उत्पाद क्षेत्र की गिरावट और अमरिका-चीन व्यापारयुद्ध की पृष्ठभूमि पर जागतिक मंदी की संभावना बढी

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरवॉशिंगटन/लंदन – अमरिका और चीन में जारी व्यापारयुद्ध और भी तीव्र हो रहा है और जागतिक स्तर के निवेशक एवं बडी कंपनियों को अभी इस युद्ध का ठिक से अंदाजा नही है| लेकिन, पिछले कुछ महीनों से यूरोप के साथ एशियाई देशों में उत्पाद क्षेत्र को बडा झटका लगने की बात सामने आ रही है और यह बात जागतिक मंदी की आशंका और भी गहरी होने के संकेत देती है, यह दावा आर्थिक विशेषज्ञ कर रहे है|

मॉर्गन स्टॅनले इस शीर्ष वित्तसंस्था ने आनेवाले वर्ष में ही जागतिक मंदी का खतरा वास्तव में उतरता दिखेगा, यह डर जताया है| पीछले महीने में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने अमरिका-चीन व्यापारयुद्ध की वजह से जागतिक अर्थव्यवस्था खतरे में आने का इशारा दिया था|

अमरिका और चीन में जारी व्यापारयुद्ध का हल निकालने के लिए हो रही बातचीत नाकामयाब हुई है| उसके बाद अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन के विरोध में काफी कडी भूमिका अपनाई है और नए करों के साथ अन्य प्रतिबंध लगाने की तैयारी शुरू की है| चीन की कंपनियों के अमरिका में हो रहे व्यवहार पर भी पाबंदी लगाने की कोशिश शुरू है और चीन को ‘करन्सी मैनिप्युलेटर’ घोषित करने के संकेत भी दिए गए है|

ट्रम्प की इस आक्रामकता को चीन ने भी जवाब दिया है| अमरिका से आयात हो रहे उत्पाद पर कर लगाने का निर्णय चीन ने किया है| साथ ही चीन में काम कर रही अमरिकी कंपनियों को लक्ष्य करने के लिए जरूरी कानून बनाने का प्रस्ताव भी रखा गया है|

दुनिया की दो प्रमुख अर्थव्यवस्था में शुरू इस युद्ध का असर अन्य प्रमुख देशों पर भी हो रहा है| यूरोप में प्रमुख देश होनेवाले जर्मनी और ब्रिटेन के उत्पाद क्षेत्र के कामकाज में गिरावट शुरू हुई है|

ब्रिटेन में उत्पाद क्षेत्र के बढोतरी का प्रतीक होनेवाला निदेशांक की ४९.४ तक गिरावट देखी गई है| जर्मनी में लगातार दो महीनों में उत्पाद क्षेत्र के निदेशांक की गिरावट जारी है और फिलहाल यह निदेशांक ६.५ वर्षों के निचले स्तर तक जा पहुंचा है|

एशिया की प्रमुख अर्थव्यवस्था भी इस गिरावट से बच नही सकी है| जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, तैवान, वियतनाम के साथ भारत के उत्पाद क्षेत्र के कामकाज में गिरावट होने की जानकारी हाल ही में सामने आ चुकी है| इन सभी देशों के निदेशांक ५० के नीचे पहुंचे है| उत्पाद क्षेत्र का निदेशांक ५० के नीचे आना यानी इस क्षेत्र में मंदी आने के संकेत समझे जाते है|

अमरिका-चीन के बीच तीव्र हो रहा व्यापारयुद्ध और प्रमुख देशों के उत्पाद क्षेत्र में देखी गई गिरावट अर्थव्यवस्था के नजरिए से चिंता का विषय होने का दावा अर्थशास्त्री कर रहे है| ईरान के साथ खाडी क्षेत्र में बना तनाव, ब्रेक्जिट, व्हेनेजुएला की समस्या जैसे घटक भी जागतिक अर्थव्यवस्था में उथल पुथल करवा सकते है, इस ओर भी विशेषज्ञों ने ध्यान आकर्षित किया है|

‘गोल्डमन सॅच’ जैसी प्रमुख वित्तसंस्था ने इस वर्ष के दुसरे तिमाही में अमरिका की अर्थव्यवस्था की गति कम होने का अंदाजा व्यक्त किया है| वही, ‘मॉर्गन स्टॅनले’ ने जागतिक मंदी का खतरा वास्तव में उतरने के लिए अब केवल नौ महीनों का समय शेष होने का इशारा दिया है|

जागतिक मंदी का खतरा बढने के संकेत प्राप्त होने पर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कडी प्रतिक्रिया उमड रही है| ईंधन के दामों के साथ गैस और कोयले के दामों में गिरावट हुई है और सोने के दामों में उछाल दिखाई दिया है| अमरिका, यूरोप एवं एशियाई शेअर बाजार में बडी गिरावट शुरू होने की बात भी दिखाई देने लगी है|

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