विदेश मंत्री स्वराज की जापान के प्रधानमंत्री से चर्चा

टोक्यो: जापान के दौरे पर रही विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने जापान के प्रधानमंत्री शिंजो ॲबे से मुलाकात की है। भारत एवं जापान की दोस्ती का मतलब दो दिलों का समन्वय होने की बात कहकर प्रधानमंत्री ॲबे ने इन संबंधों को बड़ा भविष्य होने का दृढ़ विश्वास व्यक्त किया है। विदेशमंत्री स्वराज इनके इस मुलाकात मैं  भारत और जापान में इंडो पैसिफिक सागरी क्षेत्र के स्थिरता एवं सुरक्षा के लिए सहयोग व्यापक करने का निर्धार व्यक्त किया है। इस क्षेत्र में चीन की गतिविधियों की वजह से निर्माण हुए असंतुलन की पृष्ठभूमि पर भारत एवं जापान का यह सहयोग महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

भारत और जापान में भावनात्मक चर्चा के नौवें फेरे के लिए विदेशमंत्री स्वराज जापान आयी हैं। उस समय जापान के विदेशमंत्री तारो कोनो इनके साथ स्वराज इनकी दीर्घ समय तक चर्चा हुई है। इस चर्चा में दोनों पक्ष के सहयोग के साथ इंडो पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता एवं सुरक्षा इस पर चर्चा संपन्न हुई है। इस क्षेत्र का सार्वभौमत्व एवं अखंडता तथा वहां मुक्त वातावरण हो इसके लिए प्रयत्न करने की तैयारी दोनों देशों ने दर्शायी है। उसके बाद विदेशमंत्री स्वराज ने जापान के प्रधानमंत्री शिंजो ॲबे से मुलाकात की है। उस समय भारत के साथ जापान के सहयोग अकृत्रिम होने का दाखिला देकर यह मैत्रीपूर्ण संबंध दो दिलों से होने का भावनात्मक विधान शिंजो ॲबे ने किया हैं।

भारत और जापान के सहयोग को बड़ा अवसर उपलब्ध है, ऐसा कहकर इस संबंध का भविष्य उज्जवल होने की गवाही प्रधानमंत्री ॲबे ने विदेश मंत्री स्वराज उनके साथ हुई चर्चा में दी है। दौरान शिंजो ॲबे ने भारत एवं जापान में संबंधों का पुरस्कार करने के लिए हमेशा आग्रही भूमिका स्वीकारी थी। बल्कि चीन के बढ़ते आक्रामकता का खतरा ध्यान में लेकर पैसेफिक क्षेत्र में भारत अपना प्रभाव बढ़ाये, ऐसी मांग करने वाले ॲबे यह पहले बड़े नेता ठहरे थे। हिंद महासागर क्षेत्र से पेसिफिक महासागर क्षेत्र का इंडो पैसिफिक ऐसा उल्लेख करने वाले नेता ऐसी प्रधानमंत्री ॲबे इनकी पहचान है।

दशक भर जापान के प्रधानमंत्री पद पर होते हुए शिंजो ॲबे ने इंडो पैसिफिक क्षेत्र का एकत्रित विचार करके इस क्षेत्र में चीन के गतिविधियों से सभी देशों के सार्वभौमत्व को खतरा होने के स्पष्ट संकेत दिए थे। इस पृष्ठभूमि पर प्रधानमंत्री ॲबे ने भारत के बारे में स्वीकाऱी भूमिका अब अधिक महत्वपूर्ण मानी जा रही है। भारत एवं जापान के बीच का सहयोग चीन के विरोध में होने का आरोप करके चीनी सरकारी माध्यम इस सहयोग को लक्ष्य करते आ रहे हैं। तथा भारत एवं जापान में रक्षा विषयक सहयोग पर चीन ने समय-समय पर आक्षेप लिया था। भारत एवं अमेरिका में मालाबार युद्धाभ्यास में जापान के सहयोग के विरोध में चीन ने भारत को स्पष्ट तौर पर धमकी दी थी। पर अब इस युद्धाभ्यास में जापान का नौदल शामिल होने लगा है और आने वाले समय में इसमें ऑस्ट्रेलिया के भी शामिल होने के संकेत मिल रहे हैं।

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