चीन की योजनाओं को नाकाम करने के लिए अमरिका और जापान ने श्रीलंका के साथ सहकार्य बढ़ाया

नई दिल्ली – श्रीलंका को अपने कर्ज के जाल में फंसाकर ‘हंबंटोटा’ बंदरगाह को निगलने वाला चीन अब उत्तर श्रीलंका में भी बड़ा निवेश करने की तैयारी में है। हिन्द महासागर से लेकर अफ्रीका और खाड़ी देशों की ओर जाने वाले रास्ते में स्थित श्रीलंका का व्यूहरचनात्मक और भौगोलिक दृष्टिकोण से महत्व ध्यान में रखकर चीन इन देशों पर अपना प्रभाव बढ़ा रहा है। लेकिन चीन की इस योजना को नाकाम करने की तैयारी अमरिका और जापान ने की है। चीन को मात देने के लिए दोनों देशों ने श्रीलंका के साथ सहकार्य बढाया है, ऐसा दावा विश्लेषकों ने किया है।

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हाल ही में जापान के रक्षा मंत्री इत्सुनोरी ओनोदेरा ने श्रीलंका को भेंट दी है। उनकी यह पहली ही भेंट है। विशेष बात यह है कि ओनोदेरा ने हंबंटोटा शहर का भी दौरा किया है।‘हंबंटोटा’ बंदरगाह पिछले वर्ष श्रीलंका ने चीनी कंपनी को ९९ सालों के किराए पर सुपुर्द किया है। इस वजह से ओनोदेरा की यह भेंट महत्वपूर्ण साबित होती है। इस भेंट में उन्होंने हंबंटोटा बंदरगाह पर चीन की कंपनी के नियंत्रण के बारे में चिंता व्यक्त की है। जापान ने श्रीलंका को १ करोड़ १० लाख डॉलर्स के दो गश्ती जहाज दी हैं। साथ ही और दो गश्ती जहाज देने का आश्वासन भी दिया है। इस भेंट में श्रीलंका के साथ लष्करी सहकार्य के सन्दर्भ में महत्वपूर्ण चर्चा पूरी होने की खबर है।

पिछले हफ्ते में ही अमरिका ने श्रीलंका की नौसेना के बुनियादी ढाँचे को मजबूत बनाने के लिए ३ करोड़ ९० लाख डॉलर्स की अर्थ सहायता देने की घोषणा की थी। इसके अलावा अमरिका भी जापान को दो गश्ती जहाज देने वाला है।

उसी समय अमरिका और जापान के युद्धपोतों का श्रीलंकन बंदरगाह पर वास्तव्य बढ़ गया है। अमरिका के ‘युएसएस एंकरेज’ विध्वंसक के साथ ’१३ मरीन एक्स्पिडिशनेरी यूनिट’ने श्रीलंका के ‘त्रिन्कोमाले’ इस बंदरगाह को भेंट दी।

इसके पहले जापानी विध्वंसकों ने भी इस बंदरगाह में लंगर लगाया था। अमरिकी विध्वसंक के त्रिन्कोमाले बंदरगाह की सदिच्छा भेंट की पृष्ठभूमि पर अमरिका की नौसेना श्रीलंका के साथ सहकार्य बढाने वाली है, अमरिका के सातवे आरमार के कमांडर रिअर एडमिरल ब्रैड कूपर ने कहा है। आने वाले समय में अमरिका के सातवे आरमार को श्रीलंका से लॉजिस्टिक सपोर्ट मिलेगा, ऐसे संकेत भी मिल रहे हैं।

पूर्व श्रीलंका में स्थित यह बंदरगाह व्यूहरचनात्मक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है। भारत ने इस बंदरगाह को विकसित करने के लिए उत्सुकता दिखाई है। भारत के साथ जापान भी इस परियोजना में सहभागी होने वाला है। ‘हंबंटोटा’ बंदरगाह चीन के कब्जे में जाने के बाद त्रिन्कोमाले में जापान और अमरिका ने ध्यान केन्द्रित किया है। चीन को मात देने के लिए ही जापान और अमरिका की यह गतिविधियाँ शुरू हैं, ऐसा विश्लेषकों ने कहा है।

चीन ने उत्तर श्रीलंका में निवेश करने का प्रस्ताव रखा है। दो दशकों से भी अधिक समय तक गृहयुद्ध में जले इस इलाके में बुनियादी ढांचा और घरों के निर्माण के लिए बड़ा निवेश करने के लिए चीन उत्सुक है। इस इलाके में भारत ऐसी ही परियोजनाओं पर काम कर रहा है, ऐसे में चीन ने रखा यह प्रस्ताव महत्वपूर्ण साबित होता है। कुछ दिनों पहले श्रीलंका चीन से एक युद्धपोत की खरीदारी करने वाला है, ऐसी खबर आई थी। लेकिन श्रीलंका के विशेषज्ञों ने इस बारे में श्रीलंका को सतर्क रहने की चेतावनी दी है।

चीन ने भेंट के तौर पर युद्धपोत दिया, तो उसे स्वीकार करते समय सोचें, ऐसा श्रीलंका के सुरक्षा विषयक विशेषज्ञों ने कहा था। हंबंटोटा की पृष्ठभूमि पर श्रीलंका में चीनी निवेश को विरोध हो रहा है। लेकिन श्रीलंका चीन की तरफ से लिए कर्ज के जाल में पूरी तरह से फंस गया है। चीन का श्रीलंका पर बढ़ता प्रभाव रोकने के लिए अमरिका और जापान ने श्रीलंका के साथ सहकार्य बढ़ाया है।

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