पूर्व लद्दाख से चीन की वापसी की प्रक्रिया पुरी

नई दिल्ली – पूर्व लद्दाख के ‘एलएसी’ के गोग्रा की पहाड़ीयाँ और हॉटस्प्रिंग से चीनी सेना ने पीछे हटने की शुरू की हुई प्रक्रिया मंगलवार को पुरी हुई। भारत और चीन की सेना ने यहां पर एक-दूसरें की वापसी की पुष्टी की हैं, यह भी बताया जा रहा है। भारत के साथ संबंध सुधारने हैं तो चीन की सेना को यहां से पीछे हटना ही होगा, ऐसी चेतावनी भारत ने बारबार दी थी। दो सालों के तनाव के बाद चीन ने भारत की माँग के अनुसार इस क्षेत्र से अपनी सेना को पीछे हटाया। इस वजह से भारत ने अपनाई पुख्ता भूमिका को प्राप्त हुई यह बड़ी सफलता बनती है, ऐसा विश्‍लेषकों का कहना हैं।

पूर्व लद्दाखलद्दाख के ‘एलएसी’ पर बना तनाव कम करने के लिए दोनों देशों की सेना की चर्चा के १६ दौर हुए। इनमें से १६ वीं दौर की चर्चा में पूर्व लद्दाख से पीछे हटने केमुद्दे पर दोनों देशों की सेना में सहमति हुई थी। तब यह बात सार्वजनिक नहीं की गई। इस कारण से चर्चा का यह दौर भी असफल हुआ, ऐसीं खबरें प्रप्त हुई थी। लेकिन, इस चर्चा के दौरान ही चीन ने अपनी सेना को पीछे हटाने की तैयारी दिखाई थी, यह बाद में स्पष्ट हुआ। उज़बेकिस्तान के समरकंद में आयोजित की गई ‘एससीओ’ की बैठक ही चीन के ऐसें पीछे हटने की प्रमुकवजह होने का दावा किया जा रहा हैं। इस बैठक में भारत के प्रधानमंत्री और चीन के राष्ट्राध्यक्ष उपस्थित रहेंगे और उनके बीच होनेवाली द्वीपक्षीय चर्चा में ‘एलएसी’ पर बना तनाव बाधां ना बनें, इसके लिए चीन ने इस तरह से झुककर सेना को पीछे हटाया, ऐसा माध्यमों का कहना हैं।

ताइवान के मुद्दे पर चीन ने अमरीका और अन्य पश्‍चिमी देशों के संबंधों में तनाव बना हैं। ऐसी स्थिति में भारत जैसें पड़ोसी देश के साथ तनाव बनाए रखना चीन की क्षमता से बाहर होगा। पहले के समय में भी चीन ने ‘एलएसी’ पर अपनी सेना तैनात रखकर भारत से संबंध सुधारने की गतिविधियाँ शुरू की थी। चीन के विदेशमंत्री वैंगई ने इसके लिए भारत का दौरा भी किया। लेकिन, भारत ने सीमा पर सौहार्द स्थापित हुए बिना चीन से सहयोग मुमकिन ना होने की पुख्ता भूमिका अपनाई थी। साथ ही भारत की सीमा में घुसपैठ करने की चीन कोशिश कर रहा हैं और इस वजह से दोनों देशों के संबंध काफी बिगड़े होने की बात भारतीय विदेशमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी ढ़ंग से रखी थी। चीन विस्तारवादी देश हैं, यही बात इससे अधिक स्पष्ट तौर पर विश्‍व के सामने पेश हुई। इससे भी चीन पर दबाव बना था।

चीन के पीछे हटने की यह पृष्ठभूमि हैं। इसी के साथ ठंड़ का मौसम जल्द ही शुरू हो रहा हैं और लद्दाख के ‘एलएसी’ पर चीनी सैनिकों के खड़े रहना काफी कठिन हैं। पिछले दो सालों में चीनी सेना ने इसका काफी कठिन अनुभव किया था। कड़ी ठंड़ का मौसम बर्दाश्‍त ना होने से चीन के सैकड़ों सैनिक बिमार पड़े थे। इसे भी ध्यान में रखकर चीन ने यहां से पीछे हटने का निर्णय किया दिखता है। इस वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन को पीछे हटने के लिए मज़बूर करनेवाला समर्थ देश, ऐसी भारत की छबि तैयार हुई हैं। इससे भारत को काफी बड़े लाभ प्राप्त हो सकते हैं।

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