चीन की बिजली की किल्लत और बढ़ती माँग की पृष्ठभूमि पर कच्चे तेल के कीमतों में बढ़ोतरी

वॉशिंग्टन/लंदन – अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में सोमवार के दिन कच्चे तेल की कीमत उछलकर प्रति बैरल ८६ डॉलर तक जा पहुँची। इस दौरान अमरीका में कच्चे तेल के कारोबार में ईंधन की कीमत प्रति बैरल ८३ डॉलर्स से अधिक रही। मात्र एक हफ्ते में कच्चे के तेल की कीमतों में ३ प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है।

china-power-crisis-crude-oil-1चीन में निर्माण हुई बिजली की किल्लत रोज़ाना अधिक बढ़ती जा रही है। इस किल्लत को दूर करने के लिए चीन की हुकूमत ने अपनी ईंधन कंपनियों को हर मुमकिन मार्ग से हर कीमत पर ईंधन खरीदने के निर्देश दिए हैं क्योंकि, चीन के बाज़ार में ईंधन की माँग लगातार बढ़ रही है। इसका ईंधन की कीमत पर सीधा असर पड़ता दिखाई दे रहा है। चीन की माँग के कारण कोयला और नैसर्गिक ईंधन वायु की कीमतें पहले की रिकॉर्ड स्तर पर पहुँची हैं। इसके बाद अब कच्चे तेल की कीमत बढ़ने लगी है।

कच्चे तेल की कीमतो ने १० दिन पहले ही प्रति बैरल ८० डॉलर्स का स्तर पार किया था। अब इसकी दोबारा बढ़ोतरी होती दिख रही है। अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में सोमवार के दिन कच्चे तेल की कीमत प्रति बैरल ८६.०४ डॉलर्स दर्ज़ हुई। साथ ही अमरीका के ‘वेस्ट टेक्सास क्रूड फ्युचर्स’ में भी कच्चे तेल की कीमत प्रति बैरल ८३.७३ डॉलर्स तक जा पहुँची है। अमरीका में ईंधन की कीमतों का यह बीते सात वर्षों का रिकार्ड स्तर होने की जानकारी सूत्रों ने प्रदान की।

china-power-crisis-crude-oil-2वैश्‍विक अर्थव्यवस्था कोरोना की महामारी से उभरकर बीते दो महीनों से सामान्य होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। इस वजह से ईंधन और बिजली की माँग बढ़ रही है। लेकिन, इसके साथ ही कोयला, नैसर्गिक ईंधन वायु और कच्चे तेल का उत्पादन माँग की तुलना में ना बढ़ाने से इसकी कीमतों में बढ़ोतरी हो रही हैं। जुलाई में ईंधन उत्पादक देशों की ‘ओपेक’ और ‘ओपेक प्लस’ गुटों की बैठक में ईंधन सप्लाई बढ़ाने के समझौते पर सहमति हुई थी। इस समझौते के अनुसार अगस्त से कच्चे तेल का उत्पादन प्रति दिन चार लाख बैरल्स बढ़ाया गया है।

लेकिन, कच्चे तेल की माँग तेज़ी से बढ़ रही है और सप्लाई सीमित रहने से कीमतों की बढ़ोतरी हो रही है। अगस्त में अमरीका के बायडेन प्रशासन ने ईंधन उत्पादक देशों के ‘ओपेक’ गुट को उत्पादन बढ़ाने के निर्देश दिए थे। लेकिन, ओपेक ने अमरीका की सूचना ठुकराई और अपने समझौते पर कायम रहने का निर्णय किया था। इस वजह से तेल की कीमतों की बढ़ोतरी कायम हैं।

कुछ दिन पहले कच्चे तेल की कीमतों में उछाल देखे जाने के बाद प्रमुख वित्तसंस्था और विश्‍लेषकों ने फिर से यह दावा किया था कि, तेल की कीमत प्रति बैरल १०० डॉलर्स का स्तर पार कर सकती है। कोरोना की महामारी के बाद अर्थव्यवस्था सामान्य हो रही है और इसी बीच ईंधन की कीमतों की बढ़ोतरी नया आर्थिक संकट खड़ा करेगी, यह इशारा भारत ने ईंधन उत्पादक देशों को दिया था।

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