सिंधु जल आवंटन समझौते के अनुसार ही पाकिस्तान में बहनेवाले पानी को सिंचाई के लिए मोड़ने की योजना – जल शक्तिमंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की जानकारी

नई दिल्ली – भारत और पाकिस्तान ने वर्ष 1960 में किए सिंधु जल आवंटन समझौते के अनुसार ही पाकिस्तान में बहनेवाले अतिरिक्त पानी को सिंचाई के लिए मोड़ा जा रहा है, ऐसा जल शक्तिमंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा है। भारत के हिस्से का पानी पाकिस्तान में जाने ना देकर इसका पूरा इस्तेमाल भारत में ही कैसे करना मुमकिन होगा, इस ओर ध्यान दिया जा रहा है और इस नज़रिये से अलग अलग योजनाओं पर काम जारी होने का बयान शेखावत ने किया है।

भारत फिलहाल भारत से बहकर पाकिस्तान पहुँच रही ब्यास, रावी, सतलज जैसी नदियों पर अलग अलग प्रकल्पों का काम कर रहा है। इसमें छोटे जल बिजली प्रकल्पों के अलावा कुछ सिंचाई के प्रकल्पों का भी समावेश है। रावी नदी की प्रमुख सहायक नदी उज्ह नदी पर एक प्रकल्प का निर्माण कार्य हो रहा है और इससे करीबन 781 ‘एमसीएम’ जल का भंड़ारण करना संभव होगा। उज्ह नदी का पानी मोड़कर इसका वर्णित प्रकल्प में भंड़ारण किया जाएगा। इस प्रकल्प की पृष्ठभूमि पर बोलते समय शेखावत ने यह बात स्पष्ट की कि, भारत को सतलज, रावी एवं अन्य नदियों पर निर्माण हो रहे यह प्रकल्प भारत-पाकिस्तान के सिंधु जल आवंटन समझौते के अनुसार ही हैं।

नौं वर्षों तक चली बातचीत के बाद वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता से वर्ष 1960 में भारत-पाकिस्तान सिंधु जल आवंटन समझौता किया गया था। भारत इस समझौते का पालन कर रहा है और इस समझौते के दायरे में रहकर ही इन सभी प्रकल्पों का काम हो रहा है, ऐसा शेखावत ने कहा। भारत के हिस्से का जो पानी बहकर पाकिस्तान जा रहा है इसका पूरी तरह से इस्तेमाल करने के लिए इन प्रकल्पों का काम हो रहा है। पाकिस्तान पहुँच रहा पानी रोककर इसे भारतीय भूमि में सिंचाई के लिए मोड़ा जा रहा है। इस पानी से लाखों हेक्टर ज़मीन की सिंचाई होगी। इसी नज़रिये से योजना बनाकर प्रकल्पों का निर्माण हो रहा है, ऐसा शेखावत ने कहा।

सिंधु जल आवंटन समझौते के तहत भारत के हिस्से में रावी, सतलज, ब्यास नदी का पानी प्राप्त हुआ और पाकिस्तान को झेलम, चिनाब और सिंधु नदी का पानी प्राप्त हुआ। इस वजह से रावी, सतलज, ब्यास और उनकी सहायक नदियों पर निर्माण हो रहे प्रकल्प हमारा अधिकार है। इस वजह से इन नदियों पर हो रहे प्रकल्प किसी भी तरह से गलत नहीं हैं और इस पर पाकिस्तान सवाल नहीं उठा सकता। इसके बावजूद पाकिस्तान इन प्रकल्पों पर आपत्ति जताता है लेकिन, यह पूरी तरह से अवैध होने का इशारा शेखावत ने दिया।

वर्ष 2016 में उरी स्थित भारतीय लष्करी अड्डे पर हुए हमले के बाद ही भारत ने पाकिस्तान में बह रहे भारत के हिस्से के पानी को रोकने का संकल्प घोषित किया था। साथ ही समय रहा तो भारत अन्य नदियों का पानी रोकने के लिए भी आगा-पीछा नहीं देखेगा, यह संकेत प्रधानमंत्री मोदी ने दिए थे। खून और पानी एकसाथ नहीं बह सकते, ऐसे स्पष्ट शब्दों में प्रधानमंत्री मोदी ने इशारा दिया था। इसी बीच भारत के केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने यह स्पष्ट किया था कि, भारत के हिस्से की एक बूंद भी बहकर पाकिस्तान पहुँचने नहीं दी जाएगी। इस वजह से भारत में निर्माण हो रहे प्रकल्पों के मुद्दे पर पाकिस्तान काफी बेचैन है और भारत ने पानी रोका तो पाकिस्तान रेगिस्तान में तब्दील हो जाएगा, यह ड़र पाकिस्तान को लगातार सता रहा है।

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