अरुणाचल प्रदेश के स्थानों के नाम बदलकर उकसा रहे चीन को भारत का मुँहतोड़ प्रत्युत्तर

नई दिल्ली – अरुणाचल प्रदेश के कुछ गांवों के नाम बदलकर चीन ने फिर से भारत को उकसाया है। अरुणाचल प्रदेश भारत का क्षेत्र था और आगे भी रहेगा, ऐसा कहकर भारत के विदेश मंत्रालय ने चीन को लताड़ा है। भारत के साथ जारी सीमा विवाद का हल निकालकर चीन सौहार्दता स्थापित करने के प्रति गंभीर नहीं है, यही बात इन हरकतों से चीन ने फिर से दिखाई है। भारत और चीन के साथ गठबंधन करने के लिए (आरआयसी) रशिया की कोशिशों को चीन की ऐसी हरकतों की वजह से खतरा निर्माण होता दिख रहा है।

अरुणाचल प्रदेशकुछ दिन पहले ही चीन ने लद्दाख के ‘एलएसी’ के करीबी तिब्बत क्षेत्र में मशीन गन्स से लैस रोबोट तैनात करने की खबरें प्राप्त हुईं थी। चीन के सैनिकों को लद्दाख के एलएसी की कड़ाके की ठंड़ बर्दाश्‍त ना होने से चीनी सेना यह निर्णय करने के लिए मज़बूर हुई। भारतीय माध्यमों ने यह बात उठाने के बाद चीन ने फिर से अरुणाचल प्रदेश के १५ स्थानों के नाम बदलकर इन पर अपना दावा जताने की कोशिश की है। इसके ज़रिये भारत को उकसाने की कोशिश चीन कर रहा है।

चीन अपने देश में हो रहे विंटर ओलिम्पिक के प्रमुख अतिथि के तौर पर भारत के प्रधानमंत्री को आमंत्रित करने की तैयारी कर रहा है, यह दावे कुछ लोग कर रहे हैं। अमरीका, जापान समेत कुछ प्रमुख यूरोपिय देशों ने चीन में होनेवाले खेलों पर राजनीतिक बहिष्कार किया है। लेकिन, भारत ने ऐसा निर्णय ना करके अपनी विदेश नीति अमरीका समर्थक ना होने की बात साबित की है, ऐसी सराहना भी चीन के सरकारी माध्यम कर रहे हैं। साथ ही एलएसी पर तनाव निर्माण होने के बावजूद भारत और चीन का द्विपक्षीय व्यापार १०० अरब डॉलर्स हुआ है। इसे चीन के सरकारी माध्यमों ने बड़ी अहमियत भी दी है। लेकिन, भारत दिखा रहे उदारता के बदले चीन उकसानेवाली हरकतें कर रहा है।

इससे पहले २०१७ में भी चीन ने अरुणाचल प्रदेश के छह स्थानों के नाम बदल दिए थे। लेकिन, नाम बदलने से सच्चाई नहीं बदलती, यह इशारा भारत के विदेशमंत्री ने चीन को तब दिया था। अब भी भारत के विदेश मंत्रालय ने चीन को वैसे ही सख्त शब्दों में लताड़ा है। अरुणाचल प्रदेश आज से पहले और आगे भी भारत का ही भूभाग रहेगा, अरुणाचल प्रदेश के स्थानों को नए नाम देने से कुछ नहीं बदलेगा, ऐसा विदेशमंत्री ने अपने निवेदन में कहा है।

चीन ने अपने सरहदी क्षेत्र के लिए नया कानून पारित किया है और १ जनवरी से यह कानून लागू होगा। इसके ज़रिये देश की संप्रभूता की सुरक्षा के लिए चीन की सेना को अधिक अधिकार बहाल करने का ऐलान चीन ने किया था। लेकिन, यह कानून या अरुणाचल प्रदेश के स्थानों के नाम बदलने के ऐलान करने से चीन के हाथ कुछ लगने की संभावना नहीं है। सिर्फ हम भारत के खिलाफ काफी कुछ कर रहे हैं, यही बात चीन ऐसी हरकतों से जता रहा है। यह चीन के प्रचारयुद्ध एवं मानसिक दबाव नीति का हिस्सा होने की बात इससे पहले भी स्पष्ट हुई थी। लेकिन, चीन की ऐसी हरकतें भारत के साथ द्विपक्षिय संबंधों में सुधार करने की संभावना खत्म कर रहे हैं।

रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने भारत और चीन के साथ संयुक्त गुट का निर्माण करके अमरीका की घातक नीति का विरोध करने की कोशिश शुरू की है। ऐसी स्थिति में चीन की भारत विरोधी हरकतों की वजह से रशियन राष्ट्राध्यक्ष की इन कोशिशों को नुकसान पहुँच रहा है। चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता, यही बात चीन अपनी इन गतिविधियों से दिखा रहा है।

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