ब्रह्मपुत्र को लेकर चीन के टनेल की ख़बर झूठी – चीन के विदेश मंत्रालय का खुलासा

नई दिल्ली / बीजिंग: ब्रम्हपुत्र नदी पर बांध निर्माण करके भारत का पानी भगाने वाले चीन ने इस से भी भयंकर षड्यंत्र करने की खबर सामने आई थी। हजार किलोमीटर इतने लंबाई के अंडर ग्राउंड ‘टनेल’ बांधकर ब्रह्मपुत्र का पानी अपने झिजीयांग प्रांत की तरफ मोड़ने की तैयारी करने का दावा एक चीनी देनिकने किया था। इस पर भारत से तीव्र प्रतिक्रिया आने के बाद, चीन ने यह खबर झूठी होने का खुलासा किया है। इस पर विश्वास रखना भारत के लिए खतरनाक होगा, ऐसा पिछले कई दिनों से चीन की आक्रामकता से स्पष्ट दिखाई दे रहा है।

ब्रह्मपुत्रपिछले हफ्ते चीन पर अधिराज्य करने वाले कम्युनिस्ट पक्ष का अधिवेशन संपन्न हुआ है। चीन में क्रांति लाने वाले नेता ‘माओ त्से तुंग’ इनके बाद सबसे सामाजिक सामर्थ्यशाली नेता के तौर पर राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग इनको इस अधिवेशन में मान्यता मिली है। उसके बाद चीन के नीति में बहुत बदलाव हो रहे हैं। भारत के विरोध में आक्रामक षड्यंत्र यह चीन के बदले हुए नीति का सबसे महत्वपूर्ण भाग है। ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ इस हौंगकॉंग में प्रसिद्ध होने वाले चीनी दैनिक ने ब्रम्हपुत्र नदी पर चीन लगभग १००० किलोमीटर इतने लंबाई का टनेल निर्माण करने की जानकारी दी थी। ऐसा करके चीन अपने बंजर झिजीयांग प्रांत का रूपांतर कैलिफ़ोर्निया में करेगा, ऐसा दावा इस दैनिकने किया था। इस पर भारत से तीव्र प्रतिक्रिया आई है।

पहले से चीन ब्रह्मपुत्र पर निर्माण कर रहे बांध की वजह से, इस नदी का प्रवाह कम होने पर आक्षेप भारत से जताया जा रहा है। उसमें चीन इस बांध में कुल मिलाकर कितना पानी जमा करेगा इसकी जानकारी भारत को देने से इनकार किया है। ऐसी परिस्थिति में इस टनेल की खबर के बाद भारत से तीव्र प्रतिक्रिया अपेक्षित थी। पर चीन के विदेश मंत्रालयने यह खबर झूठी होने का खुलासा किया है। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंगने नदी के प्रश्न पर चीन भारत से सहयोग करने के लिए तैयार होने की बात कही है। पर असल में चीन भारत को इस स्तर पर बिल्कुल सहयोग न करने की बात दिखाई दे रही है।

ब्रह्मपुत्रचीन का यह असहयोग एवं भारत विरोधी भूमिका केवल ब्रम्हपुत्र नदी तक ही मर्यादित नहीं है। डोकलाम के विवाद में भारत ने स्वीकारी हुई ठोस भूमिका पर, वापस जाने के लिए विवश हुए चीन से अब प्रतिउत्तर की तैयारी की जा रही है। राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग इनका दूसरा सत्र शुरू होने के केवल कुछ ही दिनों में चीन ने वैसे स्पष्ट संकेत दिए हैं। जैश-ए-मोहम्मद इस आतंकी संगठन का पाकिस्तान स्थित नेता मसूद अजहर पर जारी किए प्रतिबंध के प्रस्ताव को चीन ने विरोध कायम रखा है, ऐसा चीन ने घोषित किया है। इसके लिए चीन फिर से नकार अधिकार का उपयोग करके, भारत को चेतावनी देने की तैयारी कर रहा है। चीन में ब्रिक्स परिषद में आतंकी संगठन के नाम घोषित करते हुए, चीनने जैश का उल्लेख किया था। पर अजहर का बचाव करके चीन फिर से एक बार भारत से शरारत कर रहा है।

इतना ही नहीं, चीन के राष्ट्राध्यक्ष ने अरुणाचल प्रदेश से जुड़े अपनी सीमा भाग में तिबेटी चरवाहों को सीमा का संरक्षण करने के लिए आवाहन किया है। उसके लिए सीमा भाग में तल ठोके, ऐसा चे राष्ट्राध्यक्ष ने सुझाया है। इससे पहले भी तिबेटी चरवाहों एवं स्थानीय लोगों का उपयोग करके चीन ने भारत के भूभाग पर अधिकार जताने का प्रयत्न किया था। उसकी वजह से चीन सीमा भाग में फिर से भारत से शैतानी करने की बात दिखाई दे रही है

 

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