शत्रु के दायरे में आए बगैर भारतीय सेना लेह पहुँचेगी – ‘बीआरओ’ ने पूरा किया निमू-पदम-दार मार्ग का काम

नई दिल्ली – भारत और चीन के बीच तनाव में बढ़ोतरी हो रही है और इसी बीच सरकार ने सरहदी क्षेत्र की बुनियादी सुविधाओं का निर्माण करने की गति बढाई है और ‘बॉर्डर रोड़ ऑर्गनाइज़ेशन’ (बीआरओ) ने निमू-पदम-दार मार्ग का काम पूरा किया है। साल के ३६५ दिन पूर्णरूप से खुला रहनेवाला यह मार्ग शत्रु के हमले के दायरे से दूर होने से सेना के लिए काफी अहम समझा जा रहा है। इस नए रास्ते की वजह से लष्करी बलों को मनाली से लेह जाने के सफर का समय आधे से कम होगा। फिलहाल मनाली से लेह पहुंचने के लिए १२-१४ घंटे लगते हैं। लेकिन नए मार्ग से यह सफर मात्र ६ से ७ घंटों में पूरा होगा।

Manali-Lehचीन के साथ जारी तनाव की पृष्ठभूमि पर भारतीय सेना को प्रगत रक्षा सामान से सज्जित करने के साथ ही बुनियादी सुविधाओं के कामों की ओर प्राथमिकता के साथ ध्यान दिया जा रहा है। ‘बीआरओ’ ने अंतरराष्ट्रीय सीमा के करीब श्रीनगर-कारगिल-लेह और मनाली-सरचू-लेह इन दो रास्तों का निर्माण किया है। लेकिन, इन रास्तों पर नज़र रखना शत्रूदेश के लिए आसान है। लेकिन, दारचा और लेह को जोड़नेवाला मार्ग रणनीतिक नज़रिए से अहम है और शत्रु को भारतीय सेना की गतिविधियों पर नज़र रखना संभव नहीं होगा। इस मार्ग की वजह से सेना को सामान और हथियार पहुँचाना आसाना होगा।

इस मार्ग की वजह से कारगिल तक पहुँचने में भी आसानी होगी। सीमा पर बढ़ रहे तनाव के दौरान इस रास्ते का निर्माण कार्य तय किए गए समय से पहले पूरा होने की बात कही जा रही है। बीआरओ ने निर्माण किए अन्य दो रास्ते साल के सात महीने यातायात के लिए खुले रह सकते हैं। लेकिन, निमु-पदम-दारचा मार्ग लगभग संपूर्ण वर्ष खुला रहेगा। भारी वाहनों के लिए यह रास्ता खुला करने की जानकारी बीआरओ के इंजिनियर्स ने साझा की।

इस रास्ते की वजह से मनाली से लेह के सफर का समय ५ से ६ घंटे कम हो जाएगा। २५८ किलोमीटर का यह रास्ता सीमा के करीब ना होने के कारण सेना की गतिविधियां किसी भी खतरे के बिना आसानी से हो पाएंगी, यह बयान बीआरओ के अधिक्षक अभियंता कमांडर १६ बीआटीएफ एम.के.जैन ने किया। हिमाचल से लद्दाख के दूसरे विकल्पी मार्ग को दुबारा शुरू करने का काम जारी है और वर्ष २०२२ तक यह मार्ग कार्यान्वित हो सकता है, यह जानकारी सूत्रों ने साझा की। अब तक सामान और सैनिकों की यातायात के लिए ज़ोजीला पास के रास्ते का इस्तेमाल किया जा रहा था। लेकिन कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान ने इस मार्ग को लक्ष्य किया था। इसी कारण नए मार्ग के निर्माण को गति दी गई थी।

फिलहाल ‘बीआरओ’ द्वारा सीमा के करीब तीन हज़ार किलोमीटर के रास्तों का काम हो रहा है। इसमें चीन की सीमा के करीबी दुर्गम इलाकों में जारी ६१ रास्तों का भी समावेश है। इन कार्यों को गति प्रदान करने के लिए बुनियादी सुविधाओं की अहमियत ध्यान में रखते हुए सरकार ने वर्ष २०२०-२१ में ‘बीआरओ’ के लिए ११,८०० करोड़ रुपयों तक आर्थिक प्रावधान बढ़ाया है।

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