हुए है। मास्को में शुरू इस बैठक में जल्द ही ईरान और सीरिया के विदेश मंत्री भी शामिल होंगे।

वर्ष २०११ में सीरिया की अस्साद हुकूमत के विरोध में अमरीका ने शुरू किए संघर्ष में नाटो सदस्य तुर्की भी शामिल हुआ था। लेकिन, बाद के दौर में तुर्की ने नाटो से दूर जाकर अस्साद हुकूमत विरोधी गतिविधियां शुरू की है।

सीरिया के कुर्द विद्रोही तुर्की की सुरक्षा को चुनौती होने का आरोप लगाकर तुर्की ने सीरिया के उत्तरी हिस्से में सेना को उतारा हैं। साथ ही वहां के कुर्दोंके ईंधन समृद्ध ठिकानों पर तुर्की ने कब्ज़ा करने की खबरें भी सामने आयी थी।

सीरिया की अस्साद हुकूमत के साथ मित्रता के संबंध रखने वाले रशिया और ईरान ने तुर्की के साथ त्रिपक्षीय चर्चा करके सीरिया में युद्ध विराम करवाया था। इस वजह से सीरिया में अस्साद हुकूमत बनाम तुर्की, ऐसा संघर्ष छिड़ गया था। लेकिन, पिछले कुछ हफ्तों से खाड़ी में राजनीतिक गतिविधियां तीव्र हुई हैं। अरब देशों ने सीरिया की अस्साद हुकूमत को अरब लीग में शामिल किया है। ऐसी स्थिति में तुर्की भी सीरिया की अस्साद हुकूमत के साथ सहयोग स्थापित करें, इस कोशिश में रशिया और ईरान हैं।

इसी बीच, सौदी अरब और ईरान का सहयोग बायडेन प्रशासन के लिए झटका होने का दावा किया जा रहा है। अरब लीग में सीरिया के समावेश से बायडेन प्रशासन को झटका लगा है। इसके बाद नाटो सदस्य देश तुर्की ने सीरिया के साथ सहयोग स्थापित किए तो खाड़ी क्षेत्र में अमरीका के प्रभाव के लिए यह बात काफी घातक साबित होगी, ऐसा समझा जा रहा हैं।

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