‘मेक इन इंडिया’ के तहेत १७० लडाकू विमानों का निर्माण होगा

नई दिल्ली – ‘मेक इन इंडिया’ के तहेत लगभग १.५ लाख करोड रूपयों के १७० लडाकू विमानों का निर्माण होगा| यह रकम डॉलर्स में २२ अरब डॉलर्स होगी और फ्रान्स के साथ हुए रफायल विमानों की खरेदी के लिए हुए समझौते से भी अधिक है यह रकम| इसके जरिए भारतीय वायुसेना को लडाकू विमानों की महसूस हो रही कमी खतम करने की सरकार की कोशिश है| इन १७० विमानों में से ५६ विमानों के निर्माण की परियोजना इस वर्ष के आखिरी महीने तक शुरू होगी| वही, अन्य ११४ विमानों के लिए जरूरी मंजुरी की प्रक्रिया भी जल्द पूरी हो, इसके लिए वायुसेना कोशिश कर रही है|

भारत के वायुसेनाप्रमुख बी.एस.धनोआ रशिया की यात्रा कर रहे है और चार दिन की इस यात्रा का पुरा ब्यौरा अभी उजागर नही हुआ है| लेकिन, वायुसेनाप्रमुख धनोआ मिग और सुखोई इन लडाकू विमानों की निर्माण कर रहे कंपनियों को भेंट देंगे| साथ ही रशियन लडाकू विमान से भी वायुसेनाप्रमुख धनोआ उडान भरेंगे, यह जानकारी सामने आ रही है| भारत और रशिया के बीच अतिप्रगत लडाकू विमानों का संयुक्त निर्माण करने के मुद्दे पर बातचीत शुरू है और यह निर्माण ‘मेक इन इंडिया’ के तहेत हो, इसके लिए भारत की कोशिश हो रही है| रशिया ने भी भारत की इस कोशिश को समर्थन देने की तैयारी दिखाई है, इससे जुडी खबरें कुछ दिन पहले प्रसिद्ध हुई थी|

साथ ही अमरिका, फ्रान्स और स्वीडन एवं यूरोपियन कंपनियां भी भारत के साथ संयुक्त परियोजना में लडाकू विमान का निर्माण करने के लिए उत्सुक होने की बात सामने आ चुकी थी| भारत देशांतर्गत निर्माण कर रहे ११४ विमानों की परियोजना में फ्रान्स के ‘रफायल’ समेत कुल सात लडाकू विमानों का विकल्प है| इनमें अमरिका के ‘एफ-१६’ और ‘एफ/ए-१८’, रशिया के ‘मिग-३५’ व ‘सुखोई-३५’, स्वीडन के ‘ग्रिपेन-ई’ और यूरोपियन महासंघ के ‘युरोफायटर टायफून’ का समावेश है|

लेकिन, अभी इसबारे में भारत ने निर्णय नही किया है| आम तौर पर तय प्रक्रिया पर विचार करें तो इस संबंधी निर्णय होकर लडाकू विमान वायुसेना के बेडे में शामिल होने के लिए लगभग ५ वर्ष लग सकते है| लेकिन, लडाकू विमानों की भारतीय वायुसेना को महसूस हो रही कमी की ओर देखे तो भारत को इतनी लंबी प्रतिक्षा करना मुमकिन नही है, यह दिखाई दे रहा है| इसी लिए यह प्रक्रिया अधिक से अधिक तेजी के साथ पूरी करने के लिए वायुसेना के अधिकारी कोशिश कर रहे है|

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