सर्जिकल स्ट्राईक और ‘बालाकोट’ के बाद घुसपैठ में कमी – केंद्रीय गृहराज्यमंत्री

नई दिल्ली – भारत की सीमा में पाकिस्तान से हो रही घुसपैठ में ४३ प्रतिशत की कमी हुई है, यह जानकारी केंद्रीय गृहराज्यमंत्री ने लोकसभा में दी है| पाकिस्तान में आतंकियों के अड्डों पर किए गए हमलों के बाद घुसपैठ की तादाद में कमी दर्ज की गई है, यह जानकारी केंद्रीय गृहराज्यमंत्री ने इस दौरान दी| साथ ही केंद्र सरकार ने आतंकवाद को बर्दाश्त ना करने की आक्रामक नीति अपनाई है और इसके तहेत सेना को पूरी आजादी दी गई है, इस ओर भी केंद्रीय गृहराज्यमंत्री नित्यानंद राय ने ध्यान आकर्षित किया|

लोकसभा में पुछे गए सवाल पर जवाब देते समय नित्यानंद राय ने यह जानकारी रखी| भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकियों के अड्डे पर किया हवाई हमला और उससे पहले किया हुआ ‘सर्जिकल स्ट्राईक’ का असर दिखने लगा है| इस वजह से पाकिस्तान के कब्जेवाले कश्मीर से हो रही घुसपैठ की तादाद काफी बडी मात्रा में कम हुई है| यह घुसपैठ लगभग ४३ प्रतिशत से कम हुई है| साथ ही केंद्र सरकार ने आतंकियों के विरोध में कडी नीति अपनाने से जम्मू-कश्मीर अधिक ही शांत और स्थिर होने का दावा भी राय ने किया| आतंकियों को खतम करने के लिए सेना को पूरी छुट दी गई है, यह कहकर इससे आतंकियों को रोकने में सफलता मिलने के संकेत राय ने दिए|

जम्मू-कश्मीर में सेना की कार्रवाई में सैकडों आथंकी मारे जा रहे है और इस वजह से आतंकी संगठनों का मनोबल टूट चुका है| इसी लिए आजतक जम्मू-कश्मीर में एक दुसरे से स्पर्धा कर रही आतंकी संगठन अब एक होकर भारतीय सेना से लडने की कोशिश कर रही है| हाल ही में अल कायदा ने कश्मीरी आतंकी संगठनों को एक होने का निवेदन किया था| आतंकियों के साथ ही अलगाववादी नेताओं के विरोध में शुरू कार्रवाई की गति बढाई गई है| खास तौर पर ‘हरियत कान्फरन्स’ इस अलगाववादीयों की प्रमुख संगठन के नेताओं के गैरकानुनी आर्थिक व्यवहार अब सामने आ चुके है और इससे उनकी पोलखोल हुई है|

जम्मू-कश्मीर के युवकों को गुमराह करके उन्हें पथराव करने के लिए विवश कर रहे अलगाववादी नेताओं के बच्चे और रिश्तेदार विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे है, यह बात भी हाल ही में स्पष्ट हुई थी| इस वजह से ‘हुरियत’ पर दबाव बढा है और इसीलिए ‘हुरियत कान्फरन्स’ के नेताओं ने भारत सरकार के साथ बातचीत करने की तैयारी दिखाई है| इससे पहले भारत सरकारने समय समय पर निवेदन करने के बावजूद ‘हुरियत’ के नेता बातचीत नही करेंगे, यह डटकर कह रहे थे| लेकिन, अब स्थिति में बदलाव हुआ है और इस वजह से अलगाववादी नेता बातचीत करने के लिए विवश होने का दावा जम्मू-कश्मीर के कुछ नेताओं ने किया है| वही, सरकार ने ‘हुरियत’ से दिए गए प्रस्ताव पर सकारात्मक जवाब दे, यह उम्मीद जम्मू-कश्मीर के भूतपूर्व मुख्यमंत्री मेहबूबा मुफ्ती इन्होंने जताई है| ‘सरकार देश हित के लिए सही निर्णय करेगी’, यह संकेत केंद्र सरकार से प्राप्त हो रहे है|

अगले समय में भी केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बर्दाश्त नही करेंगे, इस आक्रामकता पर कायम रहे, यह मांग भूतपूर्व लष्करी अधिकारी एवं सामरिक विश्‍लेषक कर रहे है| यह आक्रामक नीति बरकरार रही तो जल्द ही जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद की समस्या खतम होगी, यह विश्‍वास यही भूतपूर्व सेना अधिकारी एवं सामरिक विश्‍लेषक व्यक्त कर रहे है|

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