‘डिजीटल करन्सी’ के सामने सायबर सुरक्षा और धोखा धड़ी की चुनौती – रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास

digital-currency-cyber-security-rbiमुंबई – रिज़र्व बैंक क्रेडिट नीति समिती ने ब्याजदरों में बदलाव ना करने का निर्णय किया है| भारतीय अर्थव्यवस्था कोरोना की महामारी जैसे अदृश्य शत्रु का मुकाबला करने के लिए काफी बेहतर ढ़ंग से तैयार हुई है| लेकिन, अर्थव्यवस्था पूरी तरह से सामान्य होने के लिए और बढ़ोतरी बरकरार रखने के लिए रणनीतिक सहायता की आवश्यकता है, ऐसा क्रेडिट समिती के इस निर्णय का ऐलान करते समय गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा| साथ ही केंद्रीय बैंक के सामने ‘डिजीटल करन्सी’ (सीबीडीसी) करने के लिए कुछ चुनौतियां देखी गई हैं| इनमें सायबर सुरक्षा और डिजीटल धोखा धड़ी की चुनौतियॉं प्रमुख हैं| इस वजह से डिजीटल मुद्रा जारी करने की दिशा में ‘आरबीआई’ बड़ी सावधानी से कदम बढ़ा रही है, ऐसा गवर्नर दास ने कहा|

छह सदस्यों की क्रेडिट नीति समिती की बैठक बुधवार के दिन हुई| उम्मीद के अनुसार इस बैठक में ब्याजदरों में बदलाव ना करने का निर्णय आरबीआई ने किया है| इससे रेपो रेट ४ प्रतिशत, रिवर्स रेपो रेट ३.३५ प्रतिशत बरकरार रहेगा| साथ ही जीडीपी और महंगाई से संबंधित अनुमान में भी आरबीआई ने बदलाव नहीं किया है| इस वर्ष जीडीपी ९.५ प्रतिशत और महंगाई का दर ५.३ प्रतिशत ही रहेगा, यह अनुमान आरबीआई ने लगाया है|

महंगाई दर की बढ़ोतरी के लिए ईंधन की कीमतों की हुई बढ़ोतरी कारण बनी है| इससे कारखानों के लिए ज़रूरी कच्चे सामान की कीमत और यातायात का खर्च बढ़ा है| साथ ही बिजली और उत्पाद की कीमतों की बढ़ोतरी और वैश्‍विक सप्लाई चेन में अड़ंगे भी बड़ी समस्या खड़ी कर रहे हैं, इस ओर आरबीआई ने ध्यान आकर्षित किया| कोरोना के ओमीक्रोन वेरिएंट की वजह से कई देशों में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है, यह भी चुनौती साबित हो सकती है, ऐसा आरबीआई ने स्पष्ट किया|

देश के कई क्षेत्रों ने कोरोना का संकट उभरने के पूर्व दौर का उत्पादन का स्तर लांघ दिया है| ऐसे क्षेत्रों को बाहरी आर्थिक सहायता की ज़रूरत नहीं रही| साथ ही कोरोना की दूसरी लहर के दौरान कर वसुली में निर्माण हुए अड़ंगे दूर हुए हैं और कर वसुली बढ़ने से सार्वजनिक आर्थिक सहायता को मज़बूती प्राप्त होने का मुद्दा शक्तिकांत दास ने रेखांकित किया|

आरबीआई सामने ला रही डिजीटल करन्सी को लेकर गवर्नर शक्तिकांत दास और उप-गवर्नर टी.राबी शंकर ने अहम जानकारी साझा की| केंद्रीय बैंक डिजिटल करन्सी (सीबीडीसी) के दो प्रकार रहेंगे| इनमें से एक होलसेल और दूसरा रिटेल| होलसेल डिजिटल करन्सी पर काफी काम हुआ है| लेकिन, रिटेल करन्सी में काफी जटिलता है और कुछ समस्या भी है| इसकी वजह से इसमें कुछ समय लग सकता है, ऐसा गवर्नर दास ने कहा| साथ ही अगले वर्ष आरबीआई प्रायोगिक स्तर पर डिजिलट करन्सी पेश कर सकती है, यह भी उन्होंने कहा|

लेकिन, डिजिटल करन्सी पेश करने में होनेवाली बड़ी चुनौतियों की ओर उप-गवर्नर शंकर ने ध्यान आकर्षित किया| सीबीडीसी  मौजूदा कागजी मुद्रा का इलेक्ट्रॉनिक संस्करण होगा| लेकिन, इस करन्सी को लेकर कुछ खतरे हैं| खास तौर पर सायबर सिक्युरिटी और डिजिटल धोखा धड़ी को लेकर चिंताएँ हैं, यह बात शंकर ने रेखांकित की| कुछ वर्ष पहले तक जाली करन्सी को लेकर जो चिंताएँ थीं, वैसी ही चिंताएँ डिजिटल करन्सी को लेकर सायबर सुरक्षा के मोर्चे पर हैं| इस वजह से इन चुनौतियों का सामना करने के लिए मज़बूत यंत्रणा एवं प्रावधानों की आवश्यकता है, ऐसा गवर्नर दास ने कहा|

इसी बीच, भारतीय बैंकों को अपनी विदेशी शाखाओं के ज़रिये पूंजी लगाकर उससे प्राप्त होनेवाला मुनाफा भारत लाने की अनुमति प्रदान की गई है| अब इसके लिए आरबीआई की अनुमति की ज़रूरत नहीं रहेगी| लेकिन, बैंकों को सभी निकषों का पालन करना पड़ेगा, यह इशारा भी आरबीआई ने दिया है| मौजूदा व्यवस्था के अनुसार विदेशी शाखाओं में निवेश करने के लिए और वहां का मुनाफा भारत लाने के लिए आरबीआई अनुमति की ज़रूरत थी| नए निर्णय से विदेशों में शाखा रखनेवाली बैंकों को वहां पर पूंजी की किल्लत महसूस नहीं होगी और साथ ही बैंकों को अपनी विदेशी शाखाओं का विस्तार करने में आसानी होगी|

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