२६/११ का मास्टरमाइंड मक्की अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित – सुरक्षा परिषद की कार्रवाई का भारत ने किया स्वागत

संयुक्त राष्ट्रसंघ – २६/११ के आतंकी हमले के एक मास्टरमाइंड अब्दुल रेहमान मक्की को संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किया है। यह आंतकवादविरोधी युद्ध में भारत को प्राप्त हुई काफी बड़ी जीत होने का दावा किया जा रहा है। मक्की को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने की राह में चीन ने अबतक तकनीकी वजह बताकर रोड़े अटकाए थे। चीन ने यही ‘टेक्निकल होल्ड’ हटाने से अब्दुल रेहमान मक्की के विरोध में सुरक्षा परिषद ने यह कार्रवाई की। चीन की भूमिका में यकायक हुआ यह बदलाव पाकिस्तान के लिए झटका दे रहा है। चीन ने इस तरह से पाकिस्तान पर अपनी नाराज़गी जताई है, यह चर्चा अब शुरू हुई है और इससे पाकिस्तान बड़े सदमे में गया है।

मक्कीअब्दुल रेहमान मक्की ‘लश्कर ए तोयबा’ का संस्थापक और ‘जमात उल दवा’ के सरगना हफीज सईद का रिश्तेदार और अहम साथी है। २६/११ के हमले में मक्की ने अहम भूमिका निभाई थी। इसी वजह से इस पर कार्रवाई करने की मांग भारत ने पाकिस्तान के सामने बार बार रखी थी। भारत की यह मांग पाकिस्तान ने ठुकराई थी और यह भी घोषित किया था कि, मक्की के विरोध में भारत के हाथों में पर्याप्त सबूत नहीं हैं। भारत ने यह मुद्दा सुरक्षा परिषद में उठाकर मक्की एवं अन्य आतंकियों पर कार्रवाई करने का आवाहन किया था। मक्की को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने के लिए सुरक्षा परिषद में पेश किया गया प्रस्ताव चीन ने रोक रखा था। तकनीकी वजह बताकर चीन ने मक्की के साथ पाकिस्तान के अन्य आतंकवादियों पर कार्रवाई करने से सुरक्षा परिषद को रोक रखा था।

साल २०२२ के जून महीने में मक्की पर कार्रवाई करने का प्रस्ताव रोकने वाले चीन ने अब इससे संबंधित अपनी आपत्ति हटाई है। सीर्फ चीन की आपत्ति के कारण ही मक्की पर कार्रवाई करना मुमकिन नहीं हुआ था। इस वजह से चीन ने किए इस निर्णय के बाद मक्की को सुरक्षा परिषद ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किया है। इस वजह से मक्की की संपत्ति कुर्क करना मुमकिन होगा और उसकी यात्रा पर प्रतिबंध लग सकते हैं। इसके अलावा अहम बात यह है कि, पाकिस्तान में और एक अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी होने की बात भी इससे विश्व के सामने आयी है। साथ ही पाकिस्तान के चीन के साथ बने मतभेद भी इससे विश्व को ज्ञात हुए हैं और आनेवाले समय में चीन इसी तरह के और भी झटके पाकिस्तान को दे सकता है। कई कारणों से पाकिस्तान और चीन के संबंधों में तनाव निर्माण हुआ है। पाकिस्तान पर आर्थिक संकट टूटा है और ऐसे में चीन हमें पर्याप्त सहायता प्रदान नहीं कर रहा हैं, ऐसी शिकायत पाकिस्तान कर रहा है। कुछ दिन पहले चीन में स्थित पाकिस्तानी दूतावास ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर चीन में उइगरवंशी इस्लामधर्मियों पर हो रहे अत्याचारों के विरोध में आवाज़ उठाने की चेतावनी दी थी। कुछ देर बाद अपने दूतावास का अकाउंट हैक होने का दावा करके पाकिस्तान ने इस मामले को संभालने की कोशिश भी की थी। लेकिन, चीन इसका बड़ी गंभीरता से संज्ञान लेता दिख रहा है। इसी बीच पाकिस्तान की नई सरकार ने अमरीका से हाथ मिलाकर ‘चाइना पाकिस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडॉर’ (सीपीईसी) परियोजना को नुकसान पहुँचाया है, ऐसी शिकायत चीन कर रहा है।

अमरीका की सूचना पर पाकिस्तान ऐसा कर रहा है, यह चीन का कहना है। इस परियोजना पर काम कर रहे चीनी नागरिकों की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान पर्याप्त कोशिश नहीं कर रहा है, ऐसा आरोप भी चीन ने लगाया था। इस मुद्दे पर चीन ने पाकिस्तान को सख्त शब्दों में आगाह भी किया था। दोनों देशों के बीच निर्माण हुए तनाव के कारण ‘मक्की’ को अबतक बचाते रहे चीन ने अपनी नीति में बदलाव करके पाकिस्तान को सदमा दिया है। इसी बीच भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इसका स्वागत करके यह कहा है कि, आनेवाले समय में भारत आतंकवादियों पर सख्त कार्रवाई करने की कोशिश जारी रखेगा।

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