कोरोनावायरस से दुनियाभर की मृत्युओं की संख्या एक लाख पचहत्तर हज़ार के पार

वॉशिंग्टन/लंडन कोरोनावायरस के कारण दुनियाभर के मृतकों की संख्या १,७५,७३४ हो गयी होकर, इनमें से एक लाख सात हज़ार युरोप से हैं। वहीं, अमरीका में ४३ हज़ार से अधिक लोगों की जानें गयीं हैं। इसी बीच, इस महामारी के भयंकर आर्थिक दुष्परिणाम सामने आने लगे होकर, ईंधन के दाम शून्य तक पहुँच चुके थे। कुछ समय बाद हालाँकि इसमें सुधार हुआ, फिर भी माँग में आयी गिरावट को देखते हुए, नज़दीकी समय में ईंधन के दाम बढ़ने के आसार नज़र नहीं आ रहे हैं।

गत चौबीस घंटों में इस महामारी ने दुनियाभर में पाँच हज़ार लोगों की जान ली होकर, तक़रीबन ५३ हज़ार नये मरीज़ पाये गए हैं। इससे इस संक्रमण के दुनियाभर के मरीज़ों की संख्या २५ लाख तक पहुँच चुकी है। मंगलवार को अमरीका में इस महामारी के कारण ११९७ लोग मारे गये होकर, ११,६४७ नये मरीज़ दर्ज़ हुए हैं। फिलहाल अमरीका में आठ लाख से भी अधिक कोरोनाग्रस्त हैं।

जॉन हॉप्किन्स विद्यापीठ ने दी जानकारी के अनुसार, मंगलवार को ब्रिटन में ८२८ लोगों की मृत्यु हुई। इस महामारी ने ब्रिटन में कुल १७,३३७ लोगों की जानें लीं होकर, इस देश में एक लाख २९ हज़ार कोरोनाबाधित हैं। मरीज़ों की बढ़ती संख्या के कारण दबाव बढ़ चुके ब्रिटन के स्वास्थ्य विभाग ने प्राइवेट कंपनियों को व्हेन्टिलेटर्स बनाने की सूचना की है।

मंगलवार को कोरोनावायरस से इटली में ५३४, स्पेन में ४३० और फ्रान्स में ५३१ लोग मारे गये। इस महामारी के कारण आर्थिक संकट में फ़ँसे युरोपीय देश युरोपीय महासंघ के पास अतिरिक्त सहायता की माँग कर रहे हैं। महासंघ बड़ा प्रावधान घोषित करें, ऐसा आवाहन युरोपीय देशों द्वारा किया जा रहा है।

रशिया में इस महामारी ने अब तक ४५६ लोग मारे गये होकर, कोरोनाबाधितों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है। पिछले चौबीस घंटों में इस देश में पाँच हज़ार नये मरीज़ पाये गए होकर, राजधानी मॉस्को में सर्वाधिक मरीज़ दर्ज़ हुए हैं।

कोरोनावायरस का संक्रमण उग्ररूप धारण कर रहा है और इसके भयावह आर्थिक परिणाम भी अब सामने आने लगे हैं। ख़ासकर ईंधन की माँग में गिरावट आने के कारण अमरीका में ईंधन के दाम शून्य तक गिरे थे। थोड़े समय में इसमें सुधार हुआ। अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने, ईंधन के गिरे हुए दामों की पार्श्वभूमि पर, सौदी अरेबिया से की जानेवाली ईंधन की आयात कुछ समय के लिए स्थगित करने का निर्णय लिया।

ख़ाड़ीक्षेत्र के ईंधन उत्पादक देश भी ईंधन के गिरे हुए दामों की वजह से हैरान हुए होकर, इन देशों पर का आर्थिक दबाव बढ़ता चला जा रहा है। कुछ खाड़ीक्षेत्र के देश डेब्ट बाँड्स् जारी कर अपनी आर्थिक समस्याओं को हल करने की कोशिश करनेवाले होने की ख़बरें प्रकाशित हो रहीं हैं।

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