दिसंबर तक भारत में वैक्सीन के २०० करोड़ डोस उपलब्ध होंगे – नीति आयोग के सदस्य डॉ.वी.के.पॉल की जानकारी

सबके लिए वैक्सीन उपलब्ध कराने हेतु वैक्सीन उत्पादक विदेशी कंपनियों के साथ चर्चा जारी है। नई नीति के तहत ‘एफडीए’ और ‘डब्ल्यूएचओ’ ने मंजूरी प्रदान की हुई किसी भी वैक्सीन को भारत में आयात करना मुमकिन हो सकता है। इसके लिए आयातकों को दो दिनों में मंजूरी भी प्रदान की जाएगी। साथ ही अगले हफ्ते से रशिया की ‘स्पुटनिक वी’ वैक्सीन भी टीकाकरण के लिए उपलब्ध होगी।

 

वैक्सीन, उपलब्ध, डॉ.वी.के.पॉल, डब्ल्यूएचओ, टीका, चर्चा, भारत, सीरमनई दिल्ली – अगस्त से दिसंबर तक की कालावधि में सभी भारतीय नागरिकों का टीकाकरण संभव होगा, इतनी मात्रा में वैक्सीन के डोस भारत में उपलब्ध होंगे। देशी-विदेशी कंपनियों द्वारा तकरीबन दो अरब टीकों की आपूर्ति की जाएगी। इससे भारत में सभी नागरिकों को टीका लगाने में कोई भी बाधा नहीं आएगी। यह मुमकिन करने के लिए अलग-अलग कंपनियों के साथ चर्चा जारी होने की जानकारी नीति आयोग के सदस्य डॉ.वी.के.पॉल ने प्रदान की।

भारत में कोरोना की दूसरी लहर ने कोहराम मचाया है और ऐसे में अब कोरोना की तीसरी लहर का भी सामना करना पड़ेगा, ऐसे इशारे विशेषज्ञ दे रहें हैं। लेकिन, इस तीसरी लहर को रोकना है और अगले दिनों में कोरोना का यह संकट दूर करना है तो टीकाकरण ही इसका इलाज है, यह बात भी विशेषज्ञ स्पष्ट कर रहे हैं। भारत में मौजूदा स्थिति में तकरीबन १७.५ करोड़ वैक्सीन के डोस दिए गए हैं। विश्‍व में सबसे तेज़ टीकाकरण भारत में हो रहा है। लेकिन, भारत की जनसंख्या और वर्तमान में उपलब्ध मात्र दो कंपनियों की वैक्सीन का विकल्प होने से देश में टीकाकरण को अधिक गति प्रदान देने की कोशिश सीमित हो रही है। राज्यों द्वारा वैक्सीन की किल्लत होने की शिकायतें दर्ज़ की जा रही हैं। यह किल्लत कब खत्म होगी? साथ ही सरकार ‘कोवैक्सिन’ का टीका तैयार करने की अनुमति अन्य कंपनियाँ और संस्थाओं को क्यों नही दे रही है, ऐसे सवाल भी उठाए जा रहे हैं। डॉ.पॉल ने गुरूवार के दिन इन सभी सवालों के जवाब दिए।

वैक्सीन, उपलब्ध, डॉ.वी.के.पॉल, डब्ल्यूएचओ, टीका, चर्चा, भारत, सीरमभारत में ४५ वर्ष से अधिक उम्र के एक तिहाई नागरिकों को अब तक वैक्सीन का पहला डोस या दोनों डोस दिए जा चुके हैं। भारत में कोरोना के मृतकों में ४५ वर्ष से अधिक उम्र के ८८ प्रतिशत नागरिकों का समावेश है। इस वजह से इस आयु वर्ग के नागरिकों के टीकाकरण का आँकड़ा अहम साबित होगा, इस ओर डॉ.पॉल ने ध्यान आकर्षित किया।

भारत में १८ वर्ष से अधिक उम्र के नागरिकों की जनसंख्या लगभग ९५ करोड़ से अधिक है। इतने लोगों का टीकाकरण करने के लिए वैक्सीन के २०० करोड़ डोस की आवश्‍यकता पड़ेगी। देश में वैक्सीन की उपलब्धता बढ़ाने के लिए अलग-अलग विभाग, विदेश मंत्रालय फाइजर, मॉडर्ना, जॉन्सन ऐण्ड जॉन्सन जैसी कंपनियों से लगातार संपर्क बनाएँ हुए हैं। जुलाई के बाद इन कंपनियाँ की वैक्सीन भारत में उपलब्ध होने की संभावना की जानकारी डॉ.पॉल ने प्रदान की। ‘स्पुटनिक वी’ नामक रशियन वैक्सीन का निर्माण भी जुलाई से भारत में ही शुरू होगा। फिलहाल यह वैक्सीन भारत में आयात की जा रही है और अगले हफ्ते से यह वैक्सीन टीकाकरण के लिए उपलब्ध होगी, यह जानकारी भी डॉ.पॉल ने प्रदान की।

इसके अलावा भारत में फिलहाल वैक्सीन का उत्पादन कर रहीं सीरम और भारत बायोटेक कंपनियाँ अपने प्रकल्प की उत्पादन क्षमता बड़ी मात्रा में बढ़ा रही हैं। इस वजह से भारत में ‘कोविशिल्ड’ और ‘कोवैक्सीन’ की उपलब्धता बढ़ेगी, ऐसा डॉ.पॉल ने कहा।

अगस्त से दिसंबर के दौरान अलग-अलग वैक्सीन्स के २१६ करोड़ डोस भारत में उपलब्ध होंगे। ‘कोविशिल्ड’ के लगभग ७५ करोड़, ‘कोवैक्सीन’ के लगभग ५५ करोड़, ‘बायो ई’ वैक्सीन के ३० करोड़, भारत बायोटेक ने विकसित किए नैसल वैक्सीन के १० करोड़ डोस, ‘गोवावैक्स’ के २० करोड़, ‘स्पुटनिक वी’ के १५ करोड़, ‘ज़ायडस कैडिला’ के ५ करोड़ डोस उपलब्ध होंगे। इसके अलावा अन्य वैक्सीन्स के डोस भी भारतीय बाज़ार में उपलब्ध होंगे, ऐसा दावा डॉ.पॉल ने किया है।

इसी बीच, देश में कोरोना की दूसरी लहर टकराएगी, इसकी जानकारी थी और इसके कारण घबराहट फैलेगी नहीं, इस तरह से राज्य सरकारों और नागरिकों को लगातार चौकन्ना किया जा रहा था। प्रधानमंत्री ने भी मार्च में राज्यों को इस मुद्दे से अवगत कराया था। लेकिन, लहर कितनी बड़ी होगी, इसका अनुमान पहले से व्यक्त करना मुमकिन नहीं होता, यह बात डॉ.पॉल ने स्पष्ट की।

भारत बायोटेक ‘कोवैक्सीन’ का फॉर्मुला अन्य कंपनियों को प्रदान करने के लिए तैयार

भारत बायोटेक की ‘कोवैक्सीन’ नामक वैक्सीन अन्य कंपनियों द्वारा उत्पादन के लिए खुली करने की माँग की जा रही थी। भारत बायोटेक ने इस माँग का स्वागत किया है। इसके लिए कंपनी अपना फॉर्मुला अन्य कंपनियों को प्रदान करने के लिए तैयार है। लेकिन, यह वैक्सीन तैयार करने के लिए जिस तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, इसमें जिंदा विषाणुओं का इस्तेमाल होता है। इस प्रक्रिया के लिए मात्र ‘बीएसएल-३’ दर्जे की लैब की आवश्‍यकता होती है। लेकिन, इस तरह की लैब वैक्सीन का निर्माण करनेवाली अन्य किसी भी कंपनी के पास नहीं है। लेकिन, यदि अन्य कंपनियाँ ऐसी लैब स्थापित करके वैक्सीन निर्माण करने के लिए तैयार होती हैं तो उनका स्वागत होगा, यह बात भी डॉ.पॉल ने स्पष्ट की।

 

‘कोविशिल्ड’ का दूसरा टीका लगाने की कालावधि और बढ़ी

ऑक्सफर्ड-एस्ट्रजेनिका द्वारा विकसित की गई ‘कोविशिल्ड’ वैक्सीन का दूसरा डोस लगवाने की अवधि अधिक बढ़ाई गई है। भारत में ‘कोविशिल्ड’ वैक्सीन का दूसरा डोस शुरू के दिनों में ४ से ६ हफ्तों बाद लगाया जा रहा था। लेकिन, दो महीने पहले इस वैक्सीन का दूसरा डोस लगवाने की अवधि बढ़ाकर ६ से ८ हफ्ते की गई थी। वैक्सीन का दूसरा डोस लगवाने का समय बढ़ाने से यह वैक्सीन अधिक प्रभावी साबित होने की बात पर शोधकर्ताओं का ध्यान गया था। इसके बाद ब्रिटेन जैसे देश ने ‘कोविशिल्ड’ के दूसरे डोस की अवधि बढ़ाकर १२ हफ्ते की थी। भारत ने भी ‘कोविशिल्ड’ के दो टीकों के बीच की अवधि पहले के ६ से ८ हफ्तों से बढ़ाकर १२ हफ्ते करने का निर्णय किया है। ‘नैशनल टेक्नॉलॉजिकल एडवाइजरी ग्रूप ऑन इम्युनाइज़ेशन’ (एनटीएजीआय) नामक विशेषज्ञों की समिति ने ऐसी सिफारिश सरकार से की थी।

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