अमरीका की ‘नॅशनल सिक्युरिटी एजन्सी’ पर सायबरहमला; सायबरवेपन्स चुराये जाने का शक़

वॉशिंग्टन, दि. १८ (वृत्तसंस्था) – अमरीका की सायबर सुरक्षा की मुख्य ज़िम्मेदारी निभानेवाली ‘नॅशनल सिक्युरिटी एजन्सी’ (‘एनएसए’) की वेबसाईट पर ही सायबरहमला होने की बात सामने आयी है| इस हमलें में, अमरिकी सायबर विभाग द्वारा विकसित किये गये ‘सायबरवेपन्स’ चुराये गये होने का दावा किया गया है| हालाँकि ‘शॅडो ब्रोकर्स’ नामक हॅकर्स के गुट द्वारा यह सायबरहमला किये जाने की बात सामने आ रही है, मग़र फिर भी इसके पीछे रशिया का हाथ होने का शक कई विशेषज्ञों द्वारा जताया गया है| पिछले महीने अमरिका की ‘डेमोक्रॅट’ पार्टी पर हुए सायबरहमले के पीछे भी रशिया का हाथ होने का दावा किया गया था|

सायबरहमलासोमवार को ‘नॅशनल सिक्युरिटी एजन्सी’ की वेबसाईट पर हमला होने के बाद यह वेबसाईट पूरी तरह बंद हो चुकी थी| मंगलवार को भी काफ़ी देर तक यह वेबसाईट पूरी तरह सक्रिय नहीं हुई थी| इससे सायबरहमले के दावे को पुष्टि मिल रही है| ‘एनएसए’ से संबंधित ‘इक्वेशन ग्रुप’ को लक्ष्य करने के बाद वेबसाईट बंद हुई होने का दावा किया जा रहा है|

‘शॅडो ब्रोकर्स’ नामक हॅकर्स के गुट द्वारा दी गयी जानकारी से यह बात सामने आयी है| ‘एनएसए’ के लिए काम कर रहे ‘इक्वेशन ग्रुप’ द्वारा ‘सायबरवेपन्स’ विकसित किये जाते है, ऐसा बताया जाता है| इसी गुट पर हमला करते हुए ‘शॅडो ब्रोकर्स’ गुट ने, ‘एनएसए’ द्वारा इस्तेमाल किये जानेवाले ‘सायबरवेपन्स’ चुराये होने की बात सामने आयी है|

इसमें ‘एनएसए’ द्वारा इस्तेमाल किये जानेवाले ‘मालवेअर प्रोग्राम’ के ‘सोर्स कोड’ खुले कर दिये गये हैं| सायबरहमला करनेवाले गुट ने, बड़ी मात्रा में ‘सायबरवेपन्स’ चोरी की होने की जानकारी दी है| इसके साथ ही, सही क़ीमत देनेवाले व्यक्ति तथा गुट को ‘सायबरवेपन्स’ सौंपने का आश्वासन भी दिया है| उसके बदले में इस गुट ने बिटकॉईन्स की माँग की है|

सायबरक्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों ने दी जानकारी के अनुसार, मालवेअर और उसके कोड असली हैं और ये एक बडा सायबरहमला है| ‘एनएसए’ से जुड़ीं कंपनियों और गुटों द्वारा इसके बारे में किसी भी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी गयी है| वहीं, कुछ विशेषज्ञों द्वारा, ‘ऐसा हमला सरकारी विभाग या देश की सहायता के बिना नहीं हो सकता’ ऐसा कहते हुए, हमले के पीछे रशिया होने का शक जताया गया है|

पिछले महीने, अमरीका की ‘डेमोक्रॅट’ पार्टी की संगणकयंत्रणा पर एक के बाद एक ऐसे तीन सायबरहमले हुए थे| इसके पीछे रशिया का हाथ होने का दावा, पार्टी के नेता तथा कुछ विद्यमान और पूर्व अधिकारियों द्वारा किया गया था| हमले की जाँच करनेवाली एजन्सी ‘एफबीआय’ ने भी, इसके पीछे रशिया का हाथ होने के संकेत दिये थे|

इस घटना के बाद, सायबरहमले के मसले पर रशिया पर पाबंदी लगाने के प्रस्ताव पर अमरिकी प्रशासन में चर्चा शुरू हुई थी| लेकिन रशिया द्वारा, उसपर लगाये गये सारे इल्ज़ाम ख़ारिज़ किये गये थे|

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