चीन सीमा विवाद की जटिलता ना बढ़ाए – भारत के विदेश मंत्रालय का इशारा

नई दिल्ली – ‘६० वर्ष पहले अवैध कब्ज़ा किए हुए लद्दाख के पूर्वीय पैन्गॉन्ग त्सो के क्षेत्र में चीन पुल का निर्माण कर रहा है। इसका भारत ने गंभीर संज्ञान लिया है। ऐसी स्थिति में अपनी सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के लिए भारत आवश्‍यक कदम उठाए बिना नहीं रहेगा’, ऐसा बयान विदेश मंत्रालय ने किया है। इसके साथ ही अरुणाचल प्रदेश में स्थानों के नाम बदलने की चीन की कोशिश हास्यास्पद है क्योंकि, इस क्षेत्र को भारत से कभी भी अलग नहीं किया जा सकेगा। ऐसी हरकतें करके चीन सीमा विवाद की जटिलता ना बढ़ाए, ऐसी फटकार भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने लगाई है।

नए साल के आरंभ से ही भारत और चीन के बीच प्रचारयुद्ध तीव्र हुआ है। गलवान की घाटी में हमारे सैनिकों ने राष्ट्रध्वज लहराने के वीडियो और फोटो चीन ने सोशल मीडिया पर प्रसिद्ध किए थे। इसके ज़रिये गलवान की घाटी हमारी सेना के कब्ज़े में आने का भ्रम निर्माण करने की चीन की मंशा थी। लेकिन, भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों के साथ हुई मुठभेड़ के स्थान पर राष्ट्रध्वज के साथ अपने सैनिकों के फोटो प्रसिद्ध किए और चीन को करारा तमाचा जड़ा। इसके साथ ही चीन पैन्गॉन्ग त्सो के क्षेत्र में पुल निर्माण कर रहा है, ऐसी खबरें भी प्राप्त हुईं थी। इसके पीछे भी चीन की भारतीय नागरिकों को बेचैन करने की साज़िश की बात दिखती है।

सीमा विवादलेकिन, चीन का यह पुल भारतीय सेना के नियंत्रण वाले क्षेत्र में नहीं बनाया जा रहा है। बल्कि, ६० वर्ष पहले चीन ने अवैध कब्ज़ा किए पैन्गॉन्ग त्सो क्षेत्र में चीनी सेना इस पुल का निर्माण कर रही है, यह जानकारी भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने प्रदान की। यह क्षेत्र भारत का है और इस पर चीन का अवैध कब्ज़ा भारत को गवारा नहीं है, ऐसा प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ड़टकर कहा। इस पर भारत आपत्ति जताएगा, यह संकेत देकर भारत यह बात काफी गंभीरता से ले रहा हैं, इस पर बागची ने ध्यान आकर्षित किया।

भारत और चीन के बीच खींची गई ‘एलएसी’ का स्थान स्पष्ट नहीं है। इस वजह से चीन के दावे और दुष्प्रचार पर जवाब देना भारत के लिए कठिन हो गया है। वर्ष १९६२ में चीन ने यकायक हमला करके भारत के इस क्षेत्र पर कब्ज़ा किया था। इस क्षेत्र में बुनियादी सुविधा एवं निर्माण कार्य करके चीन ने भारत की सीमा में घुसपैठ की है, ऐसी खबरें फैला रहा हैं। फिलहाल हमारे कब्ज़े में ना होनेवाले क्षेत्र पर चीन इन हरकतों को अंज़ाम दे रहा है, इस पर भारतीय सेना और विदेश मंत्रालय को लगातार ध्यान आकर्षित करना पड़ रहा है। पैन्गॉन्ग त्सो क्षेत्र में चीन द्वारा किए जा रहे पुल के निर्माण कार्य पर भी विदेश मंत्रालय को यह खुलासा करना पड़ा है। लेकिन, ऐसा करते समय इस क्षेत्र पर चीन का कब्ज़ा अवैध है और यह बात भारत के विदेश मंत्रालय ने ड़टकर कही है। साथ ही अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों के नाम बदलकर चीन के हाथ कुछ भी नहीं लगेगा। यह क्षेत्र भारत से अलग करना कभी मुमकिन नहीं होगा, इसका स्पष्ट अहसास प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कराया। इतना ही नहीं बल्कि, ऐसी हास्यास्पद हरकतें करने के बजाय चीन सकारात्मक कदम उठाकर सीमा विवाद का हल निकालने के लिए भारत से सहयोग करे, ऐसा बागची ने कहा है।

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