चीन की बढ़ति आक्रामकता के पृष्ठभूमि पर लष्कर प्रमुख जनरल रावत की लदाख सीमा को भेंट

लदाख: भारत के लष्कर प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने चीन के सीमा से जुड़े हुए लदाख में लष्कर के चौकियों को भेंट दी है। उस समय लष्कर प्रमुख ने वहां की रक्षा सिद्धता का ब्यौरा करने का वृत्त है। शून्य के आसपास तापमान होनेवाले इस भाग में तैनात जवानों से जनरल रावत ने उस समय चर्चा की है। भारत और चीन का सीमा विवाद नए से उभरने की स्थिति में होते हुए जनरल रावत की यह लदाख भेंट औचित्यपूर्ण मानी जा रही है।

शुक्रवार को लष्कर प्रमुख जनरल रावत लेह में उतरे और  वहां से पूर्व लदाख में आए। चीन के सीमा से जुड़े हुए भारतीय लष्कर के चौकियों को जनरल रावत ने भेंट दी है। शून्य के आसपास तापमान होनेवाले इस भाग में अत्यंत प्रतिकूल परिस्थिति में भारतीय जवान देश की रक्षा कर रहे हैं। इन जवानों से जनरल रावत ने मुक्त तौर पर संवाद किया है। इसकी वजह से जवानों का मनोधैर्य अधिक बढ़ने की जानकारी लष्कर के प्रवक्ता ने दी है। उस समय जनरल रावत ने वहां की रक्षा सिद्धता का ब्यौरा किया है। पिछले कई हफ्तों से भारत  चीन से जुड़े सीमा भाग में सुरक्षा के बारे में अधिक संवेदनशीलता दिखा रहे हैं। लष्कर प्रमुख एवं वायु सेना के साथ देश के रक्षा मंत्री सीतारामन ने भी चीन से जुड़े सीमा भाग में सुरक्षा एवं डोकलाम के प्रश्न पर भारत की भूमिका ठोस रूप से प्रस्तुत कर रहे हैं।

भारत से दिखाई जा रही इस संवेदनशीलता के पीछे चीन की आक्रामकता होने की बात उजागर हुई है। चीन के लष्करी हेलिकॉप्टर से भारत की सीमा में घुसपैठ की जा रही है। उस समय चीन की सेना लदाख तथा अन्य सीमा पर घुसपैठ करने की गहरी आशंका सामने आ रही है, ऐसी परिस्थिति में दोनों देशों में डोकलाम जैसा विवाद भड़कने की चिंता व्यक्त हो रही है। तथा अगर ऐसी परिस्थिति निर्माण हुई तो भारत उसे जवाब देने के लिए सक्षम होने का संदेश भारत से दिए जा रहे हैं। इतना ही नहीं तो भारतीय वायु सेना की पूर्व सीमा पर की क्षमता चीन से अधिक होने की बात वायुसेना प्रमुख धनोवा ने चीन को सूचित की थी।

इस पृष्ठभूमि पर लष्कर प्रमुख की लदाख भेंट अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है और इसके पीछे होनेवाला औचित्य स्पष्ट हो रहा है। चीन के आक्रमकता के सामने भारत नहीं झुकेगा एवं भारत पर लष्करी दबाव डालने के चीन के प्रयत्न कभी सफल नहीं होंगे, ऐसा चीन को स्पष्ट एहसास दिलाया जा रहा है। इससे पहले  भारतीय लष्कर प्रमुख ने चीन के बारे में ऐसे विधान गैर जिम्मेदार थे, ऐसी टीका चीन के सरकारी माध्यम कर रहे थे। चीन के विदेश मंत्रालय ने इस पर नाराजगी व्यक्त की थी, पर भारत ने उसे नजरअंदाज किया था।

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