पाकिस्तान ‘एफएटीएफ’ के ‘ग्रे लिस्ट’ में ही रहेगा

पैरिस – ‘फाइनान्शियल ऐक्शन टास्क फोर्स’ (एफएटीएफ) के अन्य अहम शर्तों की पूर्तता करने में नाकाम हुए पाकिस्तान की मुश्‍किलों में बढ़ोतरी हुई है। ‘एफएटीएफ’ ने पाकिस्तान पर धारणात्मक निर्णयों की कमी और आवश्‍यक कार्रवाई ना करने का आरोप लगाकर ‘ग्रे लिस्ट’ में ही रखने का ऐलान किया है। इस वजह से अगले चार महीने पाकिस्तान ‘ग्रे लिस्ट’ में ही रहेगा। लेकिन, इस दौरान तय सभी शर्तों की पूर्तता ना करने पर पाकिस्तान को ‘ब्लैक लिस्ट’ किया जाएगा, ऐसी सख्त चेतावनी ‘एफएटीएफ’ ने दी है। ‘एफएटीएफ’ की बैठक में अकेले तुर्की ने पाकिस्तान के समर्थन में वोट किया।

‘ग्रे लिस्ट’

मनी लॉन्डरिंग और आतंकवाद को आर्थिक सहायता करनेवालों के विरोध में पाकिस्तान ने की हुई कार्रवाई का ब्यौरा लेने के लिए बीते तीन दिनों से पैरिस में ‘एफएटीएफ’ की बैठक हो रही थी। इस बैठक में पाकिस्तान ‘ब्लैक लिस्ट’ होगा या ‘ग्रे लिस्ट’ में ही रहेगा, यह तय होना था और इस ओर भारत का भी ध्यान लगा था। ‘एफएटीएफ’ ने रखी शर्तें पूरी करने में नाकाम साबित होने से ‘ग्रे लिस्ट’ से बाहर निकलना पाकिस्तान के लिए आसान नहीं होगा, यह दावा विश्‍लेषकों ने पहले ही किया था। इस वजह से शुक्रवार की आखरी बैठक के दौरान ‘एफएटीएफ’ पाकिस्तान के भविष्य का निर्णय घोषित करने की तैयारी में थी।

इस संगठन के अध्यक्ष मार्कस प्लेअर ने साझा की हुई जानकारी के अनुसार पाकिस्तान के सामने कुल २७ शर्तें रखी गई थीं। इनमें से छह शर्तें पाकिस्तान ने पूरी नहीं की हैं। संयुक्त राष्ट्रसंघ ने वैश्विक आतंकी करार दिए हुए जैश ए मोहम्मद का प्रमुख मसूद अज़र, लश्‍कर ए तोयबा का प्रमुख हाफिज सईद और कमांडर लख्वी के विरोध में कार्रवाई करने में पाकिस्तान नाकाम रहा है। मुंबई पर हुआ २६/११ का भीषण आतंकी हमला और पुलवामा में ‘सीआरपीएफ’ के काफिले पर हुए हमले के पीछे इन्हीं दो आतंकी संगठनों का हाथ था। उनके विरोध में कार्रवाई करने के साथ अन्य कुछ शर्तों का पाकिस्तान ने पालन नहीं किया है, इसकी याद भी प्लेअर ने दिलाई।

तभी २१ शर्तों पर पाकिस्तान ने काम शुरू किया है, इस ओर प्लेअर ने ध्यान आकर्षित किया। इस वजह से फ़रवरी २०२१ तक पाकिस्तान ‘एफएटीएफ’ की ‘ग्रे लिस्ट’ में कायम रहेगा। अब आतंकियों को आर्थिक सहायता प्रदान करने में शामिल लोगों पर प्रतिबंध लगाकर पाकिस्तान को उनके खिलाफ़ कार्रवाई करनी ही होगी। आतंकवाद को हो रही आर्थिक सहायता पाकिस्तान ने रोकना आवश्‍यक है, यह सख्त इशारा भी प्लेअर ने दिया। साथ ही आतंकियों की असल सूचि में ७,६०० दहशतगर्दों के नाम दर्ज़ थे। इनमें से चार हज़ार लोगों के नाम यकायक गायब कैसे हुए, यह सवाल ‘एफएटीएफ’ की बैठक में किया गया।

‘ग्रे लिस्ट’

‘एफएटीएफ’ की ‘ग्रे लिस्ट’ से बाहर निकलने के लिए पाकिस्तान को ३९ में से १२ सदस्य देशों के वोटों की आवश्‍यकता होती। इसके लिए पाकिस्तान ने बड़ी फिल्डिंग लगाई थी, यह भी चर्चा हो रही थी। चीन के साथ तुर्की, सौदी अरब, मलेशिया का वोट प्राप्त करने के लिए पाकिस्तानी नेता काफी गिड़गिड़ाए, यह आलोचना भी हुई थी। तभी ‘ब्लैक लिस्ट’ होने से बचने के लिए पाकिस्तान को तीन देशों के पूरे समर्थन की आवश्‍यकता थी। लेकिन, यह तीन वोट प्राप्त करने में भी पाकिस्तान नाकाम रहा। इस दौरान तुर्की ने पाकिस्तान को आखिर तक समर्थन दिया। वहीं, चीन और सौदी अरब ने तकनीकी मुद्दा उपस्थित करके पाकिस्तान को आधार दिया।

अब ‘एफएटीएफ’ ने पाकिस्तान के लिए फ़रवरी २०२१ तक अवधि दिया है और इन चार महीनों में पाकिस्तान को सभी शर्तों की पूर्तता करने की आवश्‍यकता रहेगी। इन शर्तों की पूर्तता होने पर ‘एफएटीएफ’ के निरिक्षक पाकिस्तान जाकर सच्चाई की पुष्टी करेंगे और इसके बाद ही पाकिस्तान के भविष्य का निर्णय किया जाएगा। लेकिन, तब तक पाकिस्तान ‘ग्रे लिस्ट’ में कायम रहेगा और इस देश को वैश्‍विक बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष एवं यूरोपिय महासंघ से आर्थिक सहायता प्राप्त करना कठिन हुआ है।

इसी बीच, ‘एफएटीएफ’ का यह निर्णय यानी पाकिस्तान की जीत है, यह अजीब दावा पाकिस्तान के मंत्री कर रहे हैं। तभी पाकिस्तान को ‘ब्लैक लिस्ट’ करने में भारत को नाकामी प्राप्त होने का आनंद भी पाकिस्तानी नेता और कुछ विश्‍लेषक व्यक्त कर रहे हैं।

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